पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय दल पड़ सकते हैं भारी!

  • मेघालय में टीएमसी ने सबसे पहले प्रत्याशियों की सूची कर दी है जारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों नागालैंड, मेघालय एवं त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा और कांग्रेस समेत सभी पार्टियां तैयारी में जुटी हैं। तीनों राज्यों में भाजपा और वामदलों के सामने क्षेत्रीय दलों का दबदबा रहने वाला है। तीनों में 60-60 सीटें हैं। त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है।
अन्य दो राज्यों में वह सरकार की भागीदार है। त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) गठबंधन की दिशा में बढ़ रही है, लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए को एक नए क्षेत्रीय दल से चुनौती मिलती दिख रही है। मेघालय में तृणमूल कांग्रेस सक्रिय है। तृणमूल और मेघालय में सरकार चला रही नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को राष्टï्रीय दल का दर्जा प्राप्त है, लेकिन भाजपा, कांग्रेस एवं वामदलों के सामने इनकी पहचान अभी भी क्षेत्रीय जैसी ही है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्यों पर भाजपा का फोकस बढ़ा है। विकास के साथ पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां हैं। कांग्रेस अपनी पुरानी प्रतिष्ठा की वापसी के लिए प्रयासरत है। मेघालय में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी एकता के प्रयासों को आईना दिखाते हुए सबसे पहले प्रत्याशियों की सूची जारी कर कांग्रेस को दूसरा झटका दिया है। अभी 52 प्रत्याशी उतारे हैं। दूसरी सूची भी जल्द जारी करेगी। मेघालय में कांग्रेस की अच्छी पकड़ मानी जाती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस 28.5 प्रतिशत वोट एवं 21 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी थी।
बाद में तृणमूल ने उसके 11 विधायकों को तोड़ लिया। मेघालय में कानराड संगमा के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है। भाजपा के दो विधायकों समेत गठबंधन सरकार में 48 विधायक हैं। किंतु मुख्यमंत्री संगमा ने केंद्र सरकार के यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध कर सहयोगी भाजपा को तेवर दिखाया है। दोनों दलों में अभी अनिर्णय की स्थिति है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान इसे लागू करने का वादा किया था।

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