केरल पहुंचा मानसून, तेज हवाओं के साथ कई जगह हो रही बारिश 

देश-भर में लू और भीषण गर्मी से सभी लोग परेशान हैं। और हीटवेव से लोगों की तबियत खराब हो रही है और वहीं कई लोगों की जान चली गई है।

4PM न्यूज़ नेटवर्क: देश-भर में लू और भीषण गर्मी से सभी लोग परेशान हैं। और हीटवेव से लोगों की तबियत खराब हो रही है और वहीं कई लोगों की जान चली गई है। लेकिन इस बीच भारतीय मौसम विभाग ने अच्छी खबर दी है। मौसम विभाग ने बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून गुरुवार (30 मई) को केरल में प्रवेश कर चुका है। मानसून अब पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ने लगा है। चक्रवाती तूफान रेमल की वजह से पहले से ही पूर्वोत्तर भारत में काफी बारिश हुई है, जो अब मानसून के पहुंचने पर बढ़ने वाली है।

बताया जा रहा है कि रविवार को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में आए चक्रवात ने मानसूनी प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया है। ये पूर्वोत्तर में समय से पहले दस्तक देने का एक कारण हो सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में प्रवेश कर चुका है और आज 30 मई, 2024 को पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ गया है। आपको बता दें कि 15 मई को मौसम कार्यालय ने 31 मई तक केरल में मानसून की शुरुआत की घोषणा की थी।

मानसून के बादल उत्तर-भारत में कब पहुंचेंगे?

मौसम विभाग के अनुसार पता चला है कि केरल में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है। जिसके परिणामस्वरूप मई में अतिरिक्त बारिश हुई है।  केरल के लिए सामान्य मानसून की शुरुआत की तारीख 1 जून है और अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम के लिए 5 जून है।

  • दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों में सूरज आग बरसा रहा है।
  • मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में 15 जून के बाद मानसून दस्तक दे देंगे।
  • यूपी में 18 से 25 जून, बिहार में 13 से 18 जून, राजस्थान में 25 जून से 6 जुलाई
  • मध्य प्रदेश में 16 से 21 जून के बीच मानसून के पहुंचने की संभावना है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • मानसून की वजह से सिर्फ लोगों को गर्मी से राहत ही नहीं मिलती है, बल्कि ये खेती के लिए भी बहुत जरूरी है।
  • कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 फीसदी मानसून पर ही निर्भर है. यहां से देश का 40 फीसदी प्रोडक्शन होता है।
  • इसके अलावा बिजली उत्पादन और पीने के पानी के लिए जलाशयों को भरने के लिए भी मानसून जरूरी है।
  • देश की 47 फीसदी आबादी जीवनयापन के लिए खेती पर ही निर्भर है।

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