संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के रुख पर मोदी सरकार पर तिलमिलाईं प्रियंका
- महासचिव बोलीं- भारत के रवैये से मैं शर्मसार
- हमास-इजराइल युद्ध पर महासभा के विशेष सत्र का हुआ आयोजन
- मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए पेश प्रस्ताव पर भारत ने नहीं लिया भाग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा होने के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियों ने जनता को लुभाने के लिए नए-नए वादे करने भी शुरू कर दिए हैं। नेताओं ने भी एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में हमास-इजराइल युद्ध भी चुनावी मंचों पर मुद बनता जा रहा है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए पेश प्रस्ताव पर भारत को मतदान से अलग रखने पर वह मोदी सरकार भडक़ गई हैं। उन्होंने भारत के इस रुख पर बड़ी हैरानी जताई और जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि वह भारत के इस रुख पर शर्मिंदा हैं।
वही मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल बजते ही पार्टियों में वार-पलटवार की राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच नेताओं की रैलियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। कांग्रेस भी एड़ी चोटी का दम लगाए बैठी है। जनता के बीच पहुंचे कमलनाथ ने लोगों से बीते दिन एक अजीबोगरीब वादा किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर चुनाव बाद काम न हो तो मेरा कुर्ता पकड़ लेना। वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा पर हमला बोला है। बघेल ने राजस्थान में ईडी की छापेमारी पर निशाना साधा है और उसकी तुलना जानवरों से की। उन्होंने कहा कि ये सब भाजपा अपने चुनावी हार के डर से करवा रही है। उधर केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार नरेन्द्र सिंह तोमर ने मुरैना में कांग्रेस और कमलनाथ पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ और अन्य कांग्रेसी मौसूमी हिंदू हैं। चुनाव आते ही उन्हें भगवान राम की याद आती है… कमलनाथ को जवाब देना चाहिए कि उनकी पार्टी ने राम मंदिर और राम सेतु का विरोध क्यों किया। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद सिंह पटेल ने छिंदवाड़ा में कहा कि कांग्रेस चुनाव के समय हमेशा भ्रम फैलाने का काम करती है। दिग्विजय सिंह को पूरी देश की चिंता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई गलती करेगा तो कानून और एजेंसियां अपना काम करेंगी।
आखिर और कितनी जानें गंवाने के बाद जागेगी सामूहिक चेतना : प्रियंका
गांधी ने कहा कि गाजा में सात हजार लोगों की हत्या के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है। इन मरने वालों में से तीन हजार मासूम बच्चे थे। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कोई ऐसा अंतरराष्टï्रीय कानून नहीं, जिसे कुचला न गया हो। कोई ऐसी मर्यादा नहीं, जिसे तार-तार न किया गया हो। कोई ऐसा कायदा नहीं, जिसकी धज्जियां न उड़ी हों। आगे कहा कि लोगों की सामूहिक चेतना आखिर और कितनी जानें जाने के बाद जागेगी या ऐसी कोई चेतना अब बची ही नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि जब मानवता के हर कानून को ध्वस्त कर दिया गया है, तो ऐसे समय में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है। प्रियंका ने महात्मा गांधी के उस कथन का भी उल्लेख किया कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है। उन्होंने कहा, मैं हैरान और शर्मिंदा हूं कि हमारा देश गाजा में संघर्ष-विराम के लिए हुए मतदान में अनुपस्थित रहा। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी। इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं। वे भारत के उस नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतरराष्टï्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में उसके कदमों का मार्गदर्शन किया है। जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तब रुख अपनाने से इनकार करना और चुपचाप देखना गलत है। प्रियंका ने कहा कि यह उन सभी चीजों के विपरीत है, जिनके लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा खड़ा रहा है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों पक्षों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया
इस्राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और नागरिकों की जान की क्षति पर चिंतित भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में इस्राइल-हमास युद्ध पर अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और आश्चर्यजनक नुकसान पर गहराई से चिंतित है। जारी संघर्ष में नागरिकों की जान जा रही है। क्षेत्र में शत्रुता बढऩे से मानवीय संकट और बढ़ेगा। सभी पक्षों के लिए अत्यधिक जिम्मेदारी प्रदर्शित करना आवश्यक है।
महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में पड़े थे 120 वोट
गौरतलब है, इस्राइल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए जॉर्डन की तरफ से पेश प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है। यूएनजीए ने प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया है। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 14 वोट पड़े। वहीं 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा था। प्रस्ताव में इस्राइल और हमास के बीच मानवीय आधार पर तत्काल संघर्षविराम का आह्वान किया गया है। साथ ही यह बिना किसी रुकावट के गाजा तक मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान करता है, जिसमें पानी, बिजली और वस्तुओं के वितरण को फिर से शुरू करना शामिल है। कनाडा ने इस्राइल पर हमास के हमले की निंदा के लिए प्रस्ताव में एक संशोधन पेश किया, जो खारिज हो गया। हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि हमास के साथ युद्ध में इस्राइल का मजबूती से समर्थन करने वाले ब्रिटेन और जर्मनी मतदान से अनुपस्थित रहे। अमेरिका, इस्राइल, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, फिजी, ग्वाटेमाला, हंगरी, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने जॉर्डन द्वारा पेश प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था।
कुछ लोग बुराई के मजे लेते हैं: राउत
उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना के नेता संजय राउत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजित पवार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर अजित पवार के सामने शरद पवार की बुराई हो रही थी और इसके मजे पीएम मोदी व भाजपा नेता ले रहे थे, तो खुद को गौरवान्वित मराठा कहने वाले अजित को मंच से चले जाना चाहिए था। राउत ने कहा कि कल तक शरद पवार की मदद से कई काम हो रहे थे। पीएम मोदी खुद को उनका चेला बताते थे। शरद पवार को कृषि और समाजिक क्षेत्र में ज्ञान रखने और योगदान के लिए पद्म विभूषण सम्मान भी मिल चुका है। तब नहीं लगा कि उस नेता ने क्या किया है। उन्होंने कहा कि लेकिन अब राजनीति है। महाराष्ट्र में चुनाव है। उनकी पार्टी तोड़ दी है। उनको कमजोर कर दिया है। महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता पर ऐसी टिप्पणी करते हो तो राज्य के लोग यह बात याद रखेंगे।