मुख्तार अंसारी के बेटे के एनडीए में शामिल होने के बाद क्या होगा योगी के दावों का
- सुभासपा ने कहा-अब्बास फैसला लेने को स्वतंत्र
- विपक्ष ने पूछा- क्या अवैध निर्माण पर चलेगा बुलडोजर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सियासत में उतार-चढ़ाव जारी है। 22 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होकर समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ चुनाव लडऩे वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) 2024 चुनाव से पहले एकबार फिर बीजेपी की गोद में बैठ गई है। अब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है जो लोग उनके सिंबल पर चुनाव लड़ थे पर उनकी विचारधारा भाजपा से अलग थी वह क्या एनडीए की लीडरशीप स्वीकार करेंगे? सबसे बड़ा सवाल मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को लेकर है।
क्या वे राजभर के इस फैसले के साथ रहेंगे या नहीं। इससे बड़ी बात चर्चा में ये है कि मुख्यमंत्री योगी का रुख क्या होगा। गौरतलब हो कि जबसे योगी सरकार प्रदेश में आई है मुख्तार व उनके परिवार पर पुलिस का शिकं जा कसता जा रहा है। अंसारी के अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहे हैं। लोगों के बीच में सुगबुगाहट हो रही है कि क्या अब योगी सरकार अंसारी परिवार पर नरमी बरतेगी।
माफिया के खिलाफ अभियान का क्या होगा
सुभासपा के एनडीए में शामिल होने के निणर्य के बाद सीएम योगी को विपक्ष ने घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष ने पूछा है कि अब माफिया के खिलाफ अभियान का क्या होगा, क्या अब सारे अवैध काम वैध हो जाएंगे। बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके चुनाव लडऩे वाली सुभासपा के सिंबल पर सपा के तीन नेताओं को चुनाव लड़ाया गया था। इनमे जगदीश नारायण राय जफराबाद से, महदेवा से दूधराम और मऊ सदर से अब्बास अंसारी शामिल हैं। ये तीनों विधायक अपने वाहनों पर सपा का ही झंडा लगाते हैं। इसलिए इनको अभी भी सपा खेमे का ही माना जाता है।
जहां राजभर वहीं हम : विधायक जगदीश नारायण व दूधराम
सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लडक़र विधायक बने सपा नेता जगदीश नारायण और दूधराम का कहना है कि वे पूरी तरह से ओमप्रकाश राजभर के फैसले के साथ हैं। जगदीश नारायण ने कहा कि अगर उन्हें सरकार में शामिल होने के लिए कहा जाएगा तो जरूर शामिल होंगे। महादेवा सुरक्षित सीट से विधायक दूधराम ने कहा कि सपा-सुभासपा गठबंधन के तहत उन्हें सुभासपा के टिकट पर लड़ाया गया। अब ओमप्रकाश राजभर जहां जाएंगे, वहीं जाएंगे। ओमप्रकाश राजभर से मिलकर भविष्य की रणनीति तय करेंगे। जाफराबाद (जौनपुर) से विधायक जगदीश नारायण ने भी कहा कि वे पार्टी के फैसले के साथ रहेंगे। यहां बता दें कि हाल ही में एक सवाल के जवाब में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि जब भी चाहेंगे, राजभर की पार्टी के विधायक आधे रह जाएंगे। अब्बास के अलावा पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी को लेकर भी पेंच फंसा है। पूर्व मंत्री का नाम बहुचर्चित आयुष दाखिला घोटाले में आ चुका है। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार में मंत्री रहने के दौरान उन पर कॉलेज संचालकों से 1.25 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। धर्म सिंह सैनी पर लगे आरोप की जांच का हाईकोर्ट ने आदेश भी दिया था, हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी । इस वजह से भी सैनी को भाजपा में शामिल कराने को लेकर संशय बना हुआ है।
भाजपा के लिए आसान नहीं है राह
चूंकि सरकार के माफिया विरोधी अभियान में अब्बास के पिता मुख्तार पर सरकार ने शिकंजा कस रखा है। अब्बास पर भी शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने, भडक़ाऊ भाषण देने, शस्त्र लाइसेंस पर प्रतिबंधित बोर के असलहे खरीदने और मनी लांड्रिंग एक्ट का मुकदमा दर्ज है और जांच चल रही है। ऐसे में भाजपा अब्बास को लेकर क्या रुख अपनाएगी, इस पर लोगों की नजर है।
ईडी के छापे के बाद राजभर ने कहा था-अब्बास हमारे नहीं सपा के
ईडी ने नवंबर, 2022 को जब गिरफ्तार कर जेल भेजा था तो उस समय ओमप्रकाश राजभर ने भी कहा था कि अब्बास अंसारी हमारे नहीं सपा के हैं। मुझे खत्म करने के लिए सपा मुखिया ने चाल चली थी, सपा ने डमी प्रत्याशियों को टिकट दिलवा कर हमें खत्म करने का प्रयास किया था, सपा से समझौते में 12 सीटें दी गईं, उसी में अब्बास थे और सिंबल हमारा था। राजभर ने कहा था कि अब्बास सपा का झंडा लगाकर घूमते हैं।
जेल में बंद है अब्बास
अब बदले सियासी समीकरण में सबकी नजर अब्बास अंसारी के अगले कदम पर टिक गई है। हालांकि जेल में बंद होने के कारण अब्बास की तरफ से कोई प्रतिक्रिया तो सामने नहीं आई है। पर, सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि तकनीकी तौर पर तो सभी छह विधायक सुभासपा के ही विधायक हैं, लेकिन किसको किसके साथ रहना है वह खुद तय करेंगे।
ओमप्रकाश व दारा सिंह बन सकते हैं कैबिनेट मंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार में जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे। सपा छोडऩे के बाद भाजपा में शामिल होने जा रहे दारा सिंह चौहान को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक सुभासपा से हुए गठबंधन की शर्त के तहत ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय की कमान भी मिल सकती है। अगले वर्ष होने वाले विधान परिषद चुनाव में सुभासपा के एक कार्यकर्ता को परिषद में सदस्य भी बनाया जाएगा। पूर्वांचल के चौहान (नोनिया) वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखने वाले दारा सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। योगी मंत्रिमंडल में फिलहाल मुख्यमंत्री सहित 52 मंत्री हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह के अतिरिक्त भाजपा के भी एक-दो पूर्व मंत्रियों को फिर से सरकार में जगह मिल सकती है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय संतुलन के लिए एक-दो नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं।
पूर्वांचल में भाजपा की चुनावी राह आसान करेगी सुभासपा
भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बीच हुआ गठबंधन लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश के पूर्वांचल की डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा की राह आसान करेगा। वहीं प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बसपा को झटका लगेगा। भाजपा ने लोकसभा चुनाव-2024 में प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी पार्टी को पिछड़े वर्ग की प्रमुख कुर्मी, राजभर, निषाद, जाट, मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, लोधी वोट बैंक की आवश्यकता है। कुर्मी वोट बैंक के लिए भाजपा ने अपना दल (एस) से गठबंधन है, निषाद वोट बैंक के लिए निषाद पार्टी से गठबंधन है। मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा और लोधी समाज को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती राजभर समाज के वोट बैंक हासिल करना है।