हर गुनाह का देना होगा हिसाब अब इन नौकरशाहों को

 

नई दिल्ली। अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और लेबर कमिश्नर आरएस ऋषि ने मिलकर कई लड़कियों के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई।इ स मामले के मुख्य आरोपियों द्वारा सबूतों को नष्ट करना, दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर पूरा कांड किया जाना और पीडि़ता के बयान आपस में मेल खा रहे हैं। इस मामले की शुरूआत एक महिला के आरोपों के बाद हुई थी लेकिन ज्यों-ज्यों परतें खुलती गईं तो इसमें कई लड़कियों के पीडि़त होने के पुख्ता सबूत मिल गए हैं।
एसआईटी टीम ने इन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के पुख्ता सबूत जुटा लिये हैं। उनका मानना है कि ये आरोपों को सिद्ध करने के लिए ये पर्याप्त हैं। अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और तीन अन्य पर बलात्कार और आपराधिक साजिश सहित कई आरोप संगीन आरोप हैं। इस मामले में सबसे पहली शिकायत पोर्ट ब्लेयर की एक 21 वर्षीय निवासी ने दर्ज कराई थी। लडक़ी ने पहले अंडमान निकोबार पुलिस के सामने और बाद में एसआईटी को विस्तार से बताया कि कैसे नारायण ने दो मौकों पर उसका हिंसक यौन उत्पीडऩ किया। और कैसे फिर केंद्र शासित प्रदेश के लेबर कमिश्नर भी उसमें शामिल हो गए थे।
जितेंद्र नारायण न्यायिक हिरासत में हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एसआईटी ने इस केस की डिटेल बताई है। इस मामले में कैसे एक संरक्षित गवाह ने तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के आधिकारिक आवास पर आने वाली अधिक महिलाओं के बारे में गवाही दी है। 900 से अधिक पन्नों की चार्जशीट से पता चला है कि जितेंद्र नारायण के दोनों सह-आरोपी ऋषि और होटल मालिक संदीप सिंह ने अपने बयानों में घटनाओं के सटीक क्रम की पुष्टि की है जैसा कि पहले ही मामले को बताया गया था। तीनों आरोपी पोर्ट ब्लेयर में न्यायिक हिरासत में हैं।
माना जा रहा है कि जांच के दौरान नारायण और ऋषि का आमना-सामना हुआ था। इस दौरान दोनों से सवाल-जवाब किए गए थे। सबूत के लिए इसकी बाकायदा वीडियोग्राफी भी की गई थी। इस दौरान ऋषि ने अपने खुलासे वाले बयान की पुष्टि की और कहा कि नारायण ने उन्हें महिलाओं को लाने के लिए कहा था। जांच में सामने आया है कि मामले की कई सबूतों को मिटाया गया है। इस रैकेट के तहत 20 से अधिक महिलाओं को एक साल से अधिक समय के अंदर कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर स्थित पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के घर लाया गया। इनमें से कई महिलाओं को यौन शोषण के बाद जॉब भी दी गई।
इन्वेस्टिगेशन के दौरान नारायण और ऋषि का आमना-सामना हुआ था और मुठभेड़ की वीडियोग्राफी सबूत के तौर पर की गई थी। इस दौरान पता चला है कि ऋषि ने अपने खुलासे वाले बयान की पुष्टि की और कहा कि नारायण ने उनसे महिलाओं को अपने घर लाने के लिए कहा था। ऋषि ने यह भी स्वीकार किया कि वे एक और पीडि़त को मुख्य सचिव के आवास पर ले गए। सूत्रों ने कहा कि स्ढ्ढञ्ज को दो गुमनाम पत्र मिले हैं जिसमें अधिक पीडि़तों का आरोप लगाया गया है।
दो टॉवर लोकेशन ट्रैक के लिए, फोन कॉल रिकॉर्ड, रूट मैप और कई डिजिटल ट्रेल्स के विवरण मिले हैं। जो ये साफ करते हैं कि इस मामले में लगाए गए आरोप सही हैं। नारायण और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, सत्ता में बैठे व्यक्ति द्वारा यौन संबंध, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश के आरोपों से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराएं लगाई गई हैं। इसके अलावा स्ढ्ढञ्ज ने एक और धारा जोड़ दी है
इस केस में एफआईआर एक अक्टूबर 2022 को दर्ज की गयी थी। उस वक्त नारायण दिल्ली वित्त निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे। सरकार ने 17 अक्टूबर को नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। महिला ने में दावा किया है कि उसके पिता और उसकी सौतेली मां उसकी आर्थिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही थी, इसलिये उसे एक नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने उसका परिचय लेबर कमिश्नर से कराया। क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे। उसने यह भी दावा किया कि मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों में केवल सिफारिश के आधार पर और बिना किसी औपचारिक साक्षात्कार के 7800 उम्मीदवारों की नियुक्ति की है। महिला ने कहा कि उसे सरकारी नौकरी दिलाये जाने का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर पर ले जाया गया, जहां 14 अप्रैल और एक मई को उसके साथ बलात्कार किया गया।

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