विपक्ष को मनाने में फेल हुए राजनाथ सिंह, संसद में मचा हंगामा!

लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर शुरुआत में ऐसी खबरे सामने आ रही थी कि... लोकसभा स्पीकर को लेकर एनडीए और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं… देश में एनडीए की सरकार बन चुकी है… और चौबीस जून से सदन की कार्रवाई भी शुरू हो गई है… वहीं संसद में लोकसभा स्पीकर को लेकर घमासान मचा हुआ है… सरकार और विपक्ष में स्पीकर पद को लेकर बात नहीं बन पाई है… बता दें कि विपक्ष को स्पीकर पद को लेकर कोई ऐतराज नहीं था… और विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर का पद मांगा था… जिसको लेकर सहमति नहीं बन पाई जिसके बाद अब स्पीकर पद के लिए चुनाव होने जा रहा है… जो भारत के इतिहास में पहली बार होगा… आपको बता दें कि हमेशा से यही नियम रहा है कि हमेशा स्पीकर का पद सत्ताधारी पार्टी के पास रहता है… और डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के पास रहता है… लेकिन पिछले दस सालों से बीजेपी की पूर्ण बहुमत सरकार ने इन सभी प्रावधानों को खत्म कर दिया था… जिसका मुख्य कारण विपक्ष की कमजोरी थी… लेकिन अब समय बदल चुका है… विपक्ष मजबूत स्थिति में है… और अब संविधान के प्रावधान के अनुसार डिप्टी स्पीकर के पद की मांग कर रहा है… जो बता सत्ताधारी एनडीए को रास नहीं आ रही है… वहीं अगर विपक्ष का डिप्टी स्पीकर होता है तो सत्ताधारी पार्टी की मनमानी नहीं चलेगी… और कोई भी बात जो देश हित में नहीं होगी उसपर कड़ी आपत्ति जताई जाएगी… वहीं इन सभी मुद्दो को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी पार्टी आसानी से डिप्टी स्पीकर की पोस्ट देने के मूड में नहीं है… जिसको लेकर अब चुनाव होगा…

आपको बता दें कि अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र चौबीस जून से शुरू हो गया है… वहीं सत्र की शुरुआत में नए सांसदों को शपथ दिलाई गई… और इसके बाद सबसे अहम काम लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति होगी…. बता दें कि बीजेपी सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे…. लेकिन पिछली लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल नई लोकसभा के पहले सत्र तक ही होता है…. इसलिए जब 18वीं लोकसभा की कार्यवाही शुरू होती है… तो सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर का चुनाव किया जाता है…. जो प्रभारी अध्यक्ष सांसदों को पद की शपथ दिलाता है… और पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त होने तक सदन के कामकाज का संचालन करता है… वहीं सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है…. इस हिसाब से कांग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य… और केरल के मवेलिककारा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद कोडिकुनिल सुरेश का दावा सबसे मज़बूत था…. बता दें कि आठवीं बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश, मवेलिककारा से चौथी बार चुने गए हैं… और सालों के अनुभव के लिहाज से वे सदन में सबसे वरिष्ठ हैं…. लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम अध्यक्ष नियुक्त किया है…. भर्तृहरी महताब सात बार के सांसद है…. हालांकि उनकी नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल भी उठाए हैं… लेकिन महताब ही नए सांसदों को उनके पद की शपथ दिलाएंगे….

बता दें कि संविधान के अनुच्छेद तिरानबे के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है… सांसद अपने में से दो सांसदों को सभापति और उप-सभापति चुनते हैं…. वहीं सदस्यों को इस लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से एक दिन पहले उम्मीदवारों को समर्थन का नोटिस जमा करना होता है…. आपको बता दें कि चुनाव के दिन लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत के ज़रिए किया जाता है…. यानी जिस उम्मीदवार को उस दिन लोकसभा में मौजूद आधे से ज़्यादा सांसद वोट देते हैं, वह लोकसभा अध्यक्ष बनता है…. इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए किसी अन्य शर्त या योग्यता को पूरा करना ज़रूरी नहीं है…. लेकिन जो व्यक्ति स्पीकर होता है उसे सदन के कामकाज, उसके नियमों, देश के संविधान और कानूनों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है…. वहीं लोकसभा अध्यक्ष कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए ज़िम्मेदार होता है…. इसलिए ये पद काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है…. लोकसभा अध्यक्ष संसदीय बैठकों का एजेंडा भी तय करते हैं… और सदन में विवाद होने पर स्पीकर नियमानुसार कार्रवाई करते हैं… जानकारी के मुताबिक सदन में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों के सदस्य होते हैं…. इसीलिए लोकसभा अध्यक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वह तटस्थ रहकर कामकाज चलाएं…. लोकसभा स्पीकर किसी मुद्दे पर अपनी राय घोषित नहीं करते है… और वे किसी प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लेते… लेकिन अगर प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में बराबर वोट हों तो वे निर्णायक मत डाल सकते हैं….

वहीं लोकसभा अध्यक्ष विभिन्न समितियों का गठन करते हैं… और इन समितियों का कार्य उसके निर्देशानुसार होता है…. महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर कोई सदस्य सदन में दुर्व्यवहार करता है… तो लोकसभा अध्यक्ष उसे निलंबित कर सकते हैं…. आपको बता दें कि दिसंबर दो हजार तेइस में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में घुसपैठ के मामले में बहस की मांग करने पर दुर्व्यवहार के लिए कुल एक सौ इततालीस विपक्षी नेताओं को निलंबित कर दिया गया था…. इनमें से पंचानबे लोगों को लोकसभा से और छियालीस लोगों को राज्यसभा से निलंबित किया गया…. वहीं विपक्ष ने इसे लोकतंत्र का मजाक बताकर इसकी निंदा की…. वही इन सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी ने डिप्टी स्पीकर पद की मांद की है… जिससे बात न बनता देख सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव करने की घोषणा कर दी है… आपको बता दें कि ,विपक्ष को लोकसभा स्पीकर पद को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी… लेकिन वह डिप्टी स्पीकर का पद मांग रहा था… क्योंकि इस बार विपक्ष मजबत स्थिति कमें हैं…

बता दें कि अट्ठारहवें लोकसभा के स्पीकर पद को लेकर सियासत गरमा गई है… देश के इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर को लेकर चुनाव होगा… एनडीए की ओर से ओम बिरला जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक की ओर से के. सुरेश ने स्पीकर पद के लिए नामांकन भर दिया है…. दरअसल विपक्ष डिप्टी स्पीकर के पद पर अड़ गया था…. विपक्ष ने पहले ही कहा था कि अगर डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिलता है… तो वो भी स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे…. वहीं शुरुआत में खबर थी कि लोकसभा स्पीकर को लेकर एनडीए… और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है… और ओम बिरला एक बार फिर स्पीकर पद संभालेंगे…. लेकिन संसद पहुंचने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान से सियासत गरमा गई…. और राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष के पास राजनाथ सिंह का कॉल आया था… और उन्होंने कहा था कि स्पीकर पद पर विपक्ष को समर्थन करना चाहिए… और एक राय बनानी चाहिए…. हमने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे…. लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए…. राजनाथ सिंह ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कॉल बैक करेंगे… लेकिन वो कॉल अभी तक नहीं आया…. मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं… अगर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलेगा… तब ही हम समर्थन करेंगे….

वहीं राहुल के इस बयान के बाद स्पीकर पद को लेकर सरकार… और विपक्ष के बीच असहमति साफ नजर आई…. इस बीच ओम बिरला ने स्पीकर पद के लिए नामांकन कर दिया… उधर, इंडिया ब्लॉक ने के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया और उन्होंने भी नामांकन किया…. इससे पहले एनडीए की तरफ से स्पीकर चुनाव के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई… और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं से बातचीत की…. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की… और फोन पर बातचीत की…  बता दें कि स्पीकर के नाम पर विपक्षी दलों के साथ सहमति बनती तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष दिया जा सकता है…. हालांकि, विपक्ष का कहना है कि डिप्टी स्पीकर पद नहीं दिया जा रहा था… इसलिए बात बिगड़ गई…. इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश भविष्य की ओर देख रहा है…. आप अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को ही कुरेदते रहते हैं…. बीते दस सालों में एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों को आपने जो अघोषित आपातकाल का आभास करवाया…. उसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है…. पार्टियों को तोड़ना, चोर दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिरना,… पंचानबे फीसदी विपक्षी नेताओं पर ई़़डी, सीबीआई, आईटी का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालना… और चुनाव के पहले सत्ता का इस्तेमाल करके लेवल प्लेइंग फील्ड को बिगाड़ना… क्या ये अघोषित आपातकाल नहीं है…. मोदी जी सहमति और सहयोग की बात करते हैं पर उनके एक्शन इसके विपरीत हैं….

आपको बता दें कि खड़गे ने कहा कि जब एक सौ छियालीस विपक्षी सांसदों को संसद से ससपेंड कर देश के नागरिकों पर आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए तीन कानून- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता दो हजार तेइस, भारतीय न्याय संहिता दो हजार तेइस और भारतीय साक्ष्य अधिनियम दो हजार तेइस पारित किये गए तब ये सहमति शब्द कहां था…. जब संसद के प्रांगण से छत्रपति शिवाजी महाराज जी, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब डॉ अंबेडकर जी जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बिना विपक्ष से पूछे एक कोने में स्थानांतरित कर दिया गया…. तब ये सहमति शब्द कहां था…. जब हमारे पंद्रह करोड़ किसान परिवारों पर तीन काले कानून थोपे गए…. और उनको अपने ही देश में महीनों सड़कों पर बैठने पर विवश किया गया, उनपर अत्याचार किया गया, तब ये  सहमति शब्द कहां था… वहीं उन्होंने कहा कि नोटबंदी हो, आनन-फ़ानन में लागू किया लॉकडाउन हो, या इलेक्टोरल बॉन्ड का कानून हो, ऐसे सैकड़ों उदाहरण है, जिस पर मोदी सरकार ने सहमति या सहयोग का प्रयोग बिलकुल नहीं किया है… विपक्ष को क्या, अपने ही नेताओं को अंधेरे में रखा…. लोकतंत्र और संविधान की दुर्दशा भाजपा ने की है… कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है और हम देते रहेंगे….

वहीं इन सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए… अब चुनाव होना निश्चित है… और आने वाले समय में यह पता चल जाएगा कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का पद किस खेमें में जाता है… और विपक्ष अपनी इसी मजबूती से सत्ताधारी पार्टी को सदन में मनमानी करने से रोकने के लिए पूरी तरह से कमर कस चुका है… जिससे मोदी का कलर फींका पड़ता नजर आ रहा है…

 

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