लाल किले पर नेता प्रतिपक्ष की सीट को लेकर सियासी घमासान

प्रधानमंत्री के भाषण पर भी उठे सवाल

  • कांग्रेस बोली- भारत के लोगों का एनडीए सरकार ने किया अपमान
  • रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई खिलाडिय़ों की वजह से ऐसा किया गया
  • पीएम के संबोधन पर बसपा व शिवसेना यूबीटी ने उठाए सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सीट अरेजमेंट व प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है। पार्टी ने आरोप है कि राहुल गांधी को पांचवीं पंक्ति में बिठाया गया जो विपक्ष के नेता के प्रोटोकॉल के खिलाफ़ है।
पार्टी का कहना है कि लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री का दर्ज़ा हासिल होता है। वहीं रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ऐसा ओलंपिक खिलाडिय़ों को जगह देने के लिए किया गया जिसके चलते कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी पीछे की पंक्ति में बिठाया गया। गौरतलब हो कि साल 2013 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब लाल कि़ले पर मुख्य कार्यक्रम में लोकसभा में विपक्ष का नेता शरीक हुए, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2014 और 2019 चुनावों के बाद कांग्रेस को इतनी सीटें नहीं मिल सकी थीं कि पार्टी के किसी नेता को लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा मिल सके।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी के साथ बैठे थे राहुल

स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम की आयी तस्वीरों में देख सकते हैं कि राहुल गांधी नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी के बगल में बैठे है। और उनसे बातें करते दिखाई दे रहे हैं। समारोह के मुख्य मंच की बाईं तरफ़ बैठे राहुल गांधी के आगे ओलंपिक में पदक जीतने वाले कुछ खिलाड़ी भी देखे जा सकते हैं। इसमें राहुल गांधी आगे से पांचवीं पंक्ति में बैठे देखे जा सकते हैं।

सरकार राहुल गांधी से घबराती है : श्रीनेत

पार्टी की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सरकार राहुल गांधी से घबराती है क्योंकि वो सरकार पर सीधा हमला करते हैं।

गणमान्य व्यक्तियों के बैठने के लिए प्रोटोकॉल का अनुसरण किया गया : रक्षा मंत्रालय

लाल किले पर होने वाले इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन रक्षा मंत्रालय की निगरानी में होता है। विवाद उठने के बाद मंत्रालय के सूत्रों ने जानकारी दी कि ऐसे समारोहों में गणमान्य व्यक्तियों के बैठने के लिए प्रोटोकॉल का अनुसरण किया जाता है, इस साल ओलंपिक पदक विजेताओं को सम्मान देने का फ़ैसला किया गया था, कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी पदक विजेताओं के पीछे बिठाया गया था।

संवैधानिक व्यवस्था को कम्युनल कहना उचित नहीं : मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पीएम नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक नागरिक संहिता वाले बयान को लेकर निशाना साधा है। सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म है। मायावती ने को एक्स पर लिखा, पीएम द्वारा कल 15 अगस्त को लाल किले से बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को कम्युनल कहना क्या उचित है?

शाह और सीतारमण को आगे सीट क्यों दी गई : वेणुगोपाल

कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने एक्स पर पूछा कि ओलंपिक खिलाडिय़ों को सम्मान मिलना चाहिए लेकिन फिर अमित शाह और निर्मला सीतारमण जैसे केंद्रीय मंत्रियों को खिलाडिय़ों के आगे सीट क्यों दी गई।

पीएम का भाषण नहीं चुनाव प्रचार था : शिवेसना

कोलकाता हाईकोर्ट ने लगाई प्रशासन को कड़ी फटकार

मेडिकल कॉलेज में हुई तोडफ़ोड़ पर अदालत सख्त

  • बोले न्यायाधीश- राज्य मशीनरी पूरी तरह नाकाम अस्पताल बंद करना ही बेहतर होगा

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज डॉक्टर रेप कांड पर बवाल अभी जारी है। उधर बुधवार की आधी रात कुछ लोगों द्वारा अस्पताल परिसर में घुसकर आपातकालीन विभाग में तोडफ़ोड़ की घटना को लेकर कोलकात हाईकोर्ट ने प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस घटना पर चिंता जताते हुए राज्य मशीनरी को पूरी तरह नाकाम बताया है।
वहीं, कोर्ट ने सलाह दी है कि बेहतर होगा अस्पताल बंद किया जाए। वहीं, अस्पताल में मौजूद मरीजों को किसी दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए। ज्ञात हो कि आरजी कर अस्पताल के निकट पुलिस बैरिकेड तोड़कर कर भीड़ परिसर में घुस गई। कुछ लोगों ने कुर्सियां और बोर्ड तोड़ दिए। यह घटना तब हुई जब जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं कोलकाता की सड़कों प्रदर्शन कर रही थीं। अस्पताल में हुई तोडफ़ोड़ को लेकर पुलिस ने जानकारी दी थी कि 30-40 युवक अंदर घुसकर तोडफ़ोड़ की है। बड़ी बात यह है कि पुलिस के सामने ही तोडफ़ोड़ होती रही। इस पर अब प्रश्न यह उठने लगा है कि क्या महिलाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन से ध्यान हटाने के लिए तो सुनियोजित घटना तो नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को कोर्ट ने एक अस्पताल में तोडफ़ोड़ से जुड़ा एक ईमेल मिलने के बाद लिया है।

7000 लोग ऐसे ही तो चलकर नहीं आ सकते : चीफ जस्टिस

हाईकोर्ट ने आगे कहा, आप सीआरपीसी की धारा 144 कभी भी लगा देते हैं, लेकिन जब इतनी सारी चीजें अस्पताल के पास चल रही हैं तो कम से कम पूरे क्षेत्र की घेराबंदी करनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी भी जगह पर 7000 लोग ऐसे ही तो चलकर नहीं आ सकते।

भाजपा व अन्य विपक्षी दलों का प्रदर्शन जारी

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा दोनों शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन करेगी। भाजपा महिला मोर्चा द्वारा मुख्यमंत्री के कालीघाट आवास तक कैंडल मार्च भी निकाला जाएगा। दूसरी तरफ, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी दोषियों को फांसी की सजा की मांग को लेकर कोलकाता में रैली का नेतृत्व करेंगी। इस रैली के जरिए ममता सरकार दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग करेगी।

सीएम ममता बनर्जी निकालेंगी रैली

आरसीकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई अत्याचार के खिलाफ सीएम ममता बनर्जी की अगुआई में आज टीएमसी रैली निकालेगी। रैली की जानकारी देते हुए तृणमूल सांसद और प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि कोलकाता में एक युवती की हत्या और बलात्कार की घटना से अधिक क्रूर और जघन्य अपराध की कल्पना करना कठिन है। बता दें कि फिलहाल इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। बता दें कि ममता बनर्जी ने कहा कि दोषियों को अगले रविवार तक फांसी दे दी जानी चाहिए। इसको लेकर उन्होंने सीबीआई को अल्टीमेटम दिया है।

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