मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोडऩे से बदल गया मुंबई का सियासी खेल
नई दिल्ली। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करने से ठीक पहले मिलिंद देवड़ा के इस्तीफे से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। वहीं, मुंबई का सियासी समीकरण भी बदल गया है। जानकारों का कहना है कि मुंबई में मिलिंद देवड़ा के जनाधार वाले इलाके में कांग्रेस कमजोर होगी, तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भी कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना मुंबई में भाजपा के सहारे अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब हो जाएगी।
मिलिंद देवड़ा के शिंदे की शिवसेना में शामिल होने से यह तय हो गया है कि देश की सबसे अमीर संसदीय सीट दक्षिण मुंबई में अब शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई होगी। जहां से उद्धव की शिवसेना के अरविंद सावंत भाजपा की मदद से लगातार दो बार से सांसद हैं। इसका असर मुंबई की छह लोकसभा सीटों पर पड़ेगा। मिलिंद देवड़ा साल 2004 और 2009 में दो बार लगातार दक्षिण मुंबई सीट से जीते, लेकिन साल 2014 मे मोदी लहर के बाद वह लगातार दो बार चुनाव हार गए। सूत्र बताते हैं कि दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट को कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर मिलिंद देवड़ा ने काफी कोशिशें कीं। उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली जाकर आलाकमान से चर्चा करने की कोशिश की थी। लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया। इससे पार्टी से उनकी नाराजगी बढ़ गई। माना जा रहा है कि बंटवारे में दक्षिण मुंबई सीट उद्धव की शिवसेना के खाते में जाते देख मिलिंद देवड़ा ने नई राजनीतिक पारी खेलने का फैसला किया।
उधर, शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद उद्धव गुट की ताकत आधी हो गई है। जाहिर है कि इससे आगामी लोकसभा चुनाव में उद्धव की शिवसेना को वह लाभ नहीं मिल पाएगा, जो 2014 और 2019 में भाजपा के साथ रहते हुए मिला था। इस बीच, दो बार चुनाव हारने के बाद भी मिलिंद देवड़ा के जनाधार में कोई कमी नहीं आई है। दक्षिण मुंबई जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष से लेकर अधिकांश कार्यकर्ता और पूर्व पार्षद मिलिंद के साथ हैं, जो शनिवार को उनके सा्थ शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए हैं। अगर, दक्षिण मुंबई से उम्मीदवारी मिली तो मिलिंद को इसका लाभ मिल सकता है।
मुंबई कांग्रेस में देवड़ा परिवार का प्रभुत्व रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा करीब 25 साल तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मुरली देवड़ा के पास कांग्रेस पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी थी। दक्षिण मुंबई से मिलिंद देवड़ा दो बार सांसद रहे, तो उनके पिता मुरली देवड़ा ने चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। पिता के बाद बेटे मिलिंद देवड़ा ने पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाई। मुरली देवड़ा के निधन पर उनके अंतिम संस्कार में न केवल सोनिया गांधी बल्कि राहुल और प्रियंका भी मुंबई पहुंची थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवड़ा परिवार का गांधी परिवार के साथ न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी थे।
सियासी जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। बाल ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में भले ही शिवसेना मराठियों को तरजीह देते थे, लेकिन दिल्ली में पार्टी की आवाज बुलंद करने वाले को मौका देते थे। बाल ठाकरे ने जहां प्रितीश नंदी, राजकुमार धूत और संजय निरूपम को राज्यसभा भेजा था, वहीं, उद्धव ठाकरे ने गैरमराठी प्रियंका चतुर्वेदी को राज्यसभा में भेजा। कहा जा रहा है कि इसी तरह एकनाथ शिंदे ने भी मिलिंद देवड़ा को पार्टी में शामिल किया है। जो हिंदी, अंग्रेजी के साथ मराठी भाषा पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। साथ ही, मिलिंद के दिल्ली कनेक्शन का भी शिंदे की शिवसेना को लाभ मिल सकेगा।