लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार : रंजन कुमार
- दीपावली बाद सुधरेगी औद्योगिक इलाकों की सूरत
लखनऊ। अमौसी औद्योगिक इलाके में सीवर, बिजली, जलभराव और जर्जर सड़कों का कायाकल्प होगा। लंबे समय से उपेक्षित औद्योगिक इलाकों को विकास की उम्मीद जगी है। हाई कोर्ट के आदेश पर मंडलायुक्त रंजन कुमार के निर्देश पर आधा दर्जन टीमों ने संयुक्त सर्वे करने के बाद रिपोर्ट सौंप दी है। उद्यमी शरद श्रीवास्तव की याचिका पर हाई कोर्ट ने भी प्रशासन को सड़क, सीवर और जलभराव सहित दूसरी तमाम अवस्थापना सुविधाएं दुरुस्त कर छह महीने में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। मंडलायुक्त रंजन कुमार का कहना है कि जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा। करीब सौ एकड़ में फैले अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। 1960 में नींव पड़ी और विकसित करने की जिम्मेदारी यूपीएसआइडीसी को मिली। 2001 में आसपास नगरीय क्षेत्र विकसित होने के बाद नगर निगम ने भी मेंटीनेंस चार्ज लेना शुरू कर दिया। दोहरे शुल्क की मार झेल रहे उद्यमियों को राहत देने के लिए यूपीएसआईडीसी ने नगर निगम को हैंडओवर करने का प्रस्ताव तैयार किया। पहली बार 2003 में और दोबारा 2006 में नगर निगम को प्रस्ताव भेजा गया। फाइलों में प्रस्ताव पड़ा रहा। 2009 में यूपीएसआइडी ने भी औद्योगिक क्षेत्र से अपने हाथ पूरी तरह खींच लिए और मेंटीनेंस चार्ज लेना बंद कर दिया। हैंडओवर के लिए सरकारी महकमों के बीच नूराकुश्ती चलती रही और इंडस्ट्रियल एरिया राम भरोसे रहा। उद्यमियों की लंबी लड़ाई के बावजूद नगर निगम ने अब तक टेकओवर नही किया लिहाजा विकास कार्य ठप हैं। नगर निगम का कहना है कि यूपीएसआईडीसी अवस्थापना सुविधाओं को विकसित करने के बाद। पूरे इलाके में जल निकासी बड़ी समस्या है, लेकिन सरकार ने आंखें बंद कर रखी हैं। अस्सी साल पहले बने कच्चे नाले को अब तक पक्का नहीं किया जा सका है। पूरा नाला गंदगी से बजबजा रहा है। गंदा पानी सड़कों पर भरा है। यही एकमात्र कच्चा नाला पूरे इलाके का ड्रेनेज सिस्टम है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन अब विभागों की जवाबदेही तय कर रहा है।