राज्यसभा में वक्फ बिल पास होने के बाद देश का मुसलमान मायूस

  • बिहार चुनाव में नीतीश को भी नहीं मिलेगा मुसलमानों का साथ!
  • ओढ़ ली चुप की चादर!
  • गैर भाजपाई हिंदूओं के साथ मिलकर बीजेपी को हराने की रणनीति!
  • उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल में हो सकती है बड़ी टूट, चिमटे से भी नहीं छू रहा लोकदल को मुसलमान

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राज्यसभा में पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल धार्मिक और राजनीतिक धारा को गहराई से प्रभावित करने वाला मुद्दा बन गया है और इसने मुस्लिम और सेक्युलर समाज को नये सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। यूपी में सरकार के साथ राष्ट्रीय लोकदल के दो मुस्लिम विधायकों को वहां की जनता ने जीना दुश्वार कर दिया है। इन विधायकों से सोशल मीडिया पर तेजी से सवाल पूछे जा रहे है कि इन लोगों ने सरकार में रहते हुए विरोध क्यों नहीं दर्ज कराया? बीजेपी बिल को वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता के नाम पर जनता के सामने पेश कर रही है। आम मुसलमान मायूस है और उसने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। कांग्रेस इस मुद्दे को आधार बनाकर सपा, आरजेडी, डीएमके, टीएमसी जैसे दलों के साथ मुस्लिम और सेक्युलर वोट बैंक को फिर से जोडऩे का प्रयास कर रही है। सेक्युलर मतदाताओं में संविधान की चिंता को जन्म दे दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश और लोकसभा चुनावों में इस बिल का बड़ा असर देखने को मिलेगा।

स्तब्ध है मुसलमान

ईद के तीसरे दिन केन्द्र सरकार द्वारा वक्फ संशोधन बिल के तौर पर मिले तोहफे से मुसलमान स्तब्ध है, मायूस है और चुप है। मुसलमान उन राजनीतिक दलों से ज्यादा नाराज है जो मुस्लिम हितों में बयान तो देते हैं लेकिन उनके मुद्दों पर सरकार का विरोध नहीं करते। बिल पास होने के बाद आम मुसलमान ने चुप की चादर ओढ़ ली है वहीं इक्का—दुक्का धर्मगुरू जरूर खुलकर मोदी सरकार की मुखालफत कर रहे हैं। मोदी सरकार के उदय के बाद देश में अब तक ट्रिपल तलाक, नागरिक संशोधन बिल, एनआरसी, राम मंदिर, हिजाब विवाद, लव जिहाद कानून, बुलडोजर कार्रवाई, और सोशल मीडिया और टीवी पर मुस्लिम विरोधी नैरेटेवि चलाये जाने के अनेकों मुद्दों ने जन्म लिया। लेकिन इतना सबकुछ होने के बाद भी मुसलमान इतना मायूस कभी नहीं हुआ जितना वक्फ संशोधन बिल के पास होने के बाद हुआ है। बिल पास होने के बाद देश की राजनीति में यूटर्न आने की संभावना प्रबल है। वहीं मुस्लिम वोटों के छौके से जीत का स्वाद चखने वाले राजनीतिक दलों की खाट खड़ी होना निश्चित दिखाई दे रही है। जिसमें यूपी से राष्ट्रीय लोकदल, बिहार से जनता दल युनाईटेड, साउथ इंडिया से टीडीपी आदि जैसे दल शामिल है।

बिहार में नीतीश की अग्निपरीक्षा

बिहार में नीतीश कुमार स्वयं को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वक्फ बिल के पास होने के बाद नीतिश की छवि को जर्बदस्त धक्का लगा है। बिहार में मुस्लमान जितने बीजेपी से नाराज नहीं है उससे ज्यादा नीतिश कुमार से नाराज है। बिहार में मुस्लिम मतदाता की संख्या लगभग 17 फीसदी है और वे चुनाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। तेजस्वी यादव और आरजेडी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उबाल

बिल पास होने के बाद उन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में उथल पुथल है। पश्चिम की सियासत करने वाले जयंत चौधरी ने इस बार जाट—मुस्लमान का काकटेल बना कर सियासी जीत दर्ज की थी। खास विधानसभा से रालोद के गुलाम मोहम्मद ने चुनाव जीता था वहीं थाना भवन विधानसभा से रालोद के अशरफ अली खान ने सुरेश राणा जैसे बीजेपी के हिंदूवादी नेता को हराया था। अब इन दोनों विधाकयों से वहां की जनता सवाल पूछ रही है कि उन्होंने बिल पास होने से रोकने के लिए क्या किया। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा मसूद ने पार्टी से किनारा अख्तियार कर लिया है और शेष पदाधिकारी खामोश है और सियासी पाला बदलने के मूड में है।

वक्फ विधेयक को बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस-डीएमके

डीएमके के बाद कांग्रेस भी वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीकोर्ट जाएगी। कांग्रेस ने कहा कि वह संसद में पारित ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025’ की संवैधानिकता को ”बहुत जल्द” उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ” ‘कांग्रेस वक्फ (संशोधन) विधेयक की संवैधानिकता को उच्चतम न्यायालय में बहुत जल्द चुनौती देगी। ”हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और परंपराओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करते रहेंगे।” रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) 2019’ को चुनौती दी जिस पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई जारी है। उन्होंने कहा कि ‘आरटीआई (सूचना का अधिकार) अधिनियम, 2005′ में 2019 के संशोधनों को भी कांग्रेस ने चुनौती दी जिस पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई जारी है। निर्वाचन का संचालन नियम (2024)’ में संशोधनों की वैधता को कांग्रेस ने चुनौती दी और उसकी उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है।

बीजेपी को मिलेगा चुनावी हार का रिर्टन गिफ्ट

ज्यादातर मुस्लमान गैर भाजपाई हिंदुओं के साथ मिलकर ईद पर मिले इस तोहफे का बीजेपी को चुनाव में परास्त कर देने के रिर्टन गिफ्ट के मूड में हैं। मुस्लिम धर्म गुरू मौलाना कल्बे जव्वाद बीजेपी की खुल कर मुखालफत कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लमानों से वीडियो संदेश जारी कर अपील की है कि वह बीजेपी को रिर्टन गिफ्ट के तौर पर चुनावी हार दे। उन्होंने कहा कि शांतिप्रिय मुसलमान वोट वाले दिन घरों से निकले और बीजेपी को हाराने का काम करे। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसिर हुसैन ने कहा कि हमारे दान के मकसद से बनाए गए इदारों की देखरेख करने के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया है। सरकार की नजर बोर्ड की सम्पित्तियों पर है। रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा सम्पत्ति वक्फ बोर्ड के पास है। उन्होंने सवाल पूछा कि इस देश में एंडोमेंट बोर्ड है, इस देश में हिंदू रिलिजियस प्लेसिस एक्ट है, इस देश में एसजीपीसी है, टेंपल भी ट्रस्ट है, क्रिश्चियन के लिए काउंसिल और कॉरपोरेशन है। हर धर्म के मामलों के नियमन के लिए अलग-अलग एक्ट बनाए गए हैं। तो फिर मुसलमानों के वक्फ बोर्ड से इतनी दिक्कत क्यों है? सपा नेता जावेद खान ने बताया कि पहले से इस बिल को पास करने की प्लानिंग थी। यह बिल असंवैधानिक है और मुसलमानों को कमजोर करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश ने विपक्ष की एकता को देख लिया। अब यही एकता इनको चुनाव में हराने का काम करेगी।

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