शत्रु संपत्ति का मामला, सुप्रीम कोर्ट से मुख्तार के बेटे उमर अंसारी को मिली अग्रिम जमानत

नई दिल्ली। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आज उन्हें शत्रु संपत्ति मामले में अग्रिम जमानत दी। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका पर जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंद्रेश की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। बेंच ने यूपी पुलिस को जवाब देने कहा है। उमर अंसार ओम प्रकाश राजभर की पार्टी एसबीएसपी से विधायक हैं।
उमर अंसारी को 13 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। मामले की एफआईआर अगस्त, 2020 को राजस्व अधिकारी सुरजन लाल ने लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। इन एफआईआर को खारिज करने की मांग लिए वे हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने उमर और अब्बास दोनों की मांगें खारिज कर दी। बाद में वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट ने उमर अंसारी को राहत दी है।
अंसारी ने कोर्ट में दलील दी कि संपत्ति का म्यूटेशन उनके जन्म से पहले उनके पूर्वजों के नाम पर है। ऐसे में उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। राज्य सरकार की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि दोनों पर अपनी दादी की जाली हस्ताक्षर का भी आरोप है। इसलिए उनके खिलाफ स्पष्ट अपराध बनता है। हालांकि, एफआईआर में उमर अंसारी कथित फर्जी तरीके से संपत्ति अपने नाम करने वालों में एक हैं। उसपर आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है।
शत्रु संपत्ति या निष्क्रांत संपत्ति उनकी संपत्तियों को कहा जाता है जो विभाजन के बाद हिंदुस्तान छोड़ पाकिस्तान चले गए। ये आम तौर पर उन लोगों को आवंटित किए जाते हैं जो उस दौरान पाकिस्तान से भारत चले आए थे। संपत्ति पर असली अधिकार वसीम अहमद नाम के शख्स का था, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। ऐसे में राज्य सरकार ने इसे शत्रु संपत्ति की लिस्ट में डाल दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट का मानना था कि अंसारी परिवार जानते हुए कि वो शत्रु संपत्ति है, फर्जी दस्तावेज बनाकर संपत्ति को अपने नाम कर लिया।

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