सांसद नबा सरानिया एसटी सीट से नहीं लड़ सकेंगे चुनाव, गौहाटी हाईकोर्ट के फैसले से लगा झटका
नई दिल्ली। गौहाटी हाईकोर्ट ने दो बार के सांसद नबा सरानिया की राज्य स्तरीय जांच समिति के उनकी अनुसूचित जनजाति (मैदानी) स्थिति को रद्द करने वाले आदेश को चुनौती वाली रिट याचिका खारिज कर दी। असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने बताया कि जस्टिस एसके मेधी की एकल पीठ ने यह आदेश सुनाया।
सैकिया ने कहा, अदालत ने उन्हें राहत नहीं देते हुए प्रभावी रूप से उन्हें एसटी या अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडऩे से रोक दिया। सरानिया 2014 से बतौर निर्दलीय सांसद कोकराझार (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने उसी सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लडऩे की घोषणा की है।
लोकसभा सीट पर 7 मई को मतदान होना है। एसएलएससी ने 12 जनवरी 2024 के एक आदेश में उन्हें एसटी (पी) समुदाय से संबंधित नहीं मानते हुए आरक्षित सीट से चुनाव लडऩे से रोक दिया था। राज्य के जनजातीय मामलों के विभाग (मैदान) ने बाद में 20 जनवरी को एक आदेश पारित कर 17 अक्तूबर 2011 को जारी सरानिया के जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया था।
सरानिया ने तर्क दिया कि वह बोरो कछारी समुदाय से हैं, जिसने एसटी (पी) का दर्जा अधिसूचित किया है, और उसी समुदाय के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं।