जिसने बड़ा बवाल होने से बचाया उसी को हटा दिया
- बरेली में कांवडिय़ों पर लाठीचार्ज मामले में एसएसपी पर गिरी गाज
- शराब पीकर व हथियार न ले जाने से रोका था कांवडिय़ों को
- लोगों ने सरकार की कार्रवाई को बताया गलत
- कांवड़ यात्रा के दौरान हंगामा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। दुर्भाग्यपूर्ण है यह। एसएसपी को सिर्फ इसलिये हटा दिया गया क्योंकि वह उन कांवडिय़ों को रोक रहे थे जो शराब पीकर हाथ में हथियार लेकर अपना काफिला वहां से निकालना चाहते थे। सत्ता में बैठे लोगों को कप्तान साहब की यह कार्रवाई अखड़ गई और उनका तबादला कर दिया गया। जिले के पुलिस के सबसे बड़ मुखिया एसएसपी को भी इनको रोकने की जगह इनके पैर धोकर उसका पानी पीना चाहिए था, उनके ऊपर पुष्प वर्षा करना चाहिए थी जैसे कुछ दूसरे अफ़सर करते हैं हद हो गई! मतलब कांवडिय़ों की शक्ल में गुंडे कुछ भी करेंगे और पुलिस उनको रोक भी नहीं सकती। उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को राज्य की पुलिस व्यवस्था में फेरबदल करते हुए 10 जिलों के पुलिस प्रमुखों समेत भारतीय पुलिस सेवा के 14 अधिकारियों का तबादला कर दिया। जिन 10 जिलों के पुलिस प्रमुख बदले गए हैं, उनमें एक नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है। वो नाम कोई और नहीं बल्कि बरेली के एसएसपी रहे प्रभाकर चौधरी का है। दरअसल, बरेली स्थित पुराना शहर के मोहल्ल जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा के दौरान बवाल हुआ था, जिसके चलते पुलिस ने कांवडिय़ों पर लाठीचार्ज कर दिया। ऐसा कहा जा रहा है कि इसी घटना को गंभीर मानकर शासन ने प्रभाकर चौधरी का तबादला कर कर दिया, गौरतलब है कि अभी हालिया मार्च के महीने में प्रभाकर चौधरी ने बरेली के एसएसपी का चार्ज संभाला था, फिलहाल, प्रभाकर चौधरी को 32वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ का कमांडेंट बनाया गया है।
ईमानदार छवि के हैं आईपीएस प्रभाकर चौधरी
आईपीएस प्रभाकर चौधरी का एक बार फिर ट्रांसफर कर दिया गया है। अपने कार्यों और ईमानदार छवि के लिए पुलिस प्रशासन में प्रभाकर चौधरी की अलग पहचान है। बरेली में उनका पदस्थापन करीब साढ़े चार माह पहले हुआ था। तबादला आदेश जारी होने को लेकर चर्चा का बाजार गरमाया हुआ है। एसएसपी से सेनानायक बनाए जाने को लेकर भी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि उनके कद को छोटा कर दिया गया है। प्रभाकर चौधरी की जगह सीतापुर के एसपी सुशील चंद्रभान धुले को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया है। प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम पारस नाथ चौधरी है। प्रभाकर चौधरी ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्हें आईपीएस के रूप में चुना गया। यूपी कैडर में उन्हें तैनाती दी गई। प्रभाकर चौधरी ने देवरिया, बिजनौर, बलिया, बुलंदशहर और कानपुर देहात में एसपी के पद पर काम किया है। प्रभाकर चौधरी वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और आगरा में एसएसपी का पदभार संभाल चुके हैं। बरेली के एसएसपी पद पर मार्च में उनका ट्रांसफर हुआ था। उन्होंने तब कहा था कि यह उनका 19वां जिले में तैनाती है। इससे पहले मेरठ के एसएसपी थे, वहां उन्होंने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा किया था। अन्य जिलों में प्रभाकर चौधरी सिर्फ छह से सात महीने का ही कार्यकाल पूरा कर पाए।
बरेली को दंगे से बचाया
प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर को लेकर कई प्रकार की बातें कही जा रही हैं। बरेली में कांवडिय़ों पर लाठीचार्ज को कुछ लोग कारण बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि एसएसपी का बयान कार्रवाई का कारण बना है। कुछ लोग कह रहे हैं कि जिस कप्तान ने बरेली को दंगे से बचाया, उसी पर एक्शन लिया जा रहा है। दरअसल, लाठीचार्ज के बाद एसएसपी ने कहा था कि कांवडिय़ों के बीच कुछ गलत लोग नशे में थे। उनके पास अवैध हथियार थे। एसएसपी के इसी बयान को लेकर मीडिया का एक वर्ग ट्रांसफर किए जाने की बात कर रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था की बात को आधार बनाया जा रहा है।
सादगी के लिए भी मिली पहचान
प्रभाकर चौधरी की सादगी के भी सभी कायल हैं। पुलिसिया महकमें अधिकारी उनके कानपुर देहात एसपी की तैनाती का किस्सा सुनाते हैं। देवरिया से ट्रांसफर के बाद उन्होंने सरकारी गाड़ी नहीं ली। बस पकड़ा और कानपुर देहात पहुंच गए। बस स्टैंड पर उतरे। टेंपो पकड़ा और एसपी आवास पर पहुंच गए। गार्डों ने पूछना शुरू कर दिया, कौन हैं, किनसे मिलना है? जवाब में अपना परिचय दिया तो गार्ड हैरान रह गए। पीठ पर बैग लादे, बिना सुरक्षा या गाड़ी के उन्हें देखकर हर कोई उन्हें हैरत भरी नजरों से देख रहा था। गार्ड जब नहीं माना तो उन्होंने अपना आईडेंटिटी कार्ड दिखाया। इसके बाद बंगले का गेट खोला गया। इसके बाद प्रभाकर चौधरी आवासीय ऑफिस में पहुंचे। स्टेनो के पास जाकर अपना सीयूजी सिम मांग लिया। स्टेनो का वही सवाल था, कौन हैं, सिम क्यों मांग रहे। जवाब में कहा, मैं प्रभाकर चौधरी, नया एसपी। यह सुनते ही पुलिसकर्मियेां में हडक़ंप मच गया था।
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महिला श्रद्धालुओं को लगी चोट
बरेली में कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस ने जबरदस्त लाठीचार्ज करके लोगों को मौके से खदेड़ दिया। इस दौरान महिलाओं को भी निशाना बनाया गया। घायल महिलाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें घर में घुसकर पीटा गया। चक महमूद में लाठीचार्ज के बाद गलियों में महिलाओं के समूह भी मौजूद थे। यहां घरों में भी चीख-पुकार मच रही थी। गीता ने अपने शरीर पर लगी चोटें दिखाते हुए बताया कि वह घर पर थीं। घर में घुसकर पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनके पति वेदप्रकाश को पीटा। बगल के घर में रागिनी और उनकी मां सरस्वती शर्मा भी निकलकर आईं। इन लोगों ने पीठ और हाथ पर लगी चोटें दिखाईं। एक महिला का हाथ भी टूट गया है। वह लोग दरवाजे पर खड़ी थीं। उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया। उनका घटना से कोई लेना-देना नहीं था। एक युवक ने बताया कि वह बच्चे की दवा लेने जा रहा था। उनकी भी पिटाई की गई। एक कांवडिय़े ने कहा कि उनका कसूर इतना है कि वे यात्रा में शामिल थै।
सरकार विरोधी नारे लगाकर सडक़ पर दिया धरना
कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे की अनुमति न मिलने पर गुस्साए लोगों ने महिलाओं के साथ सुरेश शर्मा नगर चौराहे पर धरना देकर सरकार विरोधी नारे लगाए। शासन प्रशासन के विरोध में नारेबाजी की। कहा कि वह लोग कोई अपराध नहीं कर रहे हैं। कांवड़ यात्रा निकालकर वह अपने आराध्य भोले शंकर की पूजा नहीं करने जा रहे हैं। उनसे उनका अधिकार छीना जा रहा है। जत्थेदार भी इन लोगों के साथ मौजूद थे। यहां जाम की स्थिति बनी तो करीब आधा घंटा बाद एसपी सिटी इन्हें समझाकर साथ ले गए। देर रात पुलिस ने जोगी नवादा इलाके के एक हिस्ट्रीशीटर और एक धार्मिक संगठन के नेता के साथ ही छह-सात लोगों को पकड़ लिया। बारादरी थाने में वीडियो से फुटेज देखकरं पहचान की जा रही थी।
पुलिस के पास कई वीडियो व फुटेज
पुलिस के पास कई वीडियो व फुटेज हैं, जिनसे आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी करेंगे। बारादरी थाना प्रभारी का कहना था कि जत्थेदारों की भूमिका भी गड़बड़ रही। वह अपने ही लोगों पर नियंत्रण नहीं रख सके। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। कांवडिय़े प्रशासन की बात मान रहे थे। इलाके के कुछ लोगों ने जत्थे में घुसकर माहौल बिगाड़ दिया। रविवार सुबह से चल रही रस्साकसी के बीच शाम पांच बजे एसएसपी प्रभाकर चौधरी के नेतृत्व में पुलिस ने पहले सख्ती दिखाते हुए बलपूर्वक हटाया, फिर लाठीचार्ज करना पड़ा। एसएसपी का दावा था कि अराजकतत्वों ने हवाई फायरिंग की, इस कारण लाठीचार्ज करना पड़ा। डीएम शिवाकांत द्विवेदी की मौजूदगी में हुए लाठीचार्ज में कांवडिय़ों समेत कुछ महिलाएं भी घायल हुईं।