Congress : संगठन को मजबूत करने में जुटे राहुल गांधी, राजनीतिक एजेंडे को देगें धार

कांग्रेस ने 64 साल बाद गुजरात को अपने अधिवेशन के लिए चुना है. इससे पहले कांग्रेस का अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था, अब छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात मंथन के दो दिनों के आयोजन का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस को मजबूत करने के लिए रणनीतियों और मुद्दों पर स्पष्टता प्राप्त करना था। कांग्रेस ने इस मंथन के जरिए संगठनात्मक मजबूती पर जोर दिया और यह कोशिश की कि पार्टी के भीतर के मुद्दों को स्पष्ट किया जाए, ताकि आगामी चुनावों के लिए एक बेहतर रणनीति तैयार की जा सके।

मिली जानकारी के मुताबिक आपको बता दें,कि कुछ मुख्य बिंदु जो इस मंथन से निकल कर सामने आ सकते हैं..कांग्रेस को पार्टी के भीतर एकजुटता और संगठनात्मक ढांचे को सुधारने की जरूरत है। इस मंथन में इस पर विचार किया गया कि पार्टी के कार्यकर्ताओं की सक्रियता और संवाद के तरीकों में सुधार कैसे लाया जा सकता है। जिसमें कांग्रेस को यह समझने की जरूरत है कि जनता के सामने कौन से मुद्दे सबसे अहम हैं। इसका मतलब यह है कि पार्टी को अपनी प्राथमिकताओं को फिर से निर्धारित करना होगा।।।जैसे रोजगार, महंगाई, शिक्षा, और स्वास्थ्य लोगों से जुड़ा जा सके।

वहीं पार्टी को यह भी तय करना होगा कि चुनावों में उसकी चुनावी रणनीति क्या होगी। क्या वह गठबंधन करेगी, या अकेले चुनाव लड़ेगी? कैसे वह भाजपा के खिलाफ अपनी विश्वसनीयता को और बढ़ा सकती है?इस मंथन से कांग्रेस को एक तरह से “जीत का मंत्र” मिलने की उम्मीद है, यदि वह संगठन में सुधार और मुद्दों पर स्पष्टता को सही तरीके से लागू करती है। हालांकि, यह सवाल बना रहेगा कि क्या पार्टी इन विचारों को प्रभावी ढंग से मैदान पर उतार पाएगी और जनता के बीच एक सकारात्मक बदलाव ला सकेगी।

कांग्रेस ने 64 साल बाद गुजरात को अपने अधिवेशन के लिए चुना है. इससे पहले कांग्रेस का अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था, अब छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी. अहमदाबाद पूर्ण अधिवेशन से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दोनों पार्टी की कमियों पर बहुत साफगोई से बात कर चुके हैं और कहा है कि साल 2025 संगठन का साल होगा. अहमदाबाद अधिवेशन कांग्रेस 86वां पूर्ण अधिवेशन है. पार्टी के लिए नया रास्ता खोलने वाला हो सकता है.

गुजरात के अहमदाबाद में ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, संघर्ष’ टैगलाइन के साथ दो दिन का कांग्रेस अधिवेशन शुरू हो रहा. अधिवेशन के पहले दिन मंगलवार को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी. इसमें देशभर के 262 कांग्रेसी नेता शिरकत करेंगे, जिसकी अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे. अधिवेशन के दूसरे दिन बुधवार साबरमती रिवरफ्रंट पर कांग्रेसी सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और कुछ वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पार्टी अधिवेशन से पहले सोमवार को कहा- कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ जैसे नारों के बाद पार्टी आज भी मजबूती के साथ खड़ी है और जनता उसकी ओर उम्मीदों से देख रही है. साथ ही उन्होंने कहा- कि महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मभूमि गुजरात कांग्रेस को इस चुनौतीपूर्ण समय में आगे का रास्ता दिखाएगी, आज समाज का हर वर्ग, चाहे वह मध्यम वर्ग हो, दलित, आदिवासी या अल्पसंख्यक हों, केंद्र और गुजरात में भाजपा शासन के तहत ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

आपको बता दें,कि आजादी के बाद कांग्रेस का कोर वोटबैंक दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण और कुछ सवर्ण जातियां हुआ करता थीं. कांग्रेस इसी जातीय समीकरण के सहारे लंबे समय तक सियासत करती रही. ओबीसी वर्ग की तमाम जातियां कांग्रेस का विरोध करती रही हैं. देश के बदले हुए सियासी माहौल में कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक आधार भी बदलने का दिशा में कदम बढ़ा दिया है. कांग्रेस अब दलित, अति पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी संविधान और आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है, जिससे इन वर्गों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि उनके अधिकारों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है. इस तरह कांग्रेस एक नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद में है.

Related Articles

Back to top button