अब तो चेत जाओ सरकार सुन लो चीत्कार

  • विपक्ष के निशाने पर आई मोदी सरकार
  • मणिपुर में सीएम को बर्खास्त कर राष्टï्रपति शासन लगाने की मांग
  • नहीं रूक रही हिंसा, सेना का फ्लैग मार्च जारी
  • पीडि़ता का परिवार सदमे में लगाई न्याय की गुहार
  • पांचवां आरोपी गिरफ्तार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मणिपुर घटना का विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहां पर अब भी हिंसा भडक़ी हुई है पर मुख्यमंत्री स्थिति को संभाल नही पा रहे हैं। वहीं विपक्ष से लेकर राज्य की राज्यापल तक हालात पर चिंता व्यक्त कर रहे और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं जबकि केंद्र  सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। ज्ञात हो कि मई में शुरू हुई हिंसा में अब तक 170 से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठें। मणिपुर वायरल वीडियो मामले में पुलिस ने शनिवार (22 जुलाई) को एक और आरोपी को गिरफ्तार किया। महिलाओं के साथ हुई बर्बरता के मामले में ये पांचवी गिरफ्तारी की है। इस बीच राजधानी इम्फाल से एक बार फिर से हिंसा की खबर सामने आई है। इंफाल के गढ़ी इलाके में महिला प्रदर्शनकारियों ने मेन रोड को दोनों तरफ से ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने रोड पर टायर जलाए और पुलिस को कार्रवाई करने से रोक दिया। सूचना मिलते ही मणिपुर की सशस्त्र पुलिस, सेना और त्वरित कार्य बल के जवान मौके पर पहुंचे। सुरक्षा बलों ने तुरंत एक्शन लेते हुए स्थिति को अपने नियंत्रण में लिया। रोड पर जलाए गए टायरों इत्यादि को भी बुझा दिया गया. प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों ने विभिन्न इलाकों में संयुक्त रूप से फ्लैग मार्च किया है। मणिपुर में महिला को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में पुलिस ने पांचवें आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है. जबकि वीडियो में दिख रहे अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। बता दें कि इस वीडियो के सामने आने के बाद पीएम मोदी ने इसकी निंदा करते हुए इस घटना को शर्मनाक बताया। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया था कि इस घटना में जितने भी आरोपी शामिल हैं उन्हें जल्द ही पकडक़र कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। बाद में सूबे के मुख्यमंत्री ने पुलिस को इन आरोपियों को गिरफ्तार करने और पूरे मामले की जांच करने के आदेश भी दिए थे।

क्या बीजेपी अब मणिपुर फाइल्स फिल्म बनाकर देखेगी : उद्धव

मणिपुर हिंसा को लेकर उद्धव गुट की शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबरदस्त निशाना साधा है। मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी के मौन होने के बाद सामना में सवाल करते हुए लिखा गया है कि कश्मीर फाइल्स की तरह ही क्या अब बीजेपी मणिपुर फाइल्स बनाकर देखेगी? सामना में आगे लिखा गया है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने वाले वीडियो पर पीएम ने जो थोड़ा बहुत भी बोला वो मूल मुद्दे को भटकाने वाला है। महिलाओं का केरल में धर्मांतरण, उनका आइसिस से कनेक्शन आदि को लेकर द केरल स्टोरी बनाई गई,‘द कश्मीर फाइल्स’ एक एजेंडे की तरह निर्माण की गईं।

पहले भी लग चुका है राष्ट्रपति शासन

1993 में मणिपुर में दो तरह की जातीय हिंसा भडक़ गई। एक ओर मुस्लिम पंगल समुदाय और मैतई हिंदू आपस में भिड़े थे। वहीं, दूसरी ओर कुकी और नागा समुदाय के बीच भी जमकर हिंसा हो रही थी। 3 मई 1993 से पंगल मुस्लिम और मैतई हिंदुओं के बीच शुरू हुई हिंसा 5 मई को खत्म हो गई। 2 दिनों तक चली इस हिंसा में करीब 130 लोग मारे गए थे। वहीं, जनवरी 1993 में इंफाल से 40 किलोमीटर दूर नागाओं के गांव सदुखरोई पर हुए कुकी समुदाय के हमले के बाद भडक़ी हिंसा ने विकराल रूप ले लिया। मणिपुर की पहाडियों पर नागा और कूकी के बीच जमकर खून-खराबा होने लगा। 13 सितंबर को नागा आतंकवादियों ने जनवरी महीने में हुई घटना का बदला लगभग 100 कुकियों को मौत के घाट उतारकर लिया। सितंबर महीने तक इस हिंसा में मरने वालों की संख्या 400 हो गई। तब मणिपुर में तैनात भारतीय सेना के 57 माउंटेन डिविजन के मेजर-जनरल ए.के. सेनगुप्ता ने कहा था कि हालात बेहद गंभीर हैं। स्थानीय लोग उग्रवादियों से मिले हुए हैं, यही वजह है कि हिंसा रोक पाना मुश्किल है। इस हिंसा का सिर्फ पॉलिटिकल सॉल्यूशन है। जब हालात हाथ से निकलने लगे तो खुद उस समय के सीएम दोरेंद्र सिंह ने केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। इसके बाद 31 दिसंबर 1993 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा, जो अगले साल यानी 13 दिसंबर 1994 तक जारी रहा। तब जाकर मणिपुर में शांति स्थापित हुई।

https://www.youtube.com/watch?v=YuyKffTR054

सीएम को बर्खास्त कर, राष्ट्रपति शासन लगाएं : सिब्बल

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मणिपुर में शांति कायम करने का रास्ता बताया है। सिब्बल ने शनिवार को कहा कि मणिपुर में आगे बढऩे का एकमात्र रास्ता मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बर्खास्त करना और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना है। सिब्बल ने एक ट्वीट में कहा, आगे बढऩे का एकमात्र रास्ता, बीरेन सिंह को बर्खास्त करना, धारा 356 लागू करना, हमारे देश की महिलाओं से माफी मांगना। सिब्बल ने कहा, निर्भया के बाद से कुछ भी नहीं बदला है। उन्नाव, हाथरस, कठुआ, बिलकिस (दोषियों की रिहाई)। बेटी बचाओ पीएम जी!

पीडि़ता के पति ने सुनाई आपबीती, मां सदमे में

इस घटना को लेकर पीडि़त महिला के पति ने एक बयान दिया है। पति ने कहा कि भीड़ मेरी पत्नी पर जानवरों की तरह टूट पड़ी थी। उन्होंने कहा कि जिस दिन ये हुआ वो मेरे लिए सबसे दर्दनाक दिन था। उनकी पत्नी को भीड़ अपने साथ अलग से लेकर गई। उन्हें जबरदस्ती कपड़े उतारने के लिए भी मजबूर किया गया। पीडि़त महिलाएं और उनका परिवार सदमे में है। आरोपियों ने एक महिला के साथ हैवानियत की हरकत करने से पहले उसके पिता और भाई को उसके सामने मार डाला था। पीडिता की मां ने कहा कि तबाह हुए परिवार के कभी भी अपने गांव लौटने की कोई संभावना नहीं है। पीडि़त महिला की मां गहरे सदमे में हैं।

अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करे कें द्र

बता दें कि अनुच्छेद 356 के अनुसार, किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लगाया जा सकता है जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए कि राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सके। मणिपुर में चार मई का एक वीडियो वायरल होने के बाद बुधवार को तनाव और बढ़ गया, जिसमें एक संघर्षरत समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष के पुरुषों के एक समूह द्वारा नग्न घुमाते हुए दिखाया गया है।

मैंने जिंदगी में इतनी हिंसा नहीं देखी : राज्यपाल

मणिपुर के हालात पर वहां की राज्यपाल अनुसुइया उइके को कहना पड़ा- अपनी पूरी जिंदगी में मैंने कभी इतनी हिंसा नहीं देखी है। उन्होंने कहां 70 हजार लोग बेघर हो गए। 5 हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाएं हुईं। करीब 170 लोगों की मौत हो गई। महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया जा रहा है। ये शर्मनाक है।

पीएम ने की राजस्थान के स्वाभिमान पर चोट : गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक जयपुर में कहा कि मुझे अफसोस है मणिपुर जल रहा है। 150- 200 लोग मारे गए, किसी को पता नहीं 500, 1000 भी मर गए होंगे। पर पीएम राजस्थान पर राजनीति कर रहे हैं, जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने ब्रीफ किया और उन्होंने दुख प्रकट किया और कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के मुख्यमंत्री को मैं कहना चाहूंगा कि आप शांति बनाए रखें । यह प्रधानमंत्री की राजस्थान के स्वाभिमान पर चोट है।

Related Articles

Back to top button