नीतीश कुमार की चुप्पी बीजेपी के लिए बनी मुसीबत, बड़े खेल की तैयारी   

बिहार में राजनीति के बिगड़ते स्वरूप के बीच बीमार हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा एक बार फिर सवालों के झूले पर झूलने लगी है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार में राजनीति के बिगड़ते स्वरूप के बीच बीमार हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा एक बार फिर सवालों के झूले पर झूलने लगी है….. क्या नीतीश कुमार गृह मंत्री अमित शाह और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के बोल का मतलब समझने गए हैं…. या फिर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान के विपरीत राजनीति से एक्जिट प्लान का मर्म समझने गए हैं…. या फिर इस बात की आश्वस्ति के लिए गए कि एनडीए आगामी चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ी जाएगी….. सुलझाने को तो कई सवाल हैं…. जिससे संशय के बादल को हटाकर ही बिहार की राजनीति पटरी पर लौटेगी…. बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों की प्रगति यात्रा रद्द करते ही बिहार की राजनीत गर्म हो गई…. वहीं जब नीतीश कुमार दिल्ली यात्रा पर निकले तो एनडीए की राजनीति कई सवालों के घेरे में आ गई…. यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के इस दो दिवसीय यात्रा का मुख्य मकसद एनडीए की राजनीति में मंडरा रहे संशय के बादल का सच जानना था….. अब इसे संयोग कह लें कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से दुखी परिवार को सांत्वना देने के लिए दिल्ली जाना जरूरी भी था….

दोस्तों अमित शाह के बयान के बाद से ही बिहार की राजनीति में तूफान मचा हुआ है…. आपको बता दें कि अमित शाह के एक बयान ने नहीं बल्कि दो बयानों ने बिहार की राजनीति में तूफान मचा दिया है….. उनका पहला बयान बिहार के सीएम पद को लेकर दिया गया था…. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिहार में 2025 में एनडीए के चेहरे के संबंध में दिए गए रहस्यमयी बयान ने बिहार में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को नीतीश कुमार की प्रशंसा करने पर मजबूर कर दिया है…. आपको बता दें कि शाह के बयान से कथित तौर पर नीतीश कुमार निराश हो गये हैं…. जिसके कारण भाजपा नेता जद(यू) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मनाने में जुटे हैं…..

आपको बता दें कि इस महीने की शुरुआत में एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान जब एंकर ने अमित शाह से पूछा कि “क्या भाजपा बिहार में नीतीश कुमार को आगे रखेगी या महाराष्ट्र मॉडल का अनुसरण करेगी…., तो उन्होंने नीतीश कुमार के बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया….. और इस सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा था कि ऐसे कार्यक्रम में पार्टी के नीतिगत फैसले की घोषणा नहीं की जाती….. मैं भाजपा का अनुशासित कार्यकर्ता हूं…. और संसदीय बोर्ड ही फैसला लेगा…. जब हम साथ बैठेंगे, तभी फैसला लेंगे…. वहीं अमित शाह के इस बयान ने बिहार में राजनीतिक बहस छेड़ दी है….. इसके बाद, एक के बाद एक भाजपा नेता नीतीश कुमार को 2025 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश कर रहे हैं…..

वहीं अमित शाह के बयान के बाद, नीतीश कुमार स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए दो दिवसीय बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए….. जिसमें हाई-प्रोफाइल समिट में ₹1.8 लाख करोड़ के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे….. इस समिट में अडानी समूह सहित प्रमुख कंपनियों ने हिस्सा लिया था…. हालांकि, दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और भाजपा के विजय कुमार सिन्हा कार्यक्रम में शामिल हुए…. नीतीश कुमार 20 दिसंबर के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए….. जिसमें वे निवेशक शिखर सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे….. लेकिन उन्होंने नालंदा का अपना दौरा भी रद्द कर दिया….. जहां उन्हें राजगीर में मगध सम्राट जरासंध की प्रतिमा का अनावरण करना था….. बता दें कि पिछले रिकार्ड को देखें तो यह देखा गया है कि जब भी नीतीश कुमार गठबंधन सहयोगियों से नाखुश होते हैं…. तो वे चुप हो जाते हैं….. और 21 दिसंबर को जेडी(यू) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक संदेश पोस्ट किया था…… ‘ नीतीश हैं सबके फेवरेट….. जिसको लेकर ऐसा माना जा रहा है कि यह पोस्ट बीजेपी के लिए संदेश था कि विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल समेत अन्य पार्टियां भी नीतीश को नेता के तौर पर स्वीकार करने के लिए उत्सुक हैं…..

वहीं अमित शाह का दूसरा बयान बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर था…. बता दें कि विवाद की शुरूआत 17 दिसंबर को अमित शाह के संसद में दिए एक भाषण के बाद हुई…. राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री, जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में बात कर रहे थे….. करीब डेढ़ घंटे की स्पीच में 1 घंटा 7 मिनट के आसपास अमित शाह ने कहा कि अभी एक फैशन हो गया है….. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता….. और उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं….. आंबेडकर का नाम अभी सौ बार ज्यादा लो….. परंतु आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है ये मैं बताता हूं…. आंबेडकर जी को देश कि पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया…… गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि उन्होंने कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं….. उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी….. अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे….. आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था….. जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था…..

आपको बता दें कि नीतीश कुमार बार-बार सफाई दे रहे हैं…. और कह रहे- अब पिछली गलती नहीं करेंगे…. एनडीए में ही रहेंगे….. उनकी इस सफाई के बावजूद न भाजपा उनके साथ बने रहने को लेकर आश्वस्त है…. और विपक्षी गठबंधन इंडिया ही हतोत्साहित है…. इंडिया ब्लाक को अब भी उम्मीद है कि नीतीश फिर पाला जरूर बदलेंगे…. इंडिया ब्लाक का ऑफर शायद अब भी बरकरार है…. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहते केसी त्यागी ने कहा था कि इंडिया ब्लाक ने नीतीश कुमार को पीएम पद का ऑफर दिया था….. जनवरी 2024 की उस वर्चुअल बैठक के बाद ही नीतीश कुमार ने इंडिया ब्लाक छोड़ने का फैसला किया….. जिसमें राहुल गांधी ने बताया कि कांग्रेस उन्हें संयोजक बनाने को तैयार हैं….. लेकिन ममता बनर्जी नहीं चाहतीं….. इस पर नीतीश का नाराज होना स्वाभाविक था….. सहमति बना कर ही उन्होंने ममता बनर्जी को सबके साथ बैठने को राजी किया था….. उनमें कांग्रेस भी थी, जिससे ममता बनर्जी आज भी चिढ़ती हैं…. चिढ़ ऐसी कि बंगाल में कांग्रेस को नेस्तनाबूद कर दिया…. और अब राहुल गांधी की लीडरशिप को चुनौती दे रही हैं….. चुनौती भी गजब की…. पहले गोलबंदी की और बाद में कमान संभालने की रजामंदी का ऐलान भी कर दिया…..

आपको बता दें कि 28 जनवरी 2024 को नीतीश ने इंडिया ब्लाक का साथ छोड़ कर एनडीए में जाने का फैसला किया था…. चट मंगनी, पट ब्याह के तर्ज पर उन्होंने महागठबंधन सरकार गिरा दी….. और भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। सरकार बनी…. और नीतीश कुमार ने संकल्प दोहराया कि अब कभी आरजेडी के साथ नहीं जाएंगे…. उन्होंने यह सफाई साफ मन से दी या इसमें सियासत की कोई संभावना बचा कर रखी, यह तो वे ही जानें, पर उनकी सफाई पूरे साल समय-समय पर आती रही….. कभी पीएम नरेंद्र मोदी के सामने उन्होंने एनडीए से कभी अलग न होने की बात कही तो एक बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भी अपना संकल्प दोहराया…..

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