शिवपाल यादव के साथ अन्याय हुआ, विधानसभा में अखिलेश यादव पर बरसे ष्टरू योगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है। पहले अखिलेश यादव ने एक घंटे से भी ज्यादा समय तक सरकार के मुद्दों पर बात की। अब उनके बयान और आरोपों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप तो जन्म से ही चांदी के चम्मच में खाने के आदी हैं। आप दलित-आदिवासियों का दुख नहीं समझते। आप किसानों का दुख नहीं समझ सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवपाल यादव के साथ अन्याय हुआ। अखिलेश ने सांड का मुद्दा उठाया तो सीएम ने कहा कि आपके कार्यकाल में वे बूचडख़ानों में होते थे।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुष्यंत की उस शायरी कि तुम्हारे पांव के नीचे जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं। अखिलेश यादव ने देश के किसानों को सांड से हो रही परेशानी का जिक्र किया। इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा कि आप जिस सांड की बात आज सदन में कर रहे हैं वो आपके कार्यकाल में बूचडख़ानों में होते थे। उन्होंने कहा कि इसके लिए आज पुशधन हैं। सीएम ने शिवपाल यादव को याद किया और कहा कि उनके साथ बहुत गलत हुआ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिवपाल यादव की कीमत आप नहीं समझ सकते। अखिलेश यादव ने गोरखपुर में बाढ़ से हुए जलभराव का जिक्र किया। चूंकी गोरखपुर सीएम का विधानसभा क्षेत्र हैं, अखिलेश यादव ने उनपर तंज कसा। इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा कि बाढ़ के नाम पर गोरखपुर का जलभराव दिखा। उन्होंने किसानों का जिक्र करते हुए कहा कि ये (अखिलेश यादव) गरीब, किसान का दर्द नहीं समझेंगे।
उत्तरप्रदेश में अमूमन 15 जून तक मानसून आ जाता था लेकिन इस साल बारिश मानसून के अनुकूल बहुत संतोषजनक नहीं है। सामान्य से कम बारिश हुई। प्रदेश मे बड़ा हिस्सा सूखा है। उत्तर प्रदेश ही नहीं दुनिया का ऐसा भूभाग है जहां 86 प्रतिशत भूमि सिंचित है। नहरों से सरकारी नलकूपों से और निजी नलकूपो से ये जमीनें सिंचित हैं। इसी का परिणाम है कि देश के कुल कृषि योग्य भूमि का 11 प्रतिशत भूमि उत्तर प्रदेश में है। देश के खाद्यान्य का 20त्न उत्तर प्रदेश में उपजता है।
मौजूदा यूपी विधानसभा सत्र मे कुल 33 सदस्यों ने बाढ़ चर्चा मे भाग लिया। सीएम योगी ने कहा कि नेता विरोधी दल के विचारों को सुना। एक घंटे के भाषण मे उन्हें सिर्फ गोरखपुर का जलजमाव दिखाई पड़ा। उनके वक्तव्य से यही लगा 2014, 2017, 2019, 2022 का जनादेश्न ता ने ऐसे ही नहीं दिया। जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं वो किसान गरीब दलित की पीड़ा क्या समझेंगे? पिछडों, अति पिछड़ों के साथ इन्होंने क्या व्यवहार किया ये पूरा प्रदेश जानता है। चौधरी चरण सिंह की बातों को अगर समाजवादी पार्टी ने जरा सा भी ध्यान दिया होता इनके शासन काल मे सर्वाधिक किसान आत्महत्या न करते।