फिल्म से गरमाई सियासत

केरल स्टोरी को लेकर भाजपा व विपक्ष में रार

  • तमिलनाडु व बंगाल में बैन, यूपी व मप्र में टैक्स फ्री
  • बीजेपी ने कहा सत्य की कहानी, विपक्ष ने कहा प्रोपेगेंडा
  • विपक्ष ने बीजेपी शासित राज्यों के आंकड़े निकाले

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केरल स्टोरी फिल्म सियासत के घेरे में आ गई है। बीजेपी जहां इसके समर्थन है वही विपक्ष के कुछ दल इसको प्रोपेगेंडा फिल्म बता रहे हैं। भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने इसे सत्य बताने वाला फिल्म बताया है तो असदुदीन ओवैसी ने इस फिल्म के तथ्यों को सिरे खारिज कर दिया है। हालांकि पिक्चर के ट्रेलर के बाद ही यह फिल्म कॉट्रोवर्सी में आ गई थी। पिछले कुछ साल से देखने को मिल रहा कि फिल्में सियासी खेमों में बंट गई हैं। यहां तक तो ठीक है अब तो कलाकार भी गुटबाजी के शिकार हो गए हैं।
यह पहली फिल्म नहीं है जो विवादों में आई है इससे पहले द कश्मीर फाइल्स, पद्मावत व पठान भी आलोचकों व सियासी दलों के निशाने पर आ चुके हैं। जबरदस्त कॉन्ट्रोवर्सी के बीच 5 मई को रिलीज कर दी गई। फिल्म को एक तरफ सपोर्ट किया जा रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ विरोध भी हो रहा है। विवादों में उलझी द केरल स्टोरी रिलीज के बाद भी परेशानियां झेल रही है। फिल्म को कई राज्यों में बैन कर दिया गया है। इनमें से पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु शामिल हैं। वहीं मप्र व उप्र जैसे राज्य इसे टैक्स फ्री कर चुके हैं। कुल मिलाकर बीजेपी शासित राज्यों में इसको बढ़ावा मिल रहा है जबकि गैर बीजेपी सरकारें इसको बैन कर रही हैं। केरला स्टोरी को लेकर बीजेपी लगातार मुखर है और कहा जा रहा है कि ये असली सच्चाई है, इतनी सारी लड़कियां केरल से गायब हो गईं और किसी को पता भी नहीं चला, पीएम मोदी ने भी चुनावी मंचों से इस फिल्म का जिक्र किया। वहीं बीजेपी शासित राज्य इस फिल्म को टैक्स फ्री भी कर रहे हैं।
केरला स्टोरी को लेकर देशभर में विवाद हो रहा है, कोई इस फिल्म को एक प्रोपेगेंडा बता रहा है तो कोई इसकी जमकर तारीफ करने में लगा है। केरल से कई लड़कियों के गायब होने और उनके धर्म परिवर्तन को लेकर बनाई गई इस फिल्म के बीच कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो हैरान कर देने वाले हैं, ये आंकड़े केरल से नहीं, बल्कि देश के बाकी राज्यों से हैं, जिनमें बताया गया है कि कैसे रोजाना सैकड़ों महिलाएं और नाबालिग लड़कियां गायब हो रही हैं। ये आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के हैं।

गुजरात-महाराष्ट्र मेें गायब हुई हजारों लड़कियां

अब केरल को लेकर सवाल उठा रही बीजेपी को काउंटर करने के लिए विपक्षी दलों की तरफ से एनसीआरबी डेटा निकाला गया है। जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े दिखाए गए हैं। बीजेपी शासित राज्य गुजरात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है। जहां पिछले 5 साल में 40 हजार लड़कियों के गायब होने का दावा किया गया है। गुजरात के अलावा महाराष्ट्र जैसे राज्यों के आंकड़े भी काफी हैरान कर देने वाले हैं। एनसीआरबी के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। साल 2021 में कुल 3,89,844 लोगों के मिस होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिनमें 2,65,481 महिलाएं शामिल थीं। ये आंकड़ा 2020 से काफी ज्यादा था। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के मुकाबले 2021 में मिसिंग मामलों में 20.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि लापता लोगों में से ज्यादातर को ट्रेस कर लिया गया, इसके मुताबिक कुल 3,85,124 लोग (1,23,716 पुरुष, 2,61,278 महिलाएं) इसी साल या तो मिल गए या फिर उन्हें ट्रेस कर लिया गया। वहीं नाबालिगों की बात करें तो इसका आंकड़ा भी काफी चौंकाने वाला है। साल 2021 में कुल 77,535 बच्चे लापता हुए, जिनमें 17,977 लडक़े और 59,544 लड़कियां शामिल थीं। जो पिछले साल यानी 2020 के मुकाबले करीब 30.8 फीसदी ज्यादा थी. हालांकि इनमें से 58,980 बच्चों को ट्रेस और रिकवर कर लिया गया।
लापता महिलाओं के मामले में तीसरा नंबर महाराष्ट्र का है। जहां कुल 60435 महिलाएं लापता हुईं, जिनमें से 2021 तक 39805 महिलाओं को ट्रेस कर लिया गया। वहीं 20630 महिलाएं लापता ही रहीं. नाबालिग लड़कियों में कुल 3937 लापता हुईं, जिनमें से 2021 तक 2752 को रिकवर कर लिया गया था। बाकी 1185 का पता नहीं लग पाया।

उखड़े सुदीप्तो-बोले, दीदी पहले फिल्म देखें

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस फैसले पर अब डायरेक्टर सुदीप्तो सेन ने रिएक्ट किया है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि ममता बनर्जी बिना फिल्म को देखें कैसे इसे बैन करने का फैसला ले सकती हैं। सुदीप्तो सेन ने कहा, कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ममता बनर्जी ने फिल्म को देखें बिना ये फैसला कर लिया, बिना देखें वो कैसे निर्णय कर सकती हैं कि ये फिल्म राज्य के लिए खतरा है। उन्होंने आगे कहा, कि आप जानते हैं कि मेरी फिल्म की घोषणा हुई तो इसे निश्चित तौर पर ब्लॉकबस्टर बताया गया। कोलकाता के लोगों ने पूरे दिल से मेरी फिल्म देखी। फिल्म के विरोध में एक भी घटना किसी भी थिएटर्स के बाहर नहीं हुई, बल्कि लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया, क्योंकि मैं एक बंगाली हूं और मैंने ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर फिल्म बनाई। फिर ना जाने कल शाम ममता दीदी को क्या इनपुट मिला और उन्होंने अचानक फिल्म को बैन कर दिया। पुरानी फिल्मों के बैन पर बात करते हुए सुदीप्तो सेन कहा, ममता दीदी और महुआ मोइत्रा जी ऐसी महिलाएं है जो फ्री स्पीच की चैंपियन रही हैं। उन्होंने ह्यूमन राइट्स से लिए हमेशा आवाज उठाई है। जब बीबीसी की डॉक्युमेंट्री पर बैन की बात हुई तो ममता बनर्जी ने फिल्म को सपोर्ट किया। जब पद्मावत पर बैन लगाने की बात हुई तो ममता बनर्जी पहली राजनेता थीं, जो फिल्म के समर्थन में आईं। अब उनकी तरह से ऐसा एक्शन लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित निर्णय है। मैं ममता दीदी से अनुरोध करता हूं कि वो खुद पहले फिल्म को देखें और फिर फैसला करें कि क्या फिल्म के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट की दर पर पहुंची केरल स्टोरी

नई दिल्ली। फिल्म द केरल स्टोरी पर रोक लगाने से मना करने के केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से मामले में जल्द सुनवाई का अनुरोध किया, जिसके बाद चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने 15 मई को सुनवाई की बात कही। केरल हाईकोर्ट ने 5 मई को फिल्म द केरल स्टोरी की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यह कहते हुए कि केरल का धर्मनिरपेक्ष समाज फिल्म को उसी रूप में स्वीकार करेगा, जैसी वह है, केरल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि फिल्म, जो काल्पनिक है न कि इतिहास, समाज में कैसे सांप्रदायिकता और संघर्ष पैदा करेगी। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या पूरा ट्रेलर समाज के खिलाफ था। अदालत ने फिल्म के सेंसर प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच पर विचार करते हुए कहा, सिर्फ फिल्म दिखाए जाने से कुछ नहीं होगा। फिल्म का टीजर नवंबर में रिलीज किया गया था। फिल्म में आपत्तिजनक क्या था? यह कहने में क्या गलत है कि अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है? देश नागरिकों को यह अधिकार देता है कि वे अपने धर्म और ईश्वर को मानें और उसका प्रसार करें। ट्रेलर में आपत्तिजनक क्या था?

पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर

मध्य प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल महिलाओं के लापता होने के मामले में दूसरे नंबर पर है। जहां कुल 64276 महिलाएं लापता हुईं, जिनमें 2021 तक 35464 महिलाओं का पता लगा लिया गया। हालांकि 35110 को ट्रेस नहीं किया जा सका। करीब 51.6 प्रतिशत महिलाओं को रिकवर किया गया। नाबालिग बच्चियों में कुल 13278 लड़कियों की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज हुई, जिनमें 7669 को 2021 तक ट्रेस कर लिया गया। कुल 5609 लड़कियों का पता नहीं लग पाया।

आंकड़ों में केरल

सबसे पहले आपको उस केरल के आंकड़े बताते हैं, जिसे लेकर विवाद हो रहा है, केरल में कुल 6608 महिलाएं लापता हुईं, जिनमें 6242 महिलाओं को 2021 तक रिकवर या ट्रेस कर लिया गया था. यानी 366 महिलाएं एक साल में ऐसी थीं, जिन्हें खोजा नहीं जा सका, वहीं अगर नाबालिग लड़कियों की बात करें तो कुल 951 लड़कियों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई, जिनमें से 2021 तक 919 को रिकवर कर लिया गया. 32 लड़कियों का पता नहीं चल पाया।

ओडिशा-राजस्थान भी पीछे नहीं

इस लिस्ट में चौथा नंबर ओडिशा का है. जहां कुल 35981 महिलाएं लापता हुईं, जिनमें से 2021 तक 16806 महिलाओं का ही पता लग पाया। वहीं 19175 महिलाएं लापता ही रहीं। नाबालिगों की बात करें तो ओडिशा में कुल 6399 बच्चियां लापता हुईं, जिनमें से 2021 तक 3943 लड़कियों को रिकवर कर लिया गया। हालांकि 2456 बच्चियों का पता नहीं लग पाया। पांचवें नंबर पर राजस्थान आता है, एनसीआरबी के मुताबिक राजस्थान में कुल लापता महिलाओं की संख्या 30182 थी, जिनमें से 2021 तक 18401 को रिकवर या ट्रेस कर लिया गया, लेकिन 11781 महिलाओं का पता नहीं लग पाया. वहीं नाबालिगों की बात करें तो कुल 4935 बच्चियां लापता हुईं, जिनमें से 2021 तक 4172 को रिकवर कर लिया गया। यानी 763 बच्चियों को ट्रेस नहीं किया जा सका। इनके अलावा बाकी राज्यों में दिल्ली (29676), तमिलनाडु (23964), छत्तीसगढ़ (22126), तेलंगाना (15828), गुजरात (15221), बिहार (14869), कर्नाटक (14201), हरियाणा (12622), उत्तर प्रदेश (12249) और पंजाब में कुल 7303 महिलाओं के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मिसिंग केस

अब उन राज्यों की बात कर लेते हैं, जिनकी ये खौफनाक स्टोरी जानना आपके लिए जरूरी है. महिलाओं के लापता होने के मामले में सबसे ऊपर मध्य प्रदेश है. जहां कुल 68,738 महिलाएं लापता हो गईं. जिनमें से 2021 तक सिर्फ 35464 का ही पता लग पाया. बाकी 33274 महिलाओं का पता नहीं लगाया जा सका. नाबालिगों की बात करें तो कुल 13034 लड़कियों की मिसिंग रिपोर्ट लिखाई गई. जिनमें से 2021 तक 10204 लड़कियों का पता लगा लिया गया, वहीं 2830 बच्चियों का पता नहीं लग पाया.

लापता होने के अलग-अलग कारण

देश के अलग-अलग राज्यों में हजारों की संख्या में महिलाओं और बच्चियों के लापता होने के अलग-अलग कारण हैं। कई राज्यों से महिलाओं को बहला-फुसलाकर दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है, जहां उनसे देह व्यापार जैसे काम कराए जाते हैं, इनमें से ज्यादातर महिलाओं का पता नहीं लग पाता, इनमें शादी और नौकरी देने का लालच सबसे ज्यादा होता है, इसके अलावा विदेश में नौकरी के बहाने से भी लड़कियों की ट्रैफिकिंग की जाती है।

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