गठबंधन की बैठक में अखिलेश की जगह रामगोपाल लेंगे हिस्सा

  • बुधवार को दिल्ली में खरगे ने बुलाई बैठक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। विपक्षी समावेशी गठबंधन इंडिया की छह दिसंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हिस्सा नहीं लेंगे। इंडिया के शीर्ष नेताओं की यह चौथी बैठक है और इससे पहले की तीनों बैठक में अखिलेश शामिल हुए थे। इसे मध्य प्रदेश चुनाव से पैदा हुई रार से जोडक़र देखा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया के सभी 28 घटक दलों को बैठक में बुलाया है। इस संबंध में उनकी अखिलेश यादव से भी बात हई है। सपा सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अखिलेश यादव हिस्सा नहीं लेंगे।
अलबत्ता पार्टी की ओर से प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के हिस्सा लेने की बात कही जा रही है। अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी गठबंधन न किए जाने के फैसले की सार्वजनिक मंचों से आलोचना कर चुके हैं। उनका कहना था कि इस संबंध में देर रात तक वार्ता किए जाने के बाद ऐन वक्त पर सीटें देने से इंकार करना धोखा दिए जाने के समान है। अखिलेश ने मध्य प्रदेश चुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर भी खूब निशाने साधे थे। यहां तक कहा था कि भाजपा और कांग्रेस में कोई बुनियादी फर्क नहीं है। देश में सिर्फ कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश तक सिमटने से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमतर हुई है। सपा और तृणमूल समेत क्षेत्रीय शक्तियों को लग रहा है कि जब कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है, तो उसके साथ बने रहने या उसे लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें देने से कोई फायदा नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी कटाक्ष किया है कि तीन माह बाद कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की याद आई है, जब वह तीन राज्यों का चुनाव हार चुकी है।

सपा-कांग्रेस की तकरार का फायदा उठाने की कोशिश में भाजपा

लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को फेल करने की भाजपा की रणनीति सफल रही तो सपा और कांग्रेस की तकरार का फायदा पार्टी को मिलेगा। वहीं, तीन राज्यों की जीत भाजपा के लिए उत्साह के साथ 2024 में मिशन 80 को पूरा करने की चुनौती भी है। सपा और कांग्रेस दोनों ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। लेकिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनाव में दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इससे भाजपा को एमपी में इंडिया गठबंधन के खिलाफ माहौल बनाने में बड़ी मदद मिली। हालांकि, दोनों दलों की ओर से यह तर्क दिया गया था कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में भी यदि प्रदेश में सपा, बसपा और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तो पार्टी इसका पूरा फायदा उठाएगी। विधानसभा चुनाव में तीनों विपक्षी दलों के अलग चुनाव लडऩे से पार्टी को मजबूती मिली थी। खासतौर पर बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का सबसे अधिक नुकसान सपा को ही होगा। कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा के साथ सपा के भी वोट काटेंगे। उधर, पार्टी के नेताओं का एक वर्ग सपा को झटका देने के लिए रालोद से गठबंधन करने पर जोर दे रहा है।

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