दिल्ली-देहरादून हाईवे पर धर्म की जबरन पुष्टि कराने की घटना पर ओवैसी का हमला, बोले- यह संविधान की खुली अवहेलना
ओवैसी ने कहा, मुजफ्फरनगर हाईवे के पास कई होटल और ढाबे हैं जो वर्षों से चल रहे हैं. अब अचानक इन पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दिल्ली -देहरादून हाईवे पर कांवड़ यात्रा के दौरान एक विवादास्पद और चिंताजनक घटना सामने आई है। रिपोर्टस के मुताबिक, कुछ लोगों ने ढाबा मालिकों से जबरन उनके धर्म की पुष्टि कराने के लिए पैंट उतारने को मजबूर किया। इस घटना को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में आक्रोश देखा जा रहा है।
ओवैसी ने घटना को बताया शर्मनाक, उठाए प्रशासन पर सवाल
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे”शर्मनाक, असंवैधानिक और प्रशासन की नाकामी” करार दिया। ओवैसी ने कहा:”यह घटना देश के संविधान और कानून व्यवस्था की खुली अवहेलना है। ऐसे लोग कौन हैं जो धर्म की जबरन जांच कर रहे हैं, और प्रशासन मौन क्यों है?” उन्होंने इसे “सोची-समझी साजिश” बताते हुए सवाल उठाया कि क्या अब आम लोगों की पहचान भी भीड़ तय करेगी?
क्या है पूरा मामला?
कांवड़ यात्रा के दौरान हाईवे पर कुछ युवकों द्वारा ढाबा संचालकों और कर्मचारियों से उनका धर्म पूछना, और संदेह होने पर उनसे पैंट उतरवाना जैसी घटना सामने आई है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, यह पूरी घटना धार्मिक पहचान की जबरन पुष्टि को लेकर हुई। इस घटनाक्रम ने धार्मिक असहिष्णुता और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई ठोस बयान या कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है। ओवैसी ने कहा कि यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो यह सामाजिक विभाजन और अधिक गहरा हो सकता है। ओवैसी ने कहा, मुजफ्फरनगर हाईवे के पास कई होटल और ढाबे हैं जो वर्षों से चल रहे हैं. अब अचानक इन पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? 10 साल पहले कांवड़ यात्रा शांतिपूर्वक निकलती थी, तब किसी को इन ढाबों से दिक्कत क्यों नहीं थी?
आज ये लोग जाकर ढाबा मालिकों से पैंट उतारने को कह रहे हैं, ये कौन होते हैं? उन्होंने प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए कहा, क्या ये निगरानी समूह सरकार चला रहे हैं, या प्रशासन का कोई वजूद नहीं बचा है? पुलिस क्या कर रही है? अगर ये लोग जबरन नागरिकों की पहचान की जांच कर रहे हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही?
एक विशेष वर्ग को बनाया जा रहा है निशाना
ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि एक विशेष वर्ग को निशाना बनाया जा सके. उन्होंने कहा, आप होटल में जाकर किसी से जबरन आधार कार्ड मांग रहे हैं, पैंट उतरवा रहे हैं, ये सरासर गैरकानूनी है. आप कौन होते हैं ऐसा करने वाले? क्या अब कल को स्टूडियो में घुसकर भी पहचान पूछने लगेंगे? उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे मामलों में उनकी क्या भूमिका है और क्या वे इन ‘निगरानी समूहों’ को बढ़ावा दे रही है.
तेलंगाना में हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग
इस बीच, तेलंगाना के मेडचल जिले में सिगाची फार्मा फैक्ट्री में हुए विस्फोट को लेकर भी ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि इसमें 36 से अधिक लोगों की जान गई है, जिनमें कई झारखंड के मजदूर हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के घटनास्थल पर पहुंचने से उम्मीद जगी है कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच होगी और अगर फैक्ट्री प्रबंधन की कोई लापरवाही पाई गई, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इसके अलावा ओवैसी ने बिहार में चुनावों से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण के मुद्दे पर भी चिंता जताई है. उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि इस अभ्यास से लाखों लोगों का मताधिकार और आजीविका खतरे में पड़ सकती है. उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए.



