हल्द्वानी अतिक्रमण मामला : 50 हजार लोगों को राहत, तोडफ़ोड़ पर ‘सुप्रीम’ रोक

  • सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक7 दिन में जगह खाली कराने का आदेश को बताया गलत
  • सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को जारी किया नोटिस, 7 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हल्द्वानी। आज का दिन हल्द्वानी के 50 हजार लोगों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उसने रेलवे को सात दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस अतिक्रमण में लगभग 50 हजार लोगों के सर से उनका आशियाना उजड़ जाता है और वो सडक़ पर आ जाते। जस्टिस संजय कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसले में कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं। उनका पुनर्वास तो जरूरी है। 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं उजाड़ सकते। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में समाधान की जरूरत है। मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
दरअसल, हल्द्वानी में करीब 4400 हजार परिवारों पर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में रेलवे को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद करीब 50 हजार लोगों के आशियाने पर बुलडोजर चलने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन अब अगली सुनवाई तक इन लोगों को राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। हमने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे को निर्देश दिया कि एक हफ्ते का नोटिस देकर भूमि से अवैध अतिक्रमणकारियों को तत्काल हटाया जाए। इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश की अगुवाई में वहां के रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद प्रशांत भूषण ने भी एक याचिका दाखिल की।

सडक़ पर आ जाते 4 हजार से ज्यादा परिवार

हल्द्वानी में अनधिकृत कॉलोनियों को हटाने के विरोध में हजारों लोग सडक़ों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। रेलवे की इस जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के विरोध में 4 हजार से ज्यादा परिवार हैं। इनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।

यूपी से बिहार तक चली ‘यात्रा’ की राजनीति

  • प्रदेश में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के अंतिम दिन देखने को मिला लोगों का हुजूम
  • बिहार में निकलीं कांग्रेस, नीतीश और प्रशांत किशोर की यात्राएं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। देश में इस समय यात्राओं के जरिए राजनीति को गति दी जा रही है। एक ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आज उत्तर प्रदेश में अंतिम दिन अपने सफर पर निकली। तो वहीं दूसरी ओर यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार में भी आज का दिन यात्राओं के नाम रहा। बिहार में तीन यात्राएं देखने को मिलीं। एक तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे बिहार में भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की, तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पश्चिमी चंपारण से अपनी समाधान यात्रा का आगाज किया। इसके अलावा लगभग 3 महीने पहले से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी जन सुराज पार्टी की जमीन बनाने के लिए यात्रा पर हैं।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आज यूपी में अंतिम दिन शामली जिले के एलाम गांव से शुरु हुई। घने कोहरे और ठिठुरन भरी सर्दी के बीच अपनी अगली मंजिल की तरफ रवाना हुई इस यात्रा में जन समूह की व्यापक भागीदारी देखने को मिली। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा को लेकर ठंड में भी सियासत गरमाई रही। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक राहुल व कांग्रेस पर हमलावर रहे। तो वहीं राहुल ने भी केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। इससे इतर प्रदेश में राहुल की यात्रा को अन्य राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया।

यात्रामय हुआ बिहार

दूसरी ओर आज बिहार में भी कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बांका से भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत की। बिहार में यात्रा 20 जिलों से होकर गुजरेगी। जिसमें करीब 12 सौ किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसमें किसी अन्य पॉलिटिकल पार्टी को शामिल नहीं किया जाएगा। इस दौरान करीब 5 लाख से अधिक लोग भारत छोड़ो यात्रा के दौरान शामिल होंगे। दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पश्चिमी चंपारण से अपनी समाधान यात्रा को शुरू करके प्रदेश में अपनी राजनीतिक भविष्य के लिए समाधान तलाशेंगे। इसके अलावा प्रशांत किशोर पहले से ही जन सुराज पार्टी की जमीन बनाने के लिए यात्रा पर हैं।

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