राहुल गांधी का एलान, देश को बताएंगे मनुस्मृति बनाम संविधान
- संविधान में वर्ण व्यवस्था का किया गया है विरोध
- बीजेपी देश के युवाओं का भविष्य छीन रही है : नेता प्रतिपक्ष
- मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और जातिवाद को बढ़ावा
- महंगाई, बेरोजगारी पलायन, भ्रष्टाचार और आत्महत्या जैसी बीमारी की गिरफ्त में भारत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर बीजेपी की दुखती रग पर हाथ रखा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी इस देश को मनुस्मृति से चलाने में यकीन रखती है। उन्होंने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा लिया, वैसे ही बीजेपी देश के युवाओं का भविष्य छीन रही है। दरअसल राहुल गांधी ने अपना न्यूज लेटर जारी किया है जिसमें संसद में संविधान और मनुस्मृति पर राहुल गांधी की स्पीच और उनसे जुड़े घटनाक्रम पर उनके विचारों के बारे में बताया गया है। राहुल गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर के कथित अपमान करने को लेकर उनके इस्तीफे की मांग भी की है। दरअसल राहुल गांधी को पता है कि कांग्रेस को हाल के दिनों में जो राजनीतिक सफलताएं मिली है वह पीडीए के गठन के बाद ही हुआ है। बीजेपी ने भी इस मुददे की समीक्षा करने के बाद स्वीकार किया है कि एनडीए इंडिया गठबंधन के संविधान और पीडीए जैसे मुद्दों को सही से टैकल नहीं कर सका इसी कारण लोकसभा चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा।
सामाजिक नीतियों की असफलता
2014 के बाद भारत में रोजगार के अवसरों में कमी आई है, और यह विशेष रूप से युवाओं के लिए बड़ी चिंता का विषय है। राष्टï्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, 2017-18 में भारत की बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत तक पहुँच गई, जो 45 वर्षों में सबसे उच्चतम आंकड़ा था। युवा बेरोजगारी (15-29 वर्ष के बीच) की दर 23.7 प्रतिशत तक पहुँच गई, जो चिंता का विषय है। इसका कारण कई तरह की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की असफलता हो सकती है।
मनुस्मृति व संविधान में तुलना
भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर मनुस्मृति का प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को बढ़ावा दिया गया था। जिससे समाज में असमानताएं बढ़ीं। इससे विशेष रूप से गरीब और पिछड़ी जातियों के लिए रोजगार और सामाजिक अवसरों की कमी हुई। इसके विपरीत, भारतीय संविधान ने समानता, न्याय और अवसर की गारंटी दी है। संविधान में वर्ण व्यवस्था का विरोध किया गया है और समानता का अधिकार (आर्टिकल 14) तथा रोजगार के अवसरों में समानता (आर्टिकल 16) की गारंटी दी गई है। संविधान के तहत, प्रत्येक नागरिक को रोजगार पाने के समान अवसर दिए गए हैं, और इसके लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और कई अन्य। हालांकि, इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में कमी और भ्रष्टाचार के कारण इनका पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पा रहा है।
युवाओं का एकलव्य की तरह अंगूठा काट रही है भाजपा: राहुल
राहुल गांधी ने करारा वार करते हुए कहा है कि भाजपा भारत के युवाओं का बिल्कुल एकलव्य जैसा अंगूठा काट रही है, उनका भविष्य मिटा रही है। सरकारी भर्ती में विफलता बड़ा अन्याय है। पहले तो भर्ती नहीं निकलती। भर्ती निकल जाए तो एग्जाम समय पर नहीं होते। एग्जाम हो तो पेपर लीक करवा दिए जाते हैं और जब युवा न्याय मांगते हैं, तब उनकी आवाज को बेरहमी से कुचला जाता है। उन्होंने आगे कहा, हाल ही में यूपी और बिहार की घटनाओं के बाद अब मध्य प्रदेश में एमपीपीएससी में हुई गड़बड़ी का विरोध कर रहे दो छात्रों को जेल में डाल दिया गया है। वो भी तब जब मुख्यमंत्री ने खुद छात्रों से मुलाकात कर उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। बीजेपी की सरकार ने छात्रों के भरोसे को तोड़ा है और लोकतांत्रिक प्रणाली का गला घोंटा है। छात्रों के अधिकार की लड़ाई में हम उनके साथ हैं। भाजपा को देश के युवाओं के हक की आवाज किसी कीमत पर दबाने नहीं देंगे।
सरकारी नीतियों के चलते कम हो रहा है रोजगार
समाजशास्त्री कहते हैं कि भारत में रोजगार की कमी के कई कारण हैं, और इनमें सरकारी नीतियों का भी बड़ा हाथ है। सबसे पहला कारण वह नीतियाँ हैं जिनके तहत निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। जबकि सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं। सरकारी क्षेत्र की नौकरियों में कटौती और ठेकेदार प्रणाली ने स्थिर रोजगार के अवसरों को कम किया है। इसके अलावा, उद्योगों के लिए श्रम कानूनों में ढील और श्रमिकों की सुरक्षा पर ध्यान न देना भी रोजगार के अवसरों में कमी का कारण बना है। वह कहते हैं कि कृषि क्षेत्र में भी रोजगार की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि कृषि में रोजगार देने की क्षमता बहुत बड़ी है। लेकिन कृषि उत्पादकता में गिरावट और छोटे किसानों के लिए कोई ठोस नीति न होने के कारण, लाखों लोग कृषि छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जहां उन्हें कम वेतन वाली अस्थिर नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
आरएसएस ने संभाला मोर्चा
मनुस्मृति बनाम संविधान के मुद्दे ने जिस तेजी से आम जनमानस के बीच अपनी पैठ बनाई है उससे आरएसएस भी चिंतित है। संघ प्रमुख के हाल के बयान को भी इसी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। संघ प्रमुख ने देश को संविधान से चलाने की बात कही थी जिसपर उनकी कड़ी आलोचनाएं भी सामने आई थी। संघ इस मुददे को बैकडोर से टैकेल करने की कोशिश कर रहा है।
1940 में शाखा में शामिल हुए थे अंबेडकर और महात्मा गांधी, आरएसएस मीडिया विंग का दावा
आरएसएस की संचार शाखा ने दावा किया है कि भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर ने 85 साल पहले आरएसएस की एक शाखा का दौरा किया था। विश्व संवाद केंद्र ने कहा कि अपने संबोधन में डॉ. अंबेडकर ने कहा, हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, लेकिन मैं संघ को अपनेपन की भावना से देखता हूं। आरएसएस की संचार शाखा के अनुसार, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 1940 में महाराष्ट्र के सतारा में एक शाखा का दौरा किया था। उनमें संघ के प्रति सहानुभूति का भाव था। संघ की मीडिया विंग ने अपने बयान में यह भी बताया कि 1934 में महात्मा गांधी भी एक शाखा में गए थे। आरएसएस की संचार शाखा वीएसके की विदर्भ शाखा ने इन दावों के साथ एक बयान जारी किया। वीएसके ने कहा कि 9 जनवरी 1940 को पुणे स्थित मराठी दैनिक केसरी ने डॉ. अंबेडकर के आरएसएस शाखा में जाने की खबर प्रकाशित की थी। वीएसके ने अपने दावे के साथ खबर की क्लिपिंग को भी प्रमाणित किया। रिपोर्ट में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब डॉ अंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा का हवाला दिया गया है, इसमें आरएसएस और डॉ. अंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बात की गई। किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. अंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी।