अधीर के निलंबन पर संसद में हंगामा

  • मानसून सत्र का अंतिम दिन, विपक्ष ने उठाया मुद््दा
  • पीएम के भाषण पर भी तीखी नोक-झोंक
  • खरगे बोले- मणिपुर पर बोलने के लिए धन्यवाद
  • सरकार बोली विपक्ष ने नहीं चलने दिया सदन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मानसून सत्र के अंतिम दिन संसद में जमक हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष की मनमानी पर विपक्ष ने उसको खूब घेरा। जहां लोक सभा में गृहमंत्री ने सीआरपीसी व आईपीसी की धाराओं में संशोधन के बिल पेश किए वहीं राज्य सभा में अधीर रंजन के निलंबन पर मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार को जमकर कोसा, उन्होंने कहा कि मामूली बात पर उनको निलंबति कर दिया। हंगामे के बाद लोक सभा व राज्य सभा स्थगित हो गई। खरगेे ने पीएम को सदन में बोलने पर उन्हें धन्यवाद भी बोला।
वहीं इंडिया गठबंधन ने सरकार के खिलाफ मार्च भी निकाला। रास में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने लोस में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चौधरी को मामूली आधार पर निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने सिर्फ नीरव मोदी कहा था। नीरव का मतलब शांत, मौन है। आपने उन्हें इस बात पर निलंबित कर दिया? इससे पहले कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुबह पार्टी बैठक भी बुलाई।

आईपीसी व सीआरपीसी, एविडेंस एक्ट में होगा बदलाव : अमित शाह

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्थापित होगी और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रस्थापित होगा। शाह ने कहा कि इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना होगी भारतीयों को अधिकार देने की। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा। इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना।

सदन चलता है, पीएम घूमते हैं : नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वे केवल प्रचार में विश्वास करते हैं और पार्टी का आम लोगों के लिए कल्याण कार्य करने का कोई इरादा नहीं है। मुख्यमंत्री ने मणिपुर जातीय हिंसा पर बयान नहीं देने के लिए नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की। मोदी पर निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा कि नई दिल्ली में संसद चल रही थी और पीएम नरेंद्र मोदी संसद में मौजूद नहीं थे। ऐसी बात पहले कभी नहीं हुई होगी। अटल जी के कार्यकाल में जब मैं केंद्र सरकार में था तो सभी लोग सदन के अंदर रहते थे। काम नहीं हो रहा है। उन जगहों पर कोई बयान नहीं जहां घटनाएं हुईं। मोदी पर हमला करते हुए कहा कि सदन (संसद) चल रहा है और आप बाहर घूम रहे हैं। क्या पहले ऐसा होता था? इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि अब चीजों का केवल एक ही पक्ष दिखाया जाता है। दूसरे जो कहते हैं वह सामने नहीं आता।

विपक्ष ने मणिपुर के बहाने नहीं चलने दी संसद : रिजिजू

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद किरण रिजिजू ने कहा कि विपक्षी दलों ने पिछले कई दिनों से मणिपुर का बहाना करके संसद को चलने नहीं दिया। कल जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर पर बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी तब विपक्ष ने वॉकआउट किया। पूर्वोत्तर के सभी एनडीए सांसद प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखने जा रहे हैं कि उन्होंने कल मणिपुर और पूर्वोत्तर पर विस्तार से अपनी बात रखी। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने रंजन चौधरी के निलंबन पर कहा कि चौधरी ने कल जो किया वह बहुत गलत था। यह भाजपा या सरकार का अपमान नहीं था। वह संसद का अपमान करने की कोशिश कर रहे थे। इससे सबको सबक मिलेगा कि सदन में कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। वहीं, उन्होंने फ्लाइंग किस विवाद पर कहा कि संसद और देश का अपमान करना कांग्रेस की आदत है।

पीएम के चेहरे से लग रहा था वो हार रहे हैं : प्रमोद

लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण और अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं मोदी जी को मणिपुर के बारे में बोलने के लिए मजबूर करने के लिए कांग्रेस को बधाई देना चाहता हूं। मैंने पीएम मोदी को कई बार बोलते हुए सुना है, लेकिन कल उनके वाक्य और उच्चारण कहीं और जा रहे थे और उनके चेहरे से लग रहा था कि वे हार रहे हैं। वहीं अधीर रंजन चौधरी का निलंबन संसद में तानाशाही और संख्या का दुरुपयोग है। अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वाम ने कहा कि संसद में किसी को भी किसी भी वक्त निलंबित किया जा सकता है, वही आज की संसद है। यह संसद में सत्तारूढ़ पीठों की इच्छाओं को एकतरफा थोपने का स्थान बन गया है।

मोदी सरकार का फैसला सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना : जयराम रमेश

  • चुनाव आयोग में नियुक्ति प्रक्रिया का कांग्रेस ने किया विरोध
  • 2012 में आडवाणी के लिखे पत्र को किया साझा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को बाहर करने की मांग करने वाले विधेयक की विपक्ष की आलोचना के बीच कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को तत्कालीन भाजपा संसदीय दल का 2012 का एक पत्र साझा किया।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ऐसी नियुक्तियों के लिए व्यापक आधार वाले कॉलेजियम का सुझाव दिया था। पत्र में आडवाणी ने मांग की थी कि सीईसी और अन्य सदस्यों की नियुक्ति पांच सदस्यीय पैनल या कॉलेजियम द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें प्रधान मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता और कानून मंत्री शामिल हों। कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाया गया विधेयक न केवल आडवाणी द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव के खिलाफ है, बल्कि 2 मार्च, 2023 को 5-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के फैसले को भी पलट देता है।

मणिपुर हिंसा पर ‘सुप्रीम’ आदेश पुलिस की भूमिका की होगी जांच

  • पुलिस पर अपराधियों के साथ मिलीभगत का आरोप

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी जारी हुई है। मणिपुर के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई। महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कानून प्रवर्तन प्राधिकरण हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रही।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कई नई बाते सामने आई हैं, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हिंसा के अपराधियों के साथ पुलिस की मिलीभगत के आरोपों की भी जांच करने का निर्देश दिया है, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रैंक,स्थिति, पद की परवाह किए बिना अपराधियों से मिलीभगत करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई हो। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पडसलगीकर को उन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है जिसमें कहा गया है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने मणिपुर में संघर्ष के दौरान हिंसा (यौन हिंसा सहित) के अपराधियों के साथ मिलीभगत की थी।

केंद्र और राज्य सरकार सहयोग दें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस जांच को पूरा करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने का आदेश दिया है, महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पडसलगीकर को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दिए जाने का आदेश भी दिया गया है। इस आदेश के अनुसार, स्ष्ट ने जांच की धीमी गति की आलोचना की और जांच आयोग को 2 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. इस रिपोर्ट के सौंपे जाने के बाद ट्रायल को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने पर विचार करेंगे। इससे पहले 7 अगस्त की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केवल मौखिक रूप से आदेश की रूपरेखा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी कर दिया है।

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