शारजाह के शासक ने शुरू की जैतून परियोजना, होगा लाखों का फायदा!
शारजाह एक रेगिस्तानी इलाका है, लेकिन शेख सुल्तान का मानना है कि रेगिस्तान से ही असली खेती और पशुपालन की जड़ें निकलती हैं,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शारजाह के शासक, जिनका नाम शेख डॉक्टर सुल्तान बिन मुहम्मद अल कासिमी है, उन्होंने हाल ही में जैतून की खेती, मुर्गी पालन और सब्जी उत्पादन से जुड़ी परियोजनाओं की रूपरेखा पेश की है, जो संयुक्त अरब अमीरात के इस अमीरात को खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ खेती की दिशा में मजबूत बनाने का एक बड़ा कदम है। यह सब म्लेइहा डेयरी फैक्ट्री के उद्घाटन के दौरान हुआ, जहां शेख सुल्तान ने अपनी 65 साल पुरानी सोच को साकार बताया, जिसमें लोगों की सेहत को सबसे ऊपर रखा गया है, न कि सिर्फ पैसा कमाना।
शारजाह एक रेगिस्तानी इलाका है, लेकिन शेख सुल्तान का मानना है कि रेगिस्तान से ही असली खेती और पशुपालन की जड़ें निकलती हैं, जैसे पुराने समय में लोग मूल बीजों से फसलें उगाते थे और जानवरों को प्राकृतिक तरीके से पालते थे। इस विजन के तहत, शारजाह में कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें डेयरी फार्मिंग, गेहूं की खेती, सब्जियां उगाना, मुर्गियां पालना और जैतून के पेड़ लगाना शामिल हैं। म्लेइहा डेयरी फैक्ट्री खुद 20 हजार वर्ग मीटर में फैली हुई है और हर साल लगभग 600 टन दूध उत्पादन कर सकती है, जिसमें ताजा दूध, दही, लबनेह और योगर्ट जैसे उत्पाद बनते हैं।
यहां A2A2 नस्ल की गायों को रखा गया है, जो एक दुर्लभ और मूल नस्ल है, और इनकी संख्या 6,400 से ज्यादा है, जिसकी वजह से इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी A2A2 गाय फार्म है। इन गायों को प्राकृतिक चारा खिलाया जाता है, जैसे साइलेज जो खुद फार्म में बनाया जाता है, और दूध निकालने के लिए आधुनिक मशीनें हैं जो हर घंटे 500 गायों का दूध निकाल सकती हैं।
रोजाना तीन बार दूध निकाला जाता है, जिससे करीब 1 लाख लीटर दूध मिलता है, और पैकेजिंग भी पर्यावरण के अनुकूल है, जैसे प्लास्टिक की बजाय रिसाइकल करने योग्य सामग्री। शेख सुल्तान ने कहा कि यह सब लोगों की सेहत के लिए है, क्योंकि इस दूध में 20 तरह के स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे पाचन अच्छा रखना और एलर्जी कम करना। अब बात करते हैं जैतून की खेती की परियोजना की, जो जेबेल डीम नाम की जगह पर चल रही है। यहां अब तक 3,800 जैतून के पेड़ लगाए जा चुके हैं, और 1,200 और लगाने का काम चल रहा है।
हर साल 1,500 नए पेड़ लगाने का प्लान है, और जल्द ही एक फैक्ट्री बनेगी जो प्रीमियम क्वालिटी का जैतून का तेल बनाएगी। जैतून की खेती रेगिस्तानी इलाके में चुनौतीपूर्ण है, लेकिन शारजाह के वैज्ञानिक और किसान आधुनिक तकनीकों से पानी बचाते हुए इसे सफल बना रहे हैं, जैसे ड्रिप इरिगेशन सिस्टम जो पानी की बूंद-बूंद का सही इस्तेमाल करता है। यह परियोजना न सिर्फ तेल उत्पादन बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण को भी बेहतर बनाएगी, क्योंकि जैतून के पेड़ रेगिस्तान में हरियाली लाते हैं और मिट्टी को मजबूत रखते हैं। शेख सुल्तान का मानना है कि पुराने समय के जैतून के बीजों से उगाए गए पेड़ ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक फल देते हैं, इसलिए यहां मूल किस्मों पर फोकस है।
अब मुर्गी पालन की बात करें, तो “फिली” पोल्ट्री प्रोजेक्ट है, जिसमें मुर्गियों को खुले मैदानों में प्राकृतिक तरीके से पाला जाता है, न कि बंद पिंजरों में। ये मुर्गियां फ्री-रेंज हैं, यानी वे घूम-फिर सकती हैं, प्राकृतिक चारा खा सकती हैं, और तीन महीने में उत्पादन के लिए तैयार हो जाती हैं। यह प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू होने वाला है, और इसका मकसद है कि लोगों को स्वस्थ मीट और अंडे मिलें, बिना किसी केमिकल या एंटीबायोटिक के। शारजाह में पहले से ही पोल्ट्री फार्मिंग चल रही है, लेकिन यह नया प्रोजेक्ट ज्यादा टिकाऊ और स्वास्थ्य केंद्रित है।
मुर्गियों को रेगिस्तानी मौसम में रखने के लिए विशेष बाड़े बनाए गए हैं, जहां छाया और पानी की व्यवस्था है, और उन्हें मूल नस्लों से चुना गया है जो मजबूत होती हैं। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि रोजगार भी मिलेगा स्थानीय लोगों को, जैसे फार्म वर्कर्स और मार्केटिंग स्टाफ। अब सब्जी उत्पादन पर आते हैं, जो शारजाह की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है। यहां मूल बीजों से सब्जियां उगाई जा रही हैं, और जर्मन फार्म्स के साथ मिलकर काम हो रहा है ताकि स्वाद, खुशबू और पोषण में बेहतर हों।
हाल ही में शेख सुल्तान ने “गिरास एग्रीकल्चरल” कंपनी बनाने का निर्देश दिया, जो शारजाह एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक प्रोडक्शन के तहत आएगी। यह कंपनी ऑर्गेनिक फल और सब्जियां पैदा करेगी, और अल धैद शहर में ग्रीनहाउस प्रोजेक्ट को मैनेज करेगी। ग्रीनहाउस मतलब बंद जगह में खेती, जहां मौसम को कंट्रोल किया जाता है, ताकि रेगिस्तान में भी टमाटर, खीरा, बैंगन जैसी सब्जियां साल भर उगाई जा सकें। यह परियोजना “डायरेक्ट लाइन” प्रोग्राम में घोषित हुई, जो शारजाह रेडियो और टीवी पर आती है। शारजाह में पहले से ही ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने का प्रोग्राम है, जहां किसानों को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट लेने में मदद की जाती है।
इन सब्जियों में कोई केमिकल नहीं होगा, इसलिए वे सेहत के लिए अच्छी होंगी, और स्थानीय बाजार में बेची जाएंगी ताकि आयात पर निर्भरता कम हो। शेख सुल्तान की पूरी सोच यह है कि शारजाह खुद अपनी जरूरत का खाना पैदा करे, और लोगों को स्वस्थ जीवन मिले। इसके लिए अल धैद यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर, वेटरनरी और डेजर्ट साइंस के कोर्स चल रहे हैं, जहां छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है। उद्घाटन के दौरान शेख सुल्तान ने फैक्ट्री का दौरा किया, जहां उन्होंने उत्पादन लाइनों, पैकेजिंग, कंट्रोल रूम और जानवरों के रहने की जगह देखी। अधिकारियों ने उन्हें क्वालिटी कंट्रोल और भविष्य के प्लान्स के बारे में बताया, जैसे फार्म का विस्तार करना। एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जो इत्तिफाक नाम की है, जिसमें टिकाऊ खेती की कहानी है।
शेख सुल्तान ने योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया और पैकेजिंग के लिए सस्टेनेबल पार्टनरशिप पर जोर दिया, जैसे वेस्ट रिसाइकलिंग। यह सब परियोजनाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं, जैसे डेयरी से निकला वेस्ट सब्जी खेती में खाद बन सकता है, और जैतून के पेड़ मुर्गियों के लिए छाया दे सकते हैं। शारजाह की सरकार ने इक्टिफा नाम की संस्था बनाई है, जो इन सबको मैनेज करती है, और सीईओ डॉक्टर खलीफा मुसबाह अल तनेजी ने कहा कि फोकस सेहत को पोषित करने और पर्यावरण का सम्मान करने पर है।
इन परियोजनाओं से न सिर्फ शारजाह बल्कि पूरे यूएई को फायदा होगा, क्योंकि खाद्य आयात कम होगा और निर्यात बढ़ सकता है। रेगिस्तान में खेती करना आसान नहीं है, लेकिन आधुनिक तकनीक जैसे सोलर पावर से चलने वाले इरिगेशन सिस्टम और मॉनिटरिंग ऐप्स से यह संभव हो रहा है। शेख सुल्तान की यह रूपरेखा एक मिसाल है कि कैसे एक नेता अपनी जनता की सेहत और भविष्य की सोच सकता है, और यह 65 साल की मेहनत का नतीजा है। जैतून की खेती से तेल मिलेगा जो दिल की बीमारियों से बचाता है, मुर्गी पालन से प्रोटीन रिच मीट, और सब्जियां विटामिन देंगी। कुल मिलाकर, यह परियोजनाएं शारजाह को एक हरा-भरा और स्वस्थ अमीरात बनाने की दिशा में हैं, जहां लोग प्राकृतिक खाना खाकर लंबी उम्र जी सकें।
जैतून प्रोजेक्ट में पेड़ों की देखभाल के लिए विशेष टीम है, जो कीटों से बचाने के लिए ऑर्गेनिक तरीके इस्तेमाल करती है, जैसे प्राकृतिक स्प्रे। पेड़ लगाने से पहले मिट्टी की जांच होती है, और पानी की बचत के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। मुर्गी पालन में चूजों को वैक्सीन दी जाती है, लेकिन एंटीबायोटिक नहीं, और उनके खाने में अनाज और कीड़े शामिल हैं। सब्जी उत्पादन में ग्रीनहाउस में तापमान 25-30 डिग्री रखा जाता है, और LED लाइट्स से दिन लंबा किया जाता है।
इन सब से रोजगार बढ़ रहा है, जैसे 1000 से ज्यादा लोग इन प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे हैं। भविष्य में ये उत्पाद शारजाह के बाजारों में उपलब्ध होंगे, और एक्सपोर्ट भी हो सकते हैं। शेख सुल्तान की यह पहल दुनिया भर के रेगिस्तानी देशों के लिए प्रेरणा है, कि कैसे टिकाऊ विकास किया जाए। और भी डिटेल्स में जाएं तो म्लेइहा फार्म में गायों के बाड़े ऐसे बने हैं कि वे आराम से सो सकें, और सफाई के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम है। जैतून के तेल की फैक्ट्री में कोल्ड प्रेसिंग मेथड इस्तेमाल होगा, ताकि पोषक तत्व बने रहें।
फिली प्रोजेक्ट में मुर्गियों की संख्या हजारों में होगी, और अंडे ऑर्गेनिक सर्टिफाइड होंगे। गिरास कंपनी अल धैद में 50 हेक्टेयर में फैलेगी, जहां फल जैसे सेब, संतरे और सब्जियां जैसे पालक, गोभी उगाई जाएंगी। शारजाह की सरकार किसानों को ट्रेनिंग देती है, और सब्सिडी भी, ताकि वे ऑर्गेनिक पर शिफ्ट हों। यह सब मिलकर शारजाह को फूड इंडिपेंडेंट बनाएगा, और क्लाइमेट चेंज से लड़ने में मदद करेगा। शेख सुल्तान ने कहा कि रेगिस्तान हमारा मूल है, और इससे ही सेहत आएगी। इन परियोजनाओं की सफलता से यूएई का जीडीपी बढ़ेगा, और टूरिज्म भी, क्योंकि लोग इन फार्म्स को देखने आएंगे। कुल मिलाकर, यह एक बड़ा विजन है जो आने वाले सालों में फल देगा।



