आजमगढ़ से निरहुआ हो सकते हैं बीजेपी कैंडिडेट

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव होना तय है। वहीं इस उपचुनाव में भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ भाजपा प्रत्याशी हो सकते हैं। इसकी वजह है कि इन दिनों उनकी आजमगढ़ में सक्रियता बढ़ गई है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में निरहुआ ने भाजपा के कई कैंडिडेट के लिए प्रचार किया था। बहरहाल, भोजपुरी स्टार और भाजपा नेता ने दिनेश लाल यादव निरहुआ ने आजमगढ़ के दौरे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर बोला हमला है। उन्होंने कहा हमने 2019 में चुनाव के समय कहा था कि सिर्फ अखिलेश यादव कहते थे आजमगढ़ और इटावा मेरा घर है, लेकिन वह अपने निजी स्वार्थ के लिए कभी भी आजमगढ़ को छोड़ सकते हैं, अब ऐसा ही हुआ है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से जीतने के बाद सपा प्रमुख ने सांसद पद छोड़ दिया है। निरहुआ ने कहा कि हम लगातार आजमगढ़ के दौरे पर हैं और यहां से जुड़ी समस्याओं को जिलाधिकारी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराते हैं। साथ ही कहा कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अगर मुझे प्रत्याशी बनाया गया तो मैं चुनाव जरूर लडूंगा। इसके साथ भोजपुरी स्टार और भाजपा नेता ने दिनेश लाल यादव निरहुआ ने आजम पर हुई कार्रवाई को लेकर अखिलेश यादव की चुप्पी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख को जितना मैं जानता हूं वह खुद के अलावा किसी के बारे में नहीं सोचते हैं। वह चाहे उनके पिता मुलायम सिंह यादव हों या फिर चाचा शिवपाल सिंह यादव, या भाई ही क्यों ना हो।

साथ ही कहा कि उनको अपनी बिरादरी, प्रदेश और देश के लोगों से कोई मतलब नहीं है। निरहुआ ने कहा कि अगर आजम खान, शिवपाल के साथ आजमगढ़ की जनता सोचे कि अखिलेश यादव उनके साथ खड़े होंगे, तो वह उनके साथ कभी खड़े नहीं हो सकते। निरहुआ ने कहा कि एक बार अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल की वजह से मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन अभी उनके दिमाग से मुख्यमंत्री पद उतरा नहीं हैद्घ वह उसी तेवर में रहते हैं।

अलवर सांसद ने मुख्यमंत्री गहलोत से मांगा इस्तीफा

जयपुर। 22 अप्रैल को अलवर में 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चलाए जाने का मामला सामने आने के पांच दिन बाद हिंदू संगठनों और साधु-संतों ने आज आक्रोश रैली निकाली। आक्रोश रैली की अगुवाई कर रहे अलवर सांसद बालक नाथ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि हम राजस्थान सरकार को तुष्टीकरण की राजनीति करने से रोकने के लिए यह मार्च निकाल रहे हैं। जिन अधिकारियों ने मंदिर तोड़ा है, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए और दोबारा मंदिर बनाया जाए। फिलहाल साधु-संतों और कलेक्टर शिवप्रसाद नकाते के बीच बातचीत का दौर चल रहा है। इसमें समाज के कई साधु, संत भी मौजूद हैं। वे अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर अड़े हुए हैं। अलवर के राजगढ़ में प्रशासन की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान 300 साल पुराना मंदिर तोड़ दिया था। इसके बाद से ही भाजपा राज्य सरकार पर हमलावर है और मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है। साधु-संतों के विरोध की शुरुआत कंपनी बाग के शहीद स्मारक से हुई।

साधु-संतों के साथ-साथ बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी रैली में पहुंच गए। इसके बाद अलवर पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर है। आक्रोश रैली में हिस्सा लेने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश समेत राजस्थान के विभिन्न जिलों से साधु संतों की टोलियां अलवर पहुंची। गौरतलब है कि अलवर में सड़क का रास्ता साफ करने के लिए अलवर में 86 दुकानें व घर बुलडोजर से तोड़े गए थे, इसी में 300 साल पुराना मंदिर भी था। एक दिन पहले ही गहलोत सरकार ने मामले में दो को सस्पेंड कर दिया है। सांसद बाबा बालकनाथ ने कहा कि यह मामला शांत नहीं होगा। गहलोत सरकार ने देवी देवताओं का उसी तरह अपमान किया है, जैसे ढाई सौ साल पहले मुगलों ने सनातन धर्म का अपमान किया था। हिंदू समाज उसे भी नहीं भूला है और गहलोत सरकार के इस काम को भी याद रखेगा। गहलोत सरकार ने मुगलिया शासन की याद ताजा की है। सरकार का तख्ता पलट करने तक ये संघर्ष चलेगा।

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