सरकार की तानाशाही के खिलाफ विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
- खरगे बोले- मोदी सरकार नहीं चाहती चले सदन
- संसद भवन से विजय चौक तक इंडिया गठबंधन ने निकाला विरोध मार्च
- संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अब तक 14६ विपक्षी सांसदों को किया गया निलंबित
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आम जनमानस के मुद््दों से इतर देश में इस समय सांसदों के निलंबन और उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सियासत जारी है। केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का भरसक प्रयास कर रही है। इसकी एक झलक संसद के शीतकालीन सत्र में भी देखने को मिली। जहां पर खबर लिखे जाने तक संसद के दोनों सदनों यानी कि लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। इन सांसदों को इसलिए निलंबित किया गया क्यों ये संसद में सुरक्षा चूक के मामले पर चर्चा की मांग कर रहे थे।
संसद के इतिहास में पहली बार इतने बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया है। विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ पूरे विपक्ष ने आज संसद भवन से विजय चौक तक मार्च निकाला। इस मार्च में इंडिया गठबंधन के दलों ने हिस्सा लिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की साथ ही सेव डेमोक्रेसी के पोस्टर भी दिखाए। साथ ही संभावना है कि संसद का शीतकालीन सत्र भी एक दिन पहले आज ही समाप्त हो सकता है।
पीएम और गृह मंत्री बाकी जगह बोलते हैं, लेकिन सदन में नहीं : खरगे
विरोध मार्च के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार ये नहीं चाहती कि सदन चले। लोकतंत्र में सवाल करना हमारा हक है। हम सवाल उठा रहे हैं कि संसद सुरक्षा में जो चूक हुई, उस पर प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी बयान दें। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी बाकी जगहों पर बात कर रहे हैं लेकिन वे सदन में बयान नहीं दते हैं, ये सदन का अपमान है। उन्होंने कहा कि मैं माफी चाहता हूं कि राज्यसभा चेयरमैन साहब ने जो मुद््दा उठाकर इसे जातिवाद पर ले आए हैं। लोकतंत्र में बात करना हमारा हक है। लोगों की भावनाओं को संसद में बताना हमारा कर्तव्य है।
संसद में जो हुआ वो देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ : शरद पवार
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम हमेशा संस्थाओं का सम्मान करते हैं। संसद में जो हुआ वह देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। 150 सांसदों को सदन से बाहर करने का ऐतिहासिक काम किया गया है। जिनकी सिर्फ एक ही मांग थी कि सरकार की ओर से बयान दिया जाए कि जो लोग सदन के सदस्य नहीं थे वो सदन में कैसे आए। उन्हें पास किसने जारी किया? यह संसद का अधिकार है। ं मिमिक्री विवाद पर पवार ने कहा कि अगर कोई संसद के बाहर कुछ करता है मेरे खिलाफ कुछ कहता है और मैं कहूं कि यह मराठों और किसानों का अपमान है। मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा।
सरकार ने संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं का किया अपमान : थरूर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में हम ऐसी स्थिति देख रहे हैं जिसमें सरकार, जिसकी जिम्मेदारी संसद चलाने की है, अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं ले रही है। सरकार ने जो किया वह अस्वीकार्य था और उन्होंने संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं का सम्मान नहीं किया। जब सांसदों ने गृह मंत्री की उपस्थिति और मुद््दे पर चर्चा की मांग की तो उन्हें संसद से निलंबित कर दिया गया।
सरकार कर रही अपनी मन मर्जी : अधीर रंजन
हमारे जो मूल मुद्दे थे, उससे हटकर मोदी सरकार ने मनमाफिक इतना बड़ा बिल पारित कर दिया। ये देश और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरनाक है। इसका दूरगामी असर होगा। यह सरकार हर चीज की अनदेखी कर रही है और बहुमत के बाहुबल से अपनी मर्जी चला रही है। ये देश को अंधेरे की ओर धकेलने का काम कर रहे हैं और हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
रामराज्य में राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार के पास शराब ही एकमात्र विकल्प
- नई आबकारी नीति पर वरुण गांधी ने योगी सरकार को घेरा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अक्सर अपनी ही भाजपा सरकार पर निशाना साधने वाले और सत्ता से सवाल करने वाले बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है। वरुण अक्सर ही प्रदेश व केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहते हैं। अब वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति को लेकर योगी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने शराब को लेकर सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। वरुण गांधी ने आज यानी कि बृहस्पतिवार 21 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि क्या ‘रामराज्य’ में सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के लिए इससे (शराब से) बेहतर विकल्प नहीं है? बता दें कि योगी सरकार ने नई शराब नीति को मंजूरी दी है। नई नीति के तहत रेलवे और मेट्रो स्टेशन पर भी अब शराब का प्रीमियम ब्रांड उपलब्ध होगा।
सांसदों का निलंबन संसदीय इतिहास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण : मायावती
- बसपा सुप्रीमो बोलीं- विपक्ष विहीन संसद ठीक व्यवस्था नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर जारी सियासत के बीच अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है। विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि विपक्ष विहीन संसद ठीक व्यवस्था नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक होना भी एक गंभीर मामला है। संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान करीब डेढ़ सौ सांसदों का निलंबन संसदीय इतिहास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के विश्वास को आघात पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का मानना है कि मौजूदा संसद सत्र में करीब 150 सांसदों का निलंबन विपक्ष या सरकार के लिए कोई गुड वर्क या अच्छा कीर्तिमान नहीं है। बता दें कि अब तक निलंबित 143 में से लोकसभा के 118 और राज्यसभा के 25 सांसद हैं।
संसद सुरक्षा के आरोपियों पर हो कड़ी कार्यवाही
बसपा प्रमुख ने कहा कि हाल ही में संसद की सुरक्षा में जो सेंध लगाई गई है, ये ठीक नहीं है। यह बेहद गंभीर और चिंता का विषय है। ऐसे में हमें मिलकर संसद की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा। आरोपियों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होना भी बेहद जरूरी है। ऐसे में खुफिया विभाग को सतर्क रहने की जरूरत है। आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके।
बसपा सभी धर्मों का सम्मान करती है
बसपा को धर्म निरपेक्ष बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा सभी धर्मों का सम्मान करती है और उसे अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और जल्द निर्मित होने वाली मस्जिद के उद्धघाटन पर कोई ऐतराज नहीं है। हालांकि, धर्मस्थलों की आड़ में हो रही घिनौनी राजनीति से देश का भला नहीं होगा, बल्कि इससे लोगों के बीच नफरत बढ़ेगी।