मोदी का गुजरात बना ठगी का अड्डा! धोलेरा स्मार्ट सिटी में 14.71 करोड़ की ठगी
लुधियाना के व्यक्ति से धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 14.71 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है... निवेश के नाम पर करोड़ों ऐंठे गए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात का धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट भारत की आर्थिक क्रांति का प्रतीक माना जाता है.. लेकिन आजकल ठगी का अड्डा बनता जा रहा है.. केंद्र और गुजरात सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में निवेश के नाम पर लाखों लोग फंस चुके हैं.. हाल ही में पंजाब के लुधियाना शहर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है.. जहां स्थानीय रियल एस्टेट व्यवसायी गगनदीप सिंह ने गुजरात के धोलेरा प्रोजेक्ट में 14.71 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप लगाया है.. आरोपी राजिंदर कुमार उर्फ डॉक्टर ने फर्जी दस्तावेजों.. और मीठी-मीठी बातों के जाल में उन्हें और उनके निवेशकों को फंसा लिया.. यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी है.. बल्कि पूरे रियल एस्टेट सेक्टर में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलता है..
गगनदीप सिंह लुधियाना के खन्ना इलाके के माता रानी मोहल्ला में रहते हैं.. और खुद एक रियल एस्टेट फर्म चलाते हैं.. उन्होंने 2018 से 2023 तक आरोपी के जाल में फंसकर अपनी जमा-पूंजी.. और अन्य निवेशकों का पैसा गंवा दिया.. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की है.. यह घटना गुजरात के धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन में निवेश के बढ़ते जोखिमों को उजागर करती है.. जहां बड़े-बड़े वादे करने वाले एजेंट असल में लोगों की मेहनत की कमाई हड़प लेते हैं..
आपको बता दें कि धोलेरा स्मार्ट सिटी गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थित एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है.. जो दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा है.. यह लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में फैला हुआ है.. और 920 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकसित हो रहा है.. केंद्र सरकार और गुजरात सरकार ने 2009 में इसकी नींव रखी थी.. जिसका लक्ष्य एक ‘ग्रीनफील्ड’ इंडस्ट्रियल सिटी बनाना है.. यहां विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट टेक्नोलॉजी और पर्यावरण-अनुकूल विकास पर जोर दिया गया है..
प्रोजेक्ट के अनुसार धोलेरा में 2030 तक 2 लाख नौकरियां पैदा होंगी.. औद्योगिक उत्पादन तीन गुना बढ़ेगा और निर्यात चार गुना होगा.. यह छह चरणों में विकसित हो रहा है.. जिसमें पहले चरण में ही 22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तैयार हो चुका है.. यहां डीहोलरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मेट्रो कनेक्टिविटी, हाई-स्पीड रेल और स्मार्ट ग्रिड जैसी सुविधाएं आ रही हैं.. गुजरात सरकार की वेबसाइट के मुताबिक.. यह शहर ‘उच्च जीवन स्तर’ वाला होगा.. जहां टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में निवेश के अवसर भरपूर हैं..
वहीं निवेश के लिहाज से धोलेरा आकर्षक है.. यहां रेजिडेंशियल प्लॉट्स, कमर्शियल स्पेस और इंडस्ट्रियल लैंड उपलब्ध हैं.. कीमतें अभी कम हैं.. एक प्लॉट 100 वर्ग गज का 5-10 लाख रुपये में मिल सकता है.. जो आने वाले वर्षों में कई गुना बढ़ सकता है.. डीएमआईसी के तहत 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है.. जिसमें जापान और अन्य देशों की भागीदारी है.. लेकिन यही आकर्षण ठगों के लिए चारा बन गया है.. फर्जी एजेंट प्रोजेक्ट के नाम पर हाई रिटर्न का लालच देकर लोगों को फंसा रहे हैं..
धोलेरा SIR की आधिकारिक वेबसाइट बताती है कि यहां डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और बायोटेक जैसे सेक्टरों में बड़े अवसर हैं.. लेकिन प्रोजेक्ट की धीमी गति.. लैंड एक्विजिशन में देरी ने असली निवेशकों को निराश किया है.. जबकि फर्जी डीलरों को मौका दिया है.. विकिपीडिया और सरकारी ब्रोशर के अनुसार.. यह भारत का पहला ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी है.. लेकिन ठगी के मामले बढ़ने से इसकी छवि खराब हो रही है..
आपको बता दें कि यह घोटाला 2018 में शुरू हुआ.. जब राजिंदर कुमार ने गगनदीप सिंह से संपर्क किया.. राजिंदर खुद को ‘डॉक्टर’ कहलवाते थे.. और लुधियाना के बसंत विहार, नूरवाला रोड में रहते थे.. उन्होंने दावा किया कि धोलेरा प्रोजेक्ट में निवेश से मोटा मुनाफा होगा.. और उन्होंने कहा कि यह केंद्र और गुजरात सरकार का संयुक्त प्रोजेक्ट है.. जहां प्लॉट्स पर 2 प्रतिशत मासिक रिटर्न और 6 प्रतिशत कमीशन मिलेगा..
गगनदीप रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं.. उन्होंने पहले संकोच किया, लेकिन राजिंदर ने व्हाट्सऐप चैट्स, फर्जी दस्तावेज और फोटोज के जरिए भरोसा जीता.. उन्होंने गैर-कृषि प्रमाणपत्र, एनओसी, क्लियर टाइटल और रेरा अप्रूवल दिखाए.. प्लॉट्स का साइज 100 वर्ग गज से 21 हजार वर्ग गज तक बताया.. एक बार तो राजिंदर ने गगनदीप को ‘धोलेरा 365’ नामक दूसरी फर्म से मिलवाया.. और दावा किया कि उनके प्रभावशाली लोगों से कनेक्शन हैं..
वहीं इतना सब कुछ देखने और सुनने के बाद भरोसा करते हुए गगनदीप ने अपनी पूंजी लगाई और अन्य निवेशकों से पैसे जुटाए.. और कुल बैंक अकाउंट्स में 14.71 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए.. और लुधियाना के विभिन्न जगहों पर नकद रूपये भी दिए गए.. राजिंदर ने कई एग्रीमेंट साइन कराए.. लेकिन जब गगनदीप ने गुजरात राजस्व विभाग से वेरिफिकेशन कराया.. तो सच्चाई सामने आई.. दस्तावेज फर्जी थे.. जमीनें प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनियों के डायरेक्टर्स के नाम पर रजिस्टर्ड थीं.. कुछ रजिस्ट्रियां दी गईं.. लेकिन वे भी नकली निकलीं..
जिसको लेकर गगनदीप ने शिकायत में कहा कि राजिंदर ने खुद को मेरा बिजनेस पार्टनर बताकर फर्जी कागजात बनवाए.. राजनीतिक नेताओं और बड़े लोगों की फोटोज शेयर करके डराने की कोशिश की.. यह ठगी न सिर्फ आर्थिक नुकसान है.. बल्कि भावनात्मक आघात भी है.. गगनदीप के निवेशक ज्यादातर मध्यम वर्ग के लोग थे.. जो अब बर्बाद हो चुके हैं.. वे कहते हैं कि हमने सपना देखा था कि धोलेरा हमें अमीर बना देगा.. लेकिन सब धोखा था..
लुधियाना के दुगरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज होने के बाद एएसआई अमोलक सिंह ने प्रारंभिक जांच की.. और उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया गया है.. वित्तीय रिकॉर्ड और गुजरात में संपत्ति रजिस्ट्रियों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी.. पुलिस अब बैंक स्टेटमेंट्स, ट्रांजेक्शन डिटेल्स और गुजरात के रेवेन्यू रिकॉर्ड्स चेक कर रही है.. राजिंदर कुमार अभी फरार हैं.. लेकिन पुलिस उनके ठिकानों पर छापेमारी की योजना बना रही है.. जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने कई अन्य लोगों को भी फंसाया हो सकता है.. आईपीसी की धाराओं के तहत सजा कड़ी हो सकती है.. गुजरात पुलिस से भी सहयोग मांगा गया है.. क्योंकि जमीनें वहां की हैं..
वहीं यह मामला रेरा की कमजोरियों को भी उजागर करता है.. अगर दस्तावेज रेरा पोर्टल पर वेरिफाई होते.. तो शायद यह ठगी रुक जाती.. गगनदीप सिंह की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि दर्जनों परिवारों की है.. एक निवेशक ने बताया कि मैंने रिटायरमेंट के लिए 50 लाख लगाए थे.. अब कुछ नहीं बचा.. ठगी का असर लुधियाना के मध्यम वर्ग पर पड़ा है.. जहां लोग रियल एस्टेट को सुरक्षित निवेश मानते हैं.. वहीं इस ठगी के चलते आर्थिक नुकसान के अलावा, मानसिक तनाव बढ़ा है.. कई निवेशक डिप्रेशन में हैं.. गगनदीप कहते हैं कि मैंने दूसरों को भी फंसाया, अपराधबोध सता रहा है.. यह केस दिखाता है कि ठगी कैसे परिवारों को बर्बाद कर देती है..
वहीं यह पहला मामला नहीं है.. जून 2025 में राजस्थान के दो भाइयों सुभाष बिजरानिया और रणवीर बिजरानिया ने नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के नाम पर 70 हजार लोगों से 2,700 करोड़ रुपये की ठगी की.. और उन्होंने फर्जी वीडियो दिखाकर पीएम मोदी का जिक्र किया और हाई रिटर्न का वादा किया.. ईडी ने 2 करोड़ कैश जब्त किया.. एक अन्य केस में दिल्ली ईओडब्ल्यू ने 150 निवेशकों से करोड़ों ठगे गए.. गुजरात में फर्जी प्लॉट्स बेचने के कई मामले सामने आए हैं.. ये घोटाले धोलेरा की असली क्षमता को धूमिल कर रहे हैं..



