प्रत्याशी घोषित करते ही BJP कर्नाटक में शुरू हुआ विरोध
बेंगलुरु। हर बीतते दिन के साथ लोकसभा चुनाव की घड़ी करीब आती जा रही है। ऐसे में सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। देश के सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 400 पार के लक्ष्य को तय किया है। अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा हर दांव आजमा रही है। वो कभी चुनाव से पहले अपनी सत्ता वाले राज्यों के मुख्यमंत्री बदल रही है। तो कहीं वो अपने ही सिटिंग सांसदों के ही टिकट काट रही है। इस सबके पीछे भाजपा का मकसद सिर्फ और सिर्फ अपने 400 पार के लक्ष्य को प्राप्त करना है। हालांकि, ये लक्ष्य भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है। लेकिन फिर भी भाजपा इस लक्ष्य के तहत ही बनाई गई अपनी रणनीति पर काम कर रही है। बीजेपी की इस रणनीति में बूथ कैडर से लेकर मौजूदा सांसदों का टिकट काटना, राज्य के मुख्यमंत्री तक बदलना शामिल है।
बीजेपी अपनी इस रणनीति के माध्यम से जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है। अपनी इसी रणनीति के तहत भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए घोषित किए जाने वाले अपने उम्मीदवारों में कई सिटिंग सांसदों के टिकट काट रही है और उनकी जगह नए चेहरों को मौका दे रही है। तो वहीं जो भी सांसद विवादों में रहा है या जिसको लेकर थोड़ी निगेटिव इमेज बन सकती है। उसको भी इस बार उम्मीदवार बनाने से पार्टी कतरा रही है। हालांकि, ये अलग बात है कि किसानों पर गाड़ी चढ़ाने वाले आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ का टिकट भाजपा ने इतने विरोध और विवाद के बाद भी नहीं काटा। उन्हें लखीमपुर से फिर से पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन फिर भी कुछ एक अन्य प्रदेशों में पार्टी कई सांसदों के टिकट काट रही है।
इसकी एक झलक भाजपा की दूसरी सूची में भी देखने को मिली। जिसमें पार्टी ने 72 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इस सूची में भाजपा ने कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 20 के लिए भी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इसमें भाजपा ने कर्नाटक के 10 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं और उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया है। इसके पीछे भाजपा की रणनीति अपने 400 पार के लक्ष्य को पाना ही बताई जा रही है। बीजेपी ने नए चेहरों में मैसूर शाही परिवार के सदस्य यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार, प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञ और देवेगौड़ा के दामाद डॉ. सीएन मंजूनाथ और पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को मैदान में उतारने का फैसला किया है।
भाजपा ने दक्षिणी राज्य के लिए लोकसभा उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची में नए चेहरों को लाने की कोशिश की है। ताकि कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के साथ-साथ उन सीटों पर जाति संतुलन भी बनाया रखा जा सके। इतना ही नहीं भाजपा ने अपने कुछ मौजूदा सांसदों को बरकरार रखा है और कुछ की जगह बदलकर जोखिम भी लिया है। कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि बीजेपी हाईकमान ने उन लोगों को टिकट दिया है, जिन्हें अगर इनकार किया जाता तो वे भाजपा की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते थे। उनमें से कुछ सीटों पर कोई वैकल्पिक विकल्प भी नहीं था।
पार्टी ने जिन नेताओं को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है उनमें अन्ना साहेब शंकर जोले (चिक्कोडी), पीसी गद्दीगौदर (बगलकोट), रमेश जिगाजिनागी (बीजापुर-एससी), उमेश जाधव (गुलबर्गा-एससी), भगवंत खुबा (बीदर), प्रह्लाद जोशी (धारवाड़), बीवाई राघवेंद्र (शिवमोग्गा), पीसी मोहन (बैंगलोर सेंट्रल), और तेजस्वी सूर्या (बैंगलोर साउथ) के नाम शामिल हैं। वहीं खनन कारोबारी और विधायक जनार्दन रेड्डी के करीबी विश्वासपात्र बी श्रीरामुलु बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ेंगे। ये वो ही श्रीरामुलु हैं जो कर्नाटक विधानसभा चुनाव हार गए थे और पहले लोकसभा में बेल्लारी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
भाजपा ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को भी लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है। बोम्मई के ही नेतृत्व में भाजपा ने 2023 विधानसभा चुनाव लड़ा था और 224 में से 66 सीटें जीतीं। बोम्मई प्रदेश में पार्टी की सत्ता बचाने में कामयाब नहीं हो पाए थे। इस बार लोकसभा के लिए उनको हावेरी सीट से उतारा गया है। जबकि वी सोमन्ना, जिन्होंने वरुणा विधानसभा सीट पर वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को टक्कर दी थी। उनको तुमकुर सीट से उतारा गया है। बसवराज क्यावतूर (कोप्पल) और एस बालाराज (चामराजनगर) लोकसभा चुनाव में एंट्री कर रहे हैं। गायत्री सिद्धेश्वर दावणगेरे सीट पर अपने पति, पूर्व राज्य मंत्री जीएम सिद्धेश्वर की जगह लेंगी। इसके अलावा भाजपा प्रवक्ता एस प्रकाश ने कर्नाटक के लिए घोषित नामों की सूची को “संतुलित” बताया। उन्होंने कहा कि जीतने की क्षमता ही मानदंड है। बीजेपी चुनाव में जीत हासिल करेगी और 20 से अधिक सीटें जीतेगी।
इस बार पार्टी ने जिन नेताओं का टिकट काटा है। उनमें मैसूर से विवादास्पद सांसद प्रताप सिम्हा का नाम शामिल है। ये वो ही प्रताप सिम्हा हैं जिन्होंने दिसंबर माह में संसद की सुरक्षा में सेंधमारी करने वाले आरोपियों को विजिटर पास उपलब्ध कराया था। दरअसल, विजिटर पास पर सिम्हा के ही हस्ताक्षर पाए गए थे। सिम्हा की जगह मैसूरु शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को टिकट मिली है। दूसरा बड़ा बदलाव दक्षिण कन्नड़ सीट है, जहां मौजूदा सांसद नलिन कुमार कतील की जगह कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के वर्तमान नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी ने ले ली है।
कतील ने तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जबकि पुजारी ने कर्नाटक में भाजपा शासन के दौरान राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। मंगलुरु में भाजपा युवा मोर्चा नेता प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्या के बाद कतील को अपनी सीट पर सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। उनके इस मामले को संभालने के तरीके से स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। दरअसल, क्षेत्र में घटकों का एक बड़ा हिस्सा बिलावा समुदाय कतील से नाराज है और इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी दे दी गई है। इसके अलावा चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा को भी बेंगलुरु उत्तर लोकसभा सीट से हटा दिया गया है।
उनकी जगह शोभा करंदलाजे को टिकट दिया गया। जो पहले तटीय उडुपी-चिक्कमगलूर सीट से सांसद चुनी गई थीं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके गौड़ा ने नवंबर में चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी। वह कथित तौर पर उम्मीदवारों की सूची तैयार करते समय सलाह नहीं लिए जाने से भाजपा से नाराज थे। वहीं कुछ सूत्रों का ये भी कहना है कि एक कथित वायरल वीडियो ने 2021 में नेता की किस्मत तय कर दी। वीडियो में गौड़ा को कथित तौर पर एक अज्ञात महिला से बात करते हुए सुना गया। बाद में नेता ने उनकी छवि खराब करने की बात भी कही थी।
इसके अलावा भाजपा ने जिन अन्य मौजूदा सांसदों को टिकट काटा है, उनमें जीएस बसवराजू (तुमकुर), कराडी संगन्ना अमरप्पा (कोप्पल), वाई देवेंदप्पा (बेल्लारी), शिवकुमार उदासी (हावेरी) और वी श्रीनिवास प्रसाद (चामराजनगर) शामिल हैं। प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सीएन मंजूनाथ, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। वो बेंगलुरु ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार के सांसद डीके सुरेश के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। जो कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भाई भी हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र को वोक्कालिगा का गढ़ और शिवकुमार बंधुओं का गढ़ माना जाता है। यहां डॉ. मंजूनाथ को मैदान में उतारकर बीजेपी को वोक्कालिगा समुदाय के गढ़ में कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। जिस समुदाय का देवेगौड़ा परिवार चेहरा माना जाता है। हालांकि, डीके शिवकुमार के भाई के सामने जीत हासिल करना सीएन मंजूनाथ के सामने भी एक बड़ी चुनौती होगी।
केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे को उडुपी चिक्कमगलुरु के बजाय बेंगलुरु उत्तर लोकसभा सीट पर स्थानांतरित कर दिया गया है। चिक्कमगलूर में स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ ‘गो बैक शोभा’ अभियान शुरू किया था और उन्हें सीट से टिकट दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। विरोध प्रदर्शन में शामिल स्थानीय नेताओं ने दावा किया कि हालांकि उन्होंने दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन पार्टी के ब्लॉक कमेटी नेताओं में भी उनका कोई परिचित नहीं था। एक और आश्चर्यजनक उम्मीदवार कैप्टन ब्रिजेश चौटा हैं, जिन्हें मौजूदा दक्षिण कन्नड़ सांसद नलिन कुमार कतील की जगह टिकट दिया गया है।
वहीं प्रत्याशियों के ऐलान के बाद भाजपा की कर्नाटक इकाई में विरोध भी शुरू हो गया है। बीजेपी की कर्नाटक इकाई के अंदर राज्य के लिए पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों की सूची को लेकर आंतरिक उथल-पुथल मची है। निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव पर नाराजगी व्यक्त की गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा की जगह बेंगलुरु उत्तर से शोभा करंदलाजे को मैदान में उतारा गया है। सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरु उत्तर से मौजूदा सांसद गौड़ा इस बात से नाखुश हैं कि उनकी सीट केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे को दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व से पूछा कि बेंगलुरु में शोभा की हिस्सेदारी क्या है? और फैसले को “अनुचित” बताया है। तटीय कर्नाटक के संघ परिवार के नेताओं ने कथित तौर पर बीजेपी से कहा है कि शोभा करंदलाजे की जगह विधायक कोटा श्रीनिवास पुजारी को उडुपी चिकमंगलूर सीट से टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। हालांकि, पार्टी ने टिकट दे दिया है। बीजेपी ने हावेरी सीट से बसवराज बोम्मई को चुनावी रण में उतारा है। रेस में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का भी नाम चर्चा में बना रहा। हालांकि, जिले के नेताओं ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि बाहरी लोगों को मैदान में उतारने से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
साफ है कि भाजपा ने कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 20 पर अपने प्रत्याशी तो घोषित कर दिए हैं। लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा होते ही प्रदेश भाजपा इकाई में विरोध भी शुरू हो गया है। क्योंकि कई नेता व उनके समर्थक अपने नेता का टिकट कटने पर या संसदीय क्षेत्र बदले जाने पर नाराज हैं और पार्टी के फैसले का विरोध कर रहे हैं। अब देखना ये है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले समय रहते ये नाराजगी कैसे दूर कर पाती है।