मतदाता सूची नए सिरे से तैयार करने पर उठे सवाल
नीतीश और मोदी डरे हुए हैं : तेजस्वी

- कांग्रेस ने राज्य मशीनरी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया
- चुनाव से 2 महीने पहले वोटर लिस्ट सत्यापन को लेकर भडक़े राजद नेता
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने चुनावी राज्य बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्देश जारी किए हैं। इसका मतलब है कि बिहार के लिए मतदाता सूची नए सिरे से तैयार की जाएगी। अब इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े किए है। तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की है। इसका मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को दरकिनार कर दिया गया है और एक नई सूची बनाई जाएगी।
तेजस्वी से सवाल किया कि चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है? मांगे गए दस्तावेज़ ऐसे हैं जो गरीबों के पास शायद ही हों। हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाए। वे समाज के गरीब तबके से वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे राज्य मशीनरी का इस्तेमाल करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर करने का जोखिम है।
जन सुराज की जीत जनता की जीत होगी : पीके
जन सुराज के संस्थापकप्रशांत किशोर ने कहा कि हमारा एक ही लक्ष्य है कि बिहार की जनता इस बार नंबर वन रहेगी, लालू यादव, नीतीश कुमार और पीएम मोदी सब नीचे जाएंगे। यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी। उन्होंने कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार, नेताओं की लूट के कारण 30-35 सालों से गरीबी में जी रहे हैं, जिनके बच्चे अनपढ़ रह गए, जिनके बच्चे मजदूर बन गए, अब सब जाग चुके हैं। सबने तय कर लिया है कि बिहार में शिक्षा और रोजगार के लिए नई व्यवस्था लानी है।
एनआरसी से भी ज्यादा खतरनाक योजना: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कदम को एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से भी ज़्यादा ख़तरनाक बताया और आरोप लगाया कि उनका राज्य, जहाँ अगले साल चुनाव होने हैं, असली ‘लक्ष्य’ है। आपको बता दें कि सभी मतदाताओं को गणना प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा, तथा 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को आयोग द्वारा निर्दिष्ट दिशा-निर्देशों और अनुसूची के अनुसार अपनी नागरिकता सिद्ध करने वाले दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे।



