केरल विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में खुलासा, राज्य के 1157 स्कूल असुरक्षित और जर्जर

केरल विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 1157 स्कूल, जिनमें अधिकतर सरकारी हैं, असुरक्षित और जर्जर पाए गए हैं. इनमें क्लास लगाना बच्चों के जीवन के लिए जोखिम भरा है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केरल विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 1157 स्कूल, जिनमें अधिकतर सरकारी हैं, असुरक्षित और जर्जर पाए गए हैं. इनमें क्लास लगाना बच्चों के जीवन के लिए जोखिम भरा है. कोल्लम जिले में स्थिति सबसे खराब है.

देश के कई राज्यों में स्कूलों और वहां मौजूद क्लासरूम की हालत काफी खस्ता है. इसको लेकर समय-समय पर खबरें सामने आती रहती हैं. इसके अलावा कई बार इस तरह के हादसे भी सामने आए हैं, जब क्लासरूम में ही बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. अब इन खंडहर स्कूलों को लेकर केरल विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अकेले केरल राज्य के 1157 स्कूल अनफिट पाए गए हैं. इन स्कूलों में क्लास संचालित करना जान का जोखिम लेने जैसा ही है. इस पर सरकार ने भी चिंता जाहिर की.

केरल विधानसभा में करुणागप्पल्ली विधायक सी. आर. महेश के सवाल के जवाब में ये जानकारी सामने आई है. इसमें खुलासा हुआ है कि राज्य में 1100 से ज्यादा स्कूल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. स्कूलों की इस हालत को लेकर शिक्षा मंत्री वी. सिवनकुट्टी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है.

उन्होंने कहा, “योजना निधि और केआईआईएफबी (केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड) परियोजनाओं के माध्यम से नए स्कूल भवनों का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही जिन स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है उन्हें भी फंड उपलब्ध कराया जा रहा है.

कौन से बन रहे खंडहर?
केरल विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक पूरे राज्य में 1157 स्कूलों की हालत खराब हैं, इनमें से ज्यादातर सरकारी स्कूल ही हैं. इनकी संख्या 875 है. इसके अलावा 262 ऐसे स्कूल हैं जो सहायता से चल रहे हैं.वहीं 20 प्राइवेट स्कूल अनफिट पाए गए हैं. रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि इन स्कूलों में क्लास लगाना सही नहीं है.

आपको बता दें,कि केरल के जिलेवार आंकड़े बताते हैं कि कोल्लम जिले में सबसे ज्यादा स्कूलों की हालत खराब है. यहां 143 स्कूल अनफिट पाए गए हैं. इसके बाद अलप्पुझा में 134 और तिरुवनंतपुरम 120 स्कूल कक्षाएं संचालित करने लायक नहीं हैं. मौजूदा नियमों के मुताबिक शैक्षणिक वर्ष शुरू होने से पहले स्कूल प्रबंधन को स्थानीय अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करना जरूरी होता है.

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