मोदी-शाह पर बढ़ने लगा दबाव, नीतीश ने कुर्सी छोड़ने से किया इनकार?

नीतीश कुमार के नाम पर लगेगी मुहर या भाजपा करने वाली है कोई बड़ा खेला? जब से बिहार के नतीजे आए हैं तभी से यह सवाल सत्ता की गलियारों में गूंज रहा है

4पीएम न्यूज नेटवर्क: नीतीश कुमार के नाम पर लगेगी मुहर या भाजपा करने वाली है कोई बड़ा खेला? जब से बिहार के नतीजे आए हैं तभी से यह सवाल सत्ता की गलियारों में गूंज रहा है क्योंकि जेडीयू समेत एनडीए के अन्य दलों ने नीतीश कुमार का समर्थन किया है।

मगर अभी तक मोदी-शाह ने नीतीश कुमार के नाम पर मुहर नहीं लगाई है। इस बीच खबर आई है कि नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ सचिवालय पहुंचकर कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं। कैबिनेट में विधानसभा भंग करने कैबिनेट के इस्तीफे पर मुहर लगनी है जिसके बाद नीतीश कुमार राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे। इस दौरान नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के सम्राट चौधरी समेत कई मंत्री नजर आए।

अब देखिये किस पार्टी के कितने नेताओं को कैबिनेट में जगह दी जाएगी और किसको किसको क्या क्या पद मिलेगा इस पर चर्चा जोर पकड़ रही है।ऐसे में ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार अपना इस्तीफा देेने के बाद क्या दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ ले पाएंगे या नहीं। क्या उनके नाम पर मुहर लग चुकी है या भाजपा अभी उनके साथ कोई बड़ा खेला कर सकती है। इन सब को लेकर विस्तार से चर्चा करेंगे इस वीडियो में।

बिहार की राजनीति ऐसी है जिसमें हर घंटे कहानी बदल जाती है, और हर नई सूचना पिछले अंदाजों को धुंधला कर देती है। इस बार भी चुनाव नतीजे आने के बाद जो माहौल बना है, वह बिल्कुल वैसा ही है जैसा बिहार की राजनीति में हमेशा देखा जाता रहा है—सस्पेंस, चर्चाएँ, दावे, अनुमान और एक अनकहा डर कि कहीं फिर कोई बड़ा खेल न हो जाए। नतीजे घोषित हुए, एनडीए को 202 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला और जेडीयू समेत गठबंधन के अन्य दलों ने साफ शब्दों में कहा कि अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे।

लेकिन पूरी तस्वीर उतनी साफ नहीं है जितनी ऊपर से दिख रही है। एनडीए के पास बहुमत है, जेडीयू के पास समर्थन है, बरसों का तजुर्बा है, लेकिन फिर भी भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। यही बात पूरे घटनाक्रम को और पेचीदा बना देती है। ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार का सचिवालय पहुँचना और अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ कैबिनेट की अंतिम बैठक करना एक अहम संकेत माना जा रहा है।

इस बैठक में विधानसभा भंग करने की प्रक्रिया पर मुहर लगनी थी और कैबिनेट के इस्तीफे को भी मंजूरी देनी थी। नीतीश कुमार अपनी पूरी टीम के साथ बैठे और प्रक्रियाएँ पूरी कीं, फिर वो राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने निकले। उनके साथ बीजेपी के सम्राट चौधरी सहित कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे। यह दृश्य देखने वालों को यही लग रहा था कि सबकुछ बिल्कुल सामान्य तरीके से आगे बढ़ रहा है, और नीतीश कुमार का दोबारा शपथ लेना लगभग तय है। लेकिन राजनीति कभी केवल दिखने पर नहीं चलती। कैबिनेट के इस्तीफे और विधानसभा भंग होने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद भाजपा की चुप्पी से सवालों का अंबार लग गया है।

लोग पूछ रहे हैं कि आखिर भाजपा ने अब तक नीतीश कुमार के नाम पर मुहर क्यों नहीं लगाई? क्या भाजपा फिर किसी बड़े खेल की तैयारी कर रही है? क्या भाजपा कोई नया चेहरा लाना चाहती है? या फिर वह केवल दबाव बनाकर मंत्रालयों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है? इन सवालों के जवाब अभी तक हवा में तैर रहे हैं और यही अनिश्चितता बिहार की राजनीति को और रोचक बना रही है। बिहार में इस समय सबसे बड़ा घटनाक्रम भाजपा विधायक दल की बैठक को लेकर है। भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने घोषणा की कि सोमवार सुबह 10 बजे अटल सभागार में बैठक होगी। इस बैठक में भाजपा अपना विधायक दल का नेता चुनेगी और केंद्र से पर्यवेक्षक भी आएंगे।

उधर जेडीयू के नेता भी लगातार सक्रिय हैं। वरिष्ठ नेता संजय झा और ललन सिंह की अमित शाह के साथ मुलाकात ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया। दिल्ली में हुई इन बैठकों के बाद यह माना जा रहा है कि विभागों के बंटवारे से लेकर सरकार के ढांचे तक सब पर चर्चा हो चुकी है। इस बीच पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद की भी मुलाकात की खबर आई, जिसने भाजपा और जेडीयू के रिश्तों को लेकर और भी हलचल पैदा कर दी। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि 20 नवंबर को शपथ कौन लेगा?

क्या यह नीतीश कुमार होंगे, जैसा कि पिछले कई दिनों से संकेत मिल रहे हैं? या भाजपा अपने भीतर से कोई नया नाम लेकर आएगी? कुछ लोग कहते हैं कि भाजपा इस बार डिप्टी सीएम की संख्या बढ़ाना चाहती है, कुछ कहते हैं कि वह स्पीकर का पद भी अपने हाथ में लेना चाहती है, और कुछ का दावा है कि भाजपा इस बार नीतीश कुमार को उनकी राजनीतिक सीमाओं का अहसास कराना चाहती है। लेकिन दूसरी ओर यह भी सच है कि एनडीए को जिस बड़े बहुमत के साथ जीत मिली है, उसमें नीतीश कुमार की भूमिका और उनकी पकड़ को नजरअंदाज करना आसान नहीं है।

पटना में गांधी मैदान को लेकर भी बड़ा आदेश आया है। जिलाधिकारी ने घोषणा की कि 17 नवंबर से 20 नवंबर तक गांधी मैदान पूरी तरह से आम जनता के लिए बंद रहेगा। इस दौरान शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियाँ होंगी, सुरक्षा बढ़ाई जाएगी, और मैदान में प्रवेश केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही मिलेगा। पंडाल बनाने का काम शुरू हो चुका है, स्टेज की तैयारी चल रही है, सुरक्षा एजेंसियाँ तैनात की जा चुकी हैं और यह लगभग तय माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह यहीं होगा। यह आदेश एक तरह से संकेत देता है कि शपथ ग्रहण की तारीख लगभग फाइनल हो चुकी है और केवल घोषणा बाकी है।

राजनीतिक हलचल के बीच एक और बयान चर्चा में रहा—नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार का। उन्होंने कहा कि यह जीत बिहार की जनता का आशीर्वाद है और वे इसके लिए जनता को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने पिछले 20 सालों में राज्य के विकास के लिए लगातार मेहनत की है और जनता ने उस काम पर भरोसा जताते हुए उन्हें फिर से मौका दिया है। उनका यह बयान कई लोगों के लिए एक प्रकार का इमोशनल संकेत था, जो यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि परिवार की ओर से भी यही उम्मीद है कि नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने भी एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण 20 तारीख को ही होगा, और मंत्री पदों को लेकर चर्चा भी लगभग पूरी हो चुकी है। मांझी ने यह भी संकेत दिया कि गठबंधन के भीतर सबकुछ सहमति से हो रहा है और कोई विवाद नहीं है।

यह बयान भाजपा की चुप्पी के बीच एक अलग तरह का भरोसा देता है कि कम से कम सहयोगी दल नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर किसी उलझन में नहीं हैं। अब पूरा घटनाक्रम यही कहता है कि भाजपा ने विधायक दल की बैठक बुला ली है, नीतीश कुमार आज इस्तीफा दे रहे हैं और कैबिनेट के भंग होने के बाद कल से नई सरकार की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल वही है—20 को शपथ कौन लेगा? क्या भाजपा नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाएगी? या भाजपा कोई ऐसा फैसला सुनाएगी जो बिहार की राजनीति को एक बार फिर झकझोर देगा? फिलहाल ऐसा लगता है कि जो तस्वीर सामने है, वह पूरी तरह तय नहीं है।

नीतीश कुमार के लंबे अनुभव, राजनीतिक पकड़, गठबंधन के भीतर स्वीकार्यता और उनके नेतृत्व में एनडीए की जीत को देखते हुए यह माना जा रहा है कि वो ही शपथ लेंगे। लेकिन भाजपा की खामोशी ने इस सीधे-सीधे दिखने वाले रास्ते को थोड़ा टेढ़ा कर दिया है। इसीलिए पूरा बिहार सिर्फ एक बात का इंतजार कर रहा है कि कल होने वाली बैठकों और भाजपा के आधिकारिक फैसले का। अब सबकी निगाहें उस एक घोषणा पर टिकी हैं जिससे पता चलेगा कि बिहार की सत्ता की कमान किसके हाथ में जाएगी।

क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनकर अपनी निरंतरता को कायम रखेंगे, या भाजपा अंतिम वक्त में कुछ ऐसा करेगी जिससे पूरी कहानी बदल जाएगी? यह जानने के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, लेकिन फिलहाल पूरा बिहार एक गहरे राजनीतिक सस्पेंस की स्थिति में है, और यही सस्पेंस आने वाले दिनों को और दिलचस्प बना देता है।

Related Articles

Back to top button