ईडी-आयकर के बाद आरटीआई पीएम मोदी के गठबंधन में शामिल, सीएम स्टालिन ने भाजपा पर निशाना साधा
नई दिल्ली। कच्चातिवु द्वीप को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पीएम मोदी ने अपने गठबंधन में सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) जोड़ा है। स्टालिन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में पीएम मोदी ने डीएमके पर तमिलनाडु के हितों की रक्षा नहीं करने का आरोप लगाया था और कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के लिए कांग्रेस पर हमला बोला था।
स्टालिन ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) के बाद अब उन्होंने आरटीआई को अपने गठबंधन में शामिल कर लिया है। पीएम मोदी जानते हैं कि वह कुछ भी कहेंगे तो लोग अब उनका विश्वास नहीं करेंगे, इसलिए उन्होंने नौटंकी के लिए आरटीआई का सहारा लिया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी सवाल किया कि प्रधानमंत्री को उत्तर प्रदेश में कच्चातिवु के बारे में क्यों बोलना पड़ा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराया जाना चाहिए। हालांकि, भाजपा को भी पता है कि दक्षिणी और उत्तरी राज्यों के लोग उसे सत्ता से हटा देंगे। वहीं, स्टालिन ने पीएम मोदी की यह कहने के लिए भी आलोचना की कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई की जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा, क्या आपको झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बारे में पता नहीं था? कांग्रेस पार्टी के खातों को फ्रीज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में आयकर ने यू-टर्न ले लिया। आपको पता नहीं है कि आईटी, ईडी और सीबीआई क्या कर रही हैं?
उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को द्रविड़म शब्द पसंद नहीं है, वे उन्हें धर्म के दुश्मन के तौर पर चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हम धर्म के दुश्मन नहीं है, हम सांप्रदायिकता के दुश्मन हैं जो लोगों को बांटता है। एम करुणानिधि की भाषा में कहें तो हम यह दावा नहीं करते कि मंदिर का अस्तित्व नहीं होना चाहिए, लेकिन हम दावा करते हैं कि मंदिर को क्रूरताओं का शिविर नहीं बनना चाहिए। कुल मिलाकर हम उन लोगों के दुश्मन हैं जो लोगों को बांटने के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं।
गौरतलब है, हाल ही में एक आरटीआई रिपोर्ट को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाए कि किस तरह बेरहमी से उसने सन् 1974 में कच्चातिवु को छोड़ दिया था। तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने आरटीआई दायर कर कच्चातिवु के बारे में पूछा था। आरटीआई सामने आने पर पता चला है कि सन् 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने एक समझौता किया था। इसके तहत कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था। बताया गया है कि इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए यह समझौता किया था। संसद के आधिकारिक दस्तावेजों और रिकॉर्ड से पता चलता है कि किस तरह अस्थिर भारत पाक जलडमरूमध्य में द्वीप पर नियंत्रण की लड़ाई एक छोटे देश से हार गया, जो इसे छीनने के लिए प्रतिबद्ध था।
इस मामले में कांग्रेस को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक मीडिया रिपोर्ट साझा की थी। उन्होंने कहा था, आंखें खोलने और चौंकाने वाला सच सामने आया है। नए तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने किस तरह बेरहमी से कच्चातिवु को छोड़ दिया था। इसने हर भारतीय को नाराज कर दिया है। हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते। भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 सालों से काम करने का तरीका रहा है।
कच्चातिवु पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। 285 एकड़ हरित क्षेत्र 1976 तक भारत का था। हालांकि, श्रीलंका और भारत के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर आज श्रीलंका हक जताता है। दरअसल, साल 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने समकक्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इन्हीं समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया।