मोदी के मंत्री BJP से हुए बागी? NDA में सीट बंटवारे पर असंतोष, गिरिराज सिंह ने चिराग पर कसा तंज
NDA में सीट बंटवारे को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है... अब मोदी सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह ने ही पार्टी लाइन से अलग सुर छेड़ दिए हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की राजनीति हमेशा से उथल-पुथल भरी रही है.. और 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर उठा विवाद इसकी नई मिसाल बन गया है.. ऐसा लगता है कि गठबंधन के अंदर असंतोष की आग छोटे सहयोगी दलों से निकलकर अब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंच गई है.. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता गिरिराज सिंह की नाराजगी इसकी सबसे बड़ी वजह बनी हुई है.. उन्होंने बिना नाम लिए चिराग पासवान के दावों पर सवाल उठाए हैं.. और पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया है.. यह विवाद न केवल एनडीए की एकता पर सवाल खड़े कर रहा है.. बल्कि चुनावी रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है..
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखें घोषित हो चुकी हैं.. तैयारी जोरों पर है.. राज्य में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं.. और एनडीए यहां सत्ता में है.. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) या जेडीयू, बीजेपी, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या एलजेपी (आरवी).. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और.. उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा.. एनडीए के मुख्य सहयोगी हैं.. 2020 के चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं.. जिसमें बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, एलजेपी को 1 और अन्य को बाकी सीटे मिली थीं.. लेकिन इस बार सीट बंटवारे का फॉर्मूला अलग है.. जो विवाद की जड़ बना हुआ है..
एनडीए ने हाल ही में सीट बंटवारे की घोषणा की.. जिसमें बीजेपी को 101 सीटें, जेडीयू को 101, चिराग पासवान की एलजेपी को 29, मांझी की एचएएम को 6 और कुशवाहा की आरएलएम को 6 सीटें मिली हैं.. यह बंटवारा 2020 से काफी अलग है.. क्योंकि पिछली बार जेडीयू को ज्यादा सीटें मिली थीं.. वहीं अब बीजेपी और जेडीयू को बराबर सीटें दी गई हैं.. जो पहली बार हुआ है.. लेकिन चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटें मिलना सबसे बड़ा सरप्राइज है.. क्योंकि उनकी पार्टी के पास वर्तमान में विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है.. यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 में चिराग की पार्टी के शानदार प्रदर्शन पर आधारित है.. जहां उन्होंने 5 में से 5 सीटें जीतीं और 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया..
हालांकि, यह बंटवारा सभी को रास नहीं आ रहा है.. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस व्यवस्था से नाखुश हैं.. क्योंकि उनकी पार्टी को पिछली बार से कम सीटें मिली हैं.. नीतीश कुमार ने कथित तौर पर चिराग पासवान को गठबंधन से बाहर करने या सीटें कम करने की मांग की है.. अन्यथा जेडीयू के दरवाजे खुले हैं.. यह बयान बिहार की राजनीति को और गर्मा सकता है.. अमित शाह जैसे केंद्रीय नेता पटना आकर इस विवाद को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं..
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, जो बेगूसराय से सांसद हैं.. और बीजेपी के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं.. इस सीट बंटवारे से सबसे ज्यादा नाराज दिख रहे हैं.. और उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बिना नाम लिए चिराग पासवान पर तंज कसा.. गिरिराज ने लिखा कि ये होता है असली स्ट्राइक रेट.. आज मजबूत सीट लेकर स्ट्राइक रेट का झुनझुना बजा रहे हैं.. 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए ने रचा था इतिहास.. 243 में से जीतीं 206 सीटें!.. जेडीयू ने 141 में से 115 सीटें जीतीं.. स्ट्राइक रेट 81%… बीजेपी ने 102 में से 91 सीटें जीतीं.. इक रेट 89%.. इतनी प्रचंड जीत बिहार की राजनीति में फिर कभी नहीं दोहराई गई.. तब भी धर्मेंद्र प्रधान जी प्रभारी थे आज भी प्रभारी हैं..
वहीं यह पोस्ट सीधे तौर पर चिराग पासवान के लोकसभा चुनाव में 100% स्ट्राइक रेट के दावे पर निशाना साधती है.. गिरिराज का कहना है कि सीट बंटवारे में मजबूत सीटें लेकर स्ट्राइक रेट दिखाना आसान है.. लेकिन असली चुनौती पुराने प्रदर्शन को दोहराना है.. और उन्होंने आगे कहा कि जहां बीजेपी पिछले चुनाव में 500 से 700 वोटों से हारी थी.. वो सीटें अब दूसरे दलों को दे दी गई हैं, जो गलत है.. गिरिराज ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि सीटों के बंटवारे में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है.. नेताओं को कार्यकर्ताओं की जुबान बनना जरूरी है..
आपको बता दें कि गिरिराज सिंह की यह नाराजगी बीजेपी के अंदरूनी असंतोष को दर्शाती है.. वे मानते हैं कि गठबंधन के लिए समझौता जरूरी है.. लेकिन कार्यकर्ताओं की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.. सूत्रों के अनुसार, गिरिराज सिंह ने पार्टी हाईकमान से भी इस मुद्दे पर बात की है.. उनका मानना है कि चिराग पासवान को ज्यादा सीटें देकर बीजेपी अपनी मजबूत सीटें गंवा रही है.. जो चुनाव में नुकसानदेह साबित हो सकता है..
चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री भी हैं.. इस विवाद के केंद्र में हैं.. लोकसभा चुनाव 2024 में उनकी पार्टी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी जीतीं, जिससे उनका स्ट्राइक रेट 100% रहा.. इसी आधार पर उन्होंने विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की मांग की.. शुरुआत में चिराग 40 से ज्यादा सीटें मांग रहे थे.. लेकिन बातचीत के बाद 29 पर सहमति बनी.. चिराग ने कहा कि एनडीए में सीट बंटवारा अंतिम चरण में है.. और वे गठबंधन धर्म का सम्मान करते हैं.. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने जेडीयू और बीजेपी पर जबरदस्त दबाव बनाया..
चिराग की मांग का आधार उनका दलित-ईबीसी वोट बैंक है.. जो बिहार में करीब 6.5% है.. वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.. और हाजीपुर से सांसद होने के बावजूद सीएम पद की महत्वाकांक्षा रखते हैं.. हालांकि, उन्होंने नीतीश कुमार को सीएम फेस मानते हुए कहा कि एनडीए जीतेगा तो नीतीश ही मुख्यमंत्री रहेंगे.. चिराग का कहना है कि वे डिप्टी सीएम पद में दिलचस्पी नहीं रखते.. लेकिन उनकी 29 सीटें मिलना जेडीयू को नागवार गुजरा है.. क्योंकि जेडीयू को अपनी मजबूत सीटें छोड़नी पड़ीं..
चिराग पासवान की पार्टी के पास विधानसभा में कोई विधायक नहीं है.. फिर भी इतनी सीटें मिलना एनडीए की रणनीति का हिस्सा है.. बीजेपी मानती है कि चिराग का प्रदर्शन दलित वोटों को मजबूत करेगा.. जो चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है.. लेकिन गिरिराज सिंह जैसे नेताओं को लगता है कि यह झुनझुना है.. और असली स्ट्राइक रेट 2010 जैसा होना चाहिए..
जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार इस बंटवारे से सबसे ज्यादा असंतुष्ट हैं.. सूत्रों के अनुसार वे चिराग को गठबंधन से बाहर करने या उनकी सीटें कम करने की मांग कर रहे हैं.. नीतीश का मानना है कि जेडीयू को बराबर सीटें मिलना उनकी कमजोरी दिखाता है.. जबकि वे दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं.. अगर विवाद बढ़ा तो जेडीयू अन्य विकल्प तलाश सकती है.. वहीं जीतन राम मांझी की एचएएम को 6 सीटें मिली हैं.. लेकिन वे भी खुश नहीं दिखते.. उनकी सोशल मीडिया पोस्ट से असंतोष झलकता है.. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को भी 6 सीटें मिली हैं.. और वे उत्साहित हैं, लेकिन कुल मिलाकर छोटे दल चिराग की ज्यादा सीटों से जलते हैं..



