आरएमएल अस्पताल ने सीबीआई छापे के बाद बनाई जांच कमेटी, तीन डॉक्टरों की टीम सात दिनों में सौंपेगी रिपोर्ट

नई दिल्ली। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सीबीआई के छापे के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। अस्पताल की पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नंदनी दुग्गल के नेतृत्व में बनी कमेटी में तीन सदस्य शामिल हैं। कमेटी सात दिनों में जांच कर रिपोर्ट सौंपगी।
अस्पताल के कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज झा का कहना है कि बुधवार को कार्डियोलॉजी विभाग में जो हुआ, वह दुखद है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में हर दिन बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। इस बीच अचानक रिश्वत कांड का खुलासा होना और इसमें अस्पताल संकाय का पकड़ा जाना चिंता का विषय है। भविष्य में ऐसी घटना न हो। इसे लेकर आदेश दिए गए हैं।
साथ ही, तीन वरिष्ठ डॉक्टर मामले की पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपेगे। कमेटी इस बात का भी पता लगाएगी कि आरोपी डॉक्टर कमीशन के बदले कार्डियक इंप्लांट बनाने वाली कंपनी को किस तरह फायदा पहुंचा रहे थे, जिससे कंपनियों के वेंडर उन्हें रिश्वत दे रहे थे। साथ ही, अस्पताल में मरीजों को चिकित्सा इंप्लांट उपलब्ध कराने की मौजूदा व्यवस्था में खामियों की पड़ताल करने का निर्देश दिया गया है। कमेटी से मिले सुझाव के आधार पर अस्पताल की व्यवस्था में बदलाव भी किया जाएगा। पूरे मामले की रिपोर्ट सीबीआई से मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद आरोपी डॉक्टरों को निलंबित किया जाएगा। साथ ही, दूसरी विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।
छापे में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी शालू शर्मा का नाम आने के बाद बृहस्पतिवार को अस्पताल की नर्स एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन किया। इस मौके पर नर्सिंग अधिकारी शालू शर्मा ने कहा कि सीबीआई ने जिसे पकड़ा वह एमटीएस कर्मचारी है, लेकिन इसमें मेरा नाम डाल दिया गया है। सीबीआई के जांच पत्र में मेरा नाम आने के बाद से सभी परेशान हैं। वहीं, नर्सिंग एसोसिएशन ने कहा कि सीबीआई को नामों की सूचना जारी करने से पहले जांच कर लेनी चाहिए थी। सीबीआई की गलती के कारण सभी को परेशानी हुई है। यदि इस गलती हो जल्द नहीं सुधारा गया तो शुक्रवार को अस्पताल में हड़ताल के साथ प्रदर्शन किया जाएगा।
बृहस्पतिवार को दिल्ली के दूसरे अस्पतालों में हडक़ंप जैसा माहौल दिखा। सफदरजंग, लेडी हार्डिंग, एम्स, जीटीबी सहित दूसरे अस्पतालों में सीबीआई की कार्रवाई चर्चा का विषय बनी रही। इसके अलावा सभी अस्पतालों के सर्जरी से जुड़े विभागों में सख्ती देखी गई। शुक्रवार को विशेष रूप से बाहर से आने वाले मेडिकल प्रतिनिधि को अस्पतालों से दूर रखा गया। डॉक्टरों ने बताया कि सभी अस्पतालों में सूचना दी गई थी कि आरएमएल की तरह कुछ हो सकता है। ऐसे में विशेष ध्यान रखा गया।
अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के मामले में पिछले साल मार्च में सीबीआई ने सफदरजंग के एक न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष रावत को गिरफ्तार किया था। सीबीआई का आरोप था कि एक निजी व्यक्ति के माध्यम से गिरफ्तार डॉक्टर ने मरीजों से तीन अलग-अलग मामलों में 1,15,000, 55,000 और 30,000 रुपये की रिश्वत ली थी।

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