दलित IPS की मौत पर सियासी चुप्पी! BJP-RSS को दलित की शहादत तक मंजूर नहीं

दलित IPS अधिकारी की मौत के बाद भी न्याय की लौ ठंडी नहीं हुई... परिवार अब तक अंतिम संस्कार से इनकार पर अड़ा है... लेकिन BJP सरकार...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पुरन कुमार दलित समुदाय से थे.. उन्होंने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित अपने घर में खुद को गोली मार ली.. 52 वर्षीय कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे.. और हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर जनरल के पद पर तैनात थे.. उनकी मौत ने न सिर्फ पुलिस महकबे को हिला दिया.. बल्कि पूरे देश में जातिगत भेदभाव और नौकरशाही में ऊंच-नीच की कड़वी सच्चाई को सामने ला खड़ा किया.. कुमार ने अपनी आठ पेज की सुसाइड नोट में 10 से 16 वरिष्ठ आईएएस.. और आईपीएस अधिकारियों के नाम लिए.. जिन्हें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया.. इनमें हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर.. और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजरानिया जैसे बड़े नाम शामिल थे..

वहीं परिवार ने पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार तक इंतजार करने का फैसला किया है.. उनकी मांग है कि एफआईआर में सभी आरोपी अधिकारियों के नाम साफ-साफ लिखे जाएं.. और एससी/एसटी एक्ट के सख्त धाराओं को जोड़ा जाए.. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आश्वासन दिया था.. लेकिन अब चुप्पी साध ली है.. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे जातिगत उत्पीड़न का शिकार बताते हुए बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधा.. और उन्होंने कहा कि दलित आईपीएस अधिकारी को इतना जातिगत उत्पीड़न सहना पड़ा कि उसने अपनी जान दे दी.. दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.. यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है.. बल्कि भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में दलित अधिकारियों के संघर्ष की आईना है..

वाई. पुरन कुमार का जन्म हरियाणा के एक साधारण दलित परिवार में हुआ था.. वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे.. और कड़ी मेहनत से आईपीएस बनने का सपना पूरा किया.. 2001 बैच के अधिकारी के रूप में वे हरियाणा कैडर में शामिल हुए.. उनकी सेवा यात्रा में कई उपलब्धियां हैं.. वे राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित थे.. जो उनके उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया जाता है.. कुमार ने अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं.. वे इंस्पेक्टर जनरल के पद पर थे.. और चंडीगढ़ में रहते थे.. उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार भी आईएएस अधिकारी हैं.. जो हरियाणा सरकार के विदेश सहयोग विभाग में कमिश्नर और सेक्रेटरी हैं.. दंपति के दो बच्चे हैं.. जो इस त्रासदी में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए..

कुमार का करियर हमेशा चुनौतियों से भरा रहा.. दलित होने के कारण उन्हें कई बार पदोन्नति और ट्रांसफर में भेदभाव का सामना करना पड़ा.. 2020 से उनकी परेशानियां बढ़ गईं.. एक घटना में जब वे अंबाला के एक थाने में मंदिर गए.. तो वहां जातिगत टिप्पणियां हुईं.. इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की.. वे छुट्टी के लिए आवेदन देते, लेकिन मंजूर नहीं होती.. एक बार उनके पिता की मौत से पहले छुट्टी न मिलने पर वे टूट गए.. वाहन और आवास आवंटन में भी अड़चनें डाली गईं.. गुमनाम शिकायतें उनके खिलाफ भेजी जाती.. जो जांच के बहाने उन्हें अपमानित करती.. कुमार ने कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखे.. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.. बल्कि, ये पत्र उनके खिलाफ हथियार बन गए.. सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि वे साजिश का शिकार हो गए थे..

आपको बता दें कि कुमार एक ईमानदार अधिकारी थे.. वे सामाजिक न्याय के पक्षधर थे.. और दलित समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत थे.. रिटायर्ड आईएएस राजेश खुल्लर हरियाणा के मुख्य प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे.. उन्होंने उन्हें हमेशा समर्थन दिया.. नोट में कुमार ने लिखा, केवल राजेश खुल्लर ने मेरी मदद की.. बाकी सभी ने उन्हें तोड़ा.. यह कहानी बताती है कि कैसे सिस्टम में दलित अधिकारी ऊंचे पद पर पहुंचकर भी असुरक्षित रहते हैं..

वहीं अब दलित आईपीएस अधिकारी वाई पुरन कुमार के परिवार ने पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार के लिए शर्तें रख दी हैं.. परिवार ने कहा है कि पोस्टमार्टम और दाह संस्कार तभी किया जाएगा.. जब तक एफआईआर में संशोधन करके डीजीपी शत्रुजीत कपूर.. और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिरजानिया के नाम शामिल नहीं किए जाते.. पुलिस ने आरोपियों के नाम न लिखकर सीधे यह लिखा है कि सुसाइड नोट में जो नाम हैं वो आरोपी हैं.. जबकि पुरन कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार ने अपनी लिखित शिकायत में डीजीपी शत्रुजीत कपूर.. और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिरजानिया के नाम लिखे थे.. क्योंकि उनके पति ने भी कुल 8 अफसरों में इन दोनों का खासतौर पर उल्लेख किया था… इस मामले में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आश्वासन के बावजूद चुप्पी साध ली है.. 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पुरन कुमार ने चंडीगढ़ सेक्टर 11 स्थित अपने आवास पर खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी…

पुरन कुमार के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा दिए गए वादे के अनुसार इन दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर जाने के लिए कहा जाना चाहिए.. और उन्होंने गुरुवार को परिवार को आश्वासन दिया था कि दोनों अधिकारियों को भेजने का फैसला शाम 5 बजे तक ले लिया जाएगा.. हालांकि, कुछ नहीं हुआ.. गिरफ़्तारियां बाद में भी हो सकती हैं.. लेकिन न्यूनतम कार्रवाई बिना किसी देरी के होनी चाहिए.. सीएम के वादे को एक दिन होने जा रहा है.. लेकिन कोई एक्शन सरकार की ओर से नहीं हुआ..

जानकारी के अनुसार, हरियाणा के मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने परिवार से मुलाकात की.. और उनसे अंतिम संस्कार की अनुमति देने का आग्रह किया.. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि हमने उनके माध्यम से सरकार को सूचित कर दिया है कि.. दोनों अधिकारियों को पहले छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए.. और उन्होंने आगे कहा कि सरकार अच्छी तरह जानती है कि इस त्रासदी में परिवार की मदद के लिए उसे क्या करना है.. इस बीच आईएएस एसोसिएशन ने शाम को शोक सभा आयोजित की..

आपको बता दें कि आईएएस अधिकारी पत्नी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस को पत्र लिखकर उसकी एफआईआर पर सवाल उठाए हैं.. और उन्होंने एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की कमजोर धाराओं को ठीक करने की मांग की है.. चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार रात देर से एफआईआर दर्ज की.. जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 108 आरडब्ल्यू 3(5)) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) एक्ट की धारा 3(1)(R) के तहत आरोप लगाए गए हैं.. यह एफआईआर अमनीत की बुधवार को दर्ज शिकायत और ‘फाइनल नोट’ पर आधारित है.. पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि फाइनल नोट में उल्लिखित आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.. आगे की जांच जारी है..

हालांकि, एफआईआर के कॉलम नंबर 7 में आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखे गए हैं.. बल्कि केवल फाइनल नोट के अनुसार लिखा है.. अमनीत ने शुक्रवार को एसएसपी कंवरदीप कौर को लिखे पत्र में इसकी शिकायत की.. और उन्होंने कहा कि एफआईआर की अनसाइन कॉपी में अपूर्ण जानकारी है.. और आरोपीयों के नाम, खासकर डीजीपी शत्रुजीत कपूर तथा एसपी नरेंद्र बिजरनिया के नाम, दर्ज नहीं हैं.. जो आत्महत्या का ट्रिगर पॉइंट थे..

 

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