पीएम मोदी किसी की सुनते नहीं: राहुल
- शादी की योजना नहीं बना रहा हूं, लेकिन होती है तो ठीक
- बोले- मुझे ऐसे व्यक्तिसे समस्या है जो मान लेता है कि वह ही सही है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। नेता प्रतिपक्ष व कांग्र्रेस नेता राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में अपने दौरे के दौरान कई लोगों से मुलाकात की। उन्हीं लोगों में से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा प्रधानमंत्री के साथ मेरी समस्या यह है कि वह किसी की बात नहीं सुनते हैं। मुझे ऐसे किसी भी व्यक्ति से समस्या है जो शुरू से मान लेता है कि वह सही हैं, यहां तक कि अगर उसे कोई कुछ दिखा रहा है कि वह गलत है, तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में इस प्रकार का व्यक्ति हमेशा कोई न कोई समस्या पैदा करता है। उनका कहना था कि यह असुरक्षा से आता है, यह ताकत से नहीं आता है। यह कमजोरी से आता है।
कांग्रेस नेता ने जम्मू-कश्मीर में आगाम विधानसभा चुनाव के बारे में भी बात की और छात्राओं से कहा कि यह भारतीय इतिहास में पहली बार है कि किसी प्रदेश से उसका पूर्ण राज्य का दर्जा छीन लिया गया है। जिस तरह से यह किया गया, वह हमें पसंद नहीं आया। लेकिन, अब हमारे लिए सिद्धांत राज्य का दर्जा वापस पाना है और इसमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों को प्रतिनिधित्व शामिल है। राहुल ने कहा कि इस प्रदेश को दिल्ली से चलाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाई और कहा कि इस केंद्र शासित प्रदेश को दिल्ली से चलाने का कोई मतलब नहीं है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह शादी करने की योजना नहीं बना रहे हैं, लेकिन अगर होती है तो ठीक है, हालांकि वह 20-30 वर्षों से शादी के दबाव से बाहर निकल चुके हैं। राहुल ने पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर की यात्रा के दौरान कश्मीरी छात्राओं के साथ बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कश्मीरी छात्राओं के साथ बातचीत की। इसमें जब कश्मीर की छात्राओं ने उनसे शादी की योजना के बारे में सवाल किया तो कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं शादी की योजना नहीं बना रहा हूं, लेकिन अगर होती है तो ठीक है। राहुल ने उन लड़कियों से यह भी कहा कि वह अपनी शादी में उन्हें आमंत्रित करेंगे।
कंगना के बयान पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा अपनी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत के किसानों से जुड़े विवादित बयान से असहमति जताए जाने के कहा कि यदि सत्तारूढ़ दल अपनी सांसद की टिप्पणियों से असहमत है तो उन्हें पार्टी से बाहर करे। कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख और प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि सरकार को कंगना के इस दावे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि अमेरिका और चीन देश के अंतर अस्थरिता की साजिश कर रहे थे। भाजपा ने असहमति जताते हुए किनारा कर लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और वहां बलात्कार तथा हत्याएं हो रही थीं। भाजपा के केंद्रीय मीडिया विभाग की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, पार्टी ने मंडी की सांसद को हिदायत भी दी कि वह इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि किसी नेता ने आज तक अन्नदाताओं के खिलाफ उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं था जो कंगना रनौत ने किए हैं। उनका कहना था कि कंगना के बयान पर आक्रोश पैदा हुआ तो भाजपा से उसका आधिकारिक रुख के बारे में पूछा गया। हरियाणा का चुनाव का नजदीक है और पता है कि भाजपा हारने जा रही है। ऐसे में भाजपा की तरफ से एक बयान आया जिसमें कंगना की टिप्पणियों से असहमति जताई गई।
जन विरोधी कानूनी संशोधन वापस ले सरकार : जयराम रमेश
कांग्रेस ने देश में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के लिए केंद्र सरकार पर नीतिगत खामियों का आरोप लगाया और कहा कि इस सरकार की कार्यप्रणाली स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार करना है कि वायु प्रदूषण से जुड़ी मृत्यु दर की कोई समस्या है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्वतंत्रता बहाल की जानी चाहिए और पिछले 10 वर्षों में किए गए जन-विरोधी पर्यावरण कानून संशोधनों को वापस लिया जाना चाहिए। रमेश ने एक बयान में कहा कि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के शासनकाल की ऐसी त्रासदियों में से एक जिनके बारे में कम लोग जानते हैं और वो राष्टï्रीय स्तर पर तेज़ी से बिगड़ती वायु गुणवत्ता और नीतिगत खामियां हैं।’’ उनके मुताबिक, जुलाई की शुरुआत में, प्रतिष्ठित जर्नल ‘लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि भारत में होने वाली मौतों में से 7.2 प्रतिशत वायु प्रदूषण से संबंधित हैं तथा केवल के 10 शहरों में हर साल लगभग 34,000 मौत हो रही हैं। रमेश का कहना है कि जुलाई के मध्य में ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ के एक अध्ययन से पता चला कि प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सरकार ग़लत ढंग से हस्तक्षेप कर रही है तथा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) औद्योगिक, वाहन और बायोमास उत्सर्जन को नियंत्रित करने के बजाय सडक़ की धूल को कम करने पर केंद्रित है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इस सरकार की कार्यप्रणाली स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार करना है कि वायु प्रदूषण से जुड़ी मृत्यु दर की कोई समस्या है। सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए लक्षित कोष में कटौती कर रही है। वह आवंटित संसाधनों का उपयोग करने में विफल है।