योगी कैबिनेट में जगह पाने के लिए राजभर-दारा सिंह को पास करना होगा इम्तिहान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का साथ छोडक़र बीजेपी का दामन थामने वाले दारा सिंह चौहान और एनडीए में एंट्री करने वाले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर का असल इम्तिहान भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में होना है, लेकिन उससे पहले योगी सरकार में मंत्री बनने के लिए भी अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। बीजेपी के साथ आए दोनों ही नेताओं की पहली परीक्षा घोसी विधानसभा उपचुनाव में होना है और उसके बाद गाजीपुर लोकसभा सीट पर होगा। घोसी सीट की अधिसूचना जारी हो गई और गाजीपुर का अभी इंतजार है।
बीजेपी ने पूर्वांचल में छोटे दलों के नेताओं को साथ मिलाकर अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने की रणनीति अपनाई है। राजभर समुदाय के नेता सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और दोबारा बीजेपी का दामन थामने वाले नोनिया समुदाय के नेता दारा सिंह चौहान पर पूर्वांचल की उन पांच सीटों को जिताने का टास्क दिया गया है, जिन पर बीजेपी को 2019 चुनाव में हार मिली थी। इन्हीं में मऊ जिले की घोसी और गाजीपुर सीट पर अग्निपरीक्षा होनी है।
घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई है और 17 अगस्त तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे, जबकि 5 सितंबर को मतदान और 8 सितंबर को परिणाम आएंगे। घोसी सीट दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से खाली हुई है। वहीं, बसपा से सांसद रहे अफजल अंसारी की सदस्यता खत्म होने के चलते गाजीपुर लोकसभा सीट रिक्त हुई है। ये दोनों ही सीटें पूर्वांचल क्षेत्र में आती हैं और राजभर व दारा सिंह चौहान के सियासी प्रभाव वाली मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी का दामन थामने के बाद दोनों नेताओं की परीक्षा का समय है, जिसके लिए सियासी रणभूमि घोसी सीट बनी है।
घोसी विधानसभा सीट बीजेपी 2022 के चुनाव में सपा से हार गई थी। सपा से दारा सिंह चौहान विधायक बने थे, जो योगी सरकार की कैबिनेट और बीजेपी छोडक़र सपा में गए थे। चुनाव जीतने के एक साल बाद ही दारा सिंह चौहान का सपा से मोहभंग हो गया और बीजेपी में वापसी कर गए। ऐसे ही सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने योगी कैबिनेट से इस्तीफा और बीजेपी से गठबंधन तोडक़र सपा से हाथ मिलाकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन अब फिर से एनडीए खेमे में खड़े हैं।
दारा सिंह चौहान और राजभर उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन योगी सरकार के कैबिनेट विस्तार होने की फिलहाल कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि बीजेपी हाईकमान की तरफ से अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है। ऐसे दारा सिंह चौहान और राजभर के लिए पहले घोसी और उसके बाद गाजीपुर सीट पर होने वाले चुनाव में परीक्षा से गुजरना होगा। इन दोनों ही सीटों पर राजभर और नोनिया समुदाय की काफी अच्छी संख्या हैं, जिसके चलते राजभर और दारा सिंह को साबित करना होगा कि उनकी अपने समाज पर मजबूत पकड़ है?
घोसी सीट पर 2022 में सपा ने जीत हासिल की थी और गाजीपुर सीट पर बसपा ने सपा गठबंधन के सहारे जीती थी, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों के साथ राजभर व दारा सिंह की वापसी के बाद बीजेपी अपना कब्जा जमाने की कवायद में है। घोसी सीट के लिए नामांकन शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक किसी ने भी पत्ता नहीं खोला है। घोसी सीट पर बीजेपी नोनिया और राजभर वोटों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए तो सपा यादव-मुस्लिम कोर वोटबैंक के साथ नए समीकरण बनाकर अपना दबदबा बनाए रखने की जुगत में है। ऐसे में दलित वोटर काफी निर्णायक हो सकता है। इसी तरह से गाजीपुर सीट का भी समीकरण है, जिसे लेकर बीजेपी और सपा के बीच शह-मात का खेल है।
दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर अगर घोसी सीट पर अपने समुदाय को बीजेपी के पक्ष में करने में कामयाब रहते हैं तो बीजेपी के लिए जीत आसान हो सकती है। ऐसे में घोसी विधानसभा सीट पर बीजेपी दारा सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव लड़ाती है और जीत दर्ज करने में कामयाब रहते हैं तो तभी उनकी योगी कैबिनेट में जगह बन पाएगी। इसके अलावा राजभर अगर घोसी सीट पर अपने समुदाय का वोट ट्रांसफर कराते हैं और जब भी गाजीपुर सीट पर चुनाव होने पर जीत दर्ज कराते हैं तो उनका कद बढ़ेगा, उससे उनके लिए कैबिनेट का दरवाजा खुल सकता है।
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से ही दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ लिया है। इसकी वजह यह है कि दोनों ही समुदाय के पूर्वांचल में बड़ी संख्या में मतदाता हैं, लेकिन यह वोट बीजेपी से छिटकर सपा में शिफ्ट हुआ है। बीजेपी इन्हें वापस अपने साथ लाने के लिए ही दोनों नेताओं को साथ लिया है। बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीट जीतने का टारगेट तय किया है, जिसे हासिल करने के लिए ही अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी हुई है। इसी मद्देनजर राजभर-चौहान को मिलाया है, जिसके चलते अब उन्हें खुद को साबित करने की चुनौती होगी?

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