मैदान में उतरेंगे Nishant Kumar? JDU ने दिए बड़े संकेत!
बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार खरमास के बाद सियासी मैदान में उतरने वाले हैं?...दरअसल, ये सवाल अचानक नहीं उठा है…

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार खरमास के बाद सियासी मैदान में उतरने वाले हैं?…दरअसल, ये सवाल अचानक नहीं उठा है…
पिछले कई दिनों से आरजेडी लगातार दावा कर रही है कि 14 जनवरी के बाद निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं…आरजेडी का कहना है कि निशांत अपने पिता नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे और राजनीति में उनका स्वागत किया जाना चाहिए…इस बयान के मायने इसलिए भी खास हैं क्योंकि अब तक JDU खुद ये कहती रही है कि निशांत कुमार की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है…
खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार दोहरा चुके हैं कि उन्होंने अपने बेटे को राजनीति से दूर रखा है…लेकिन अब JDU के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं और JDU की ओर से निशांत कुमार की राजनीतिक एंट्री को लेकर बड़े संकेत दे दिए गए हैं…जिससे एक बार फिर से बिहार की राजनीतिक गलियारों में ये सवाल तेजी से गूंजने लगा है….
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज है और इस बार केंद्र में हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार…लंबे समय से राजनीति से दूर रहने वाले निशांत को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि…क्या खरमास खत्म होते ही वो सक्रिय राजनीति में कदम रखेंगे?…इस सवाल ने बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ दी है…दरअसल, ये पहली बार नहीं है जब निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर चर्चाएं हो रही हों…
पिछले कुछ सालों में कई मौकों पर उनका नाम सियासी गलियारों में उछला…लेकिन हर बार JDU ने इसे निजी फैसला बताकर टाल दिया…लेकिन, अब जब RJD खुलकर दावा कर रही है और JDU के नेता संकेतों की भाषा बोल रहे हैं….तो मामला ठोड़ा गंभीर होता दिखाई दे रहा है…एक ओर आरजेडी की ओर से दावा किया गया है कि खरमास यानी 14 जनवरी के बाद निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में उतर सकते हैं…आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने साफ कहा कि…संभावना है कि खरमास के बाद निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में आएंगे…
अपने पिता नीतीश की विरासत को आगे बढ़ाएंगे…हम लोग चाहते हैं कि उनको आना चाहिए…राजनीति में उनका स्वागत है…जेडीयू में जो बीजेपी माइंडसेट के लोग हैं…वो नहीं चाहते कि निशांत राजनीति में आएं…बीजेपी भी नहीं चाहती है…क्योंकि 20 साल से बीजेपी नीतीश कुमार की पिछलग्गू पार्टी है…अब निशांत के साथ पिछलग्गू बनकर नहीं रहना चाहती….
RJD का ये बयान सिर्फ एक मामूली टिप्पणी नहीं है…बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीतिक रणनीति छिपी हुई मानी जा रही है…आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और निशांत कुमार…दोनों को युवा चेहरों के तौर पर पेश कर RJD एक ऐसा नैरेटिव गढ़ना चाहती है…जिसमें बिहार की राजनीति का भविष्य युवाओं के हाथ में जाता दिखे….तेजस्वी यादव पहले ही खुद को युवा नेतृत्व के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं…ऐसे में निशांत कुमार का राजनीति में आना RJD के लिए दोधारी तलवार हो सकता है…
एक ओर पीढ़ीगत राजनीति का सवाल…तो दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार की विरासत को चुनौती देने का मौका…….लेकिन दिलचस्प बात ये है कि JDU की ओर से भी अब पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा रहा…जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने एक मीडिया कार्यक्रम से बातचीत में जो कहा…वो इन सभी अटकलों के बीच संकेतों से भरा हुआ बयान माना जा रहा है…
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि…युवा ही आज की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं…शिक्षित नौजवान युवा के तौर पर बिहार की जनता ने निशांत को पसंद किया है…निशांत में असीम संभावनाएं हैं…इसके आगे राजीव रंजन ने कहा कि…निशांत कुमार युवाओं के साथ पार्टी को कनेक्ट कर सकते हैं…करोड़ों लोग चाहते हैं कि निशांत सक्रिय राजनीति में आएं….पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी ये मांग उठाई है…अगर निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में आते हैं और संगठन का काम देखते हैं…तो हम लोगों को बहुत खुशी होगी….अब निर्णय निशांत कुमार को लेना है…
ये बयान इसलिए अहम है…क्योंकि अब तक JDU का आधिकारिक रुख यही रहा था कि निशांत कुमार राजनीति में नहीं आएंगे…खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने अपने बेटे को राजनीति से दूर रखा है…हालांकि, बदलते राजनीतिक हालात और JDU की कमजोर होती स्थिति के बीच ये सवाल उठने लगा है कि क्या पार्टी अब नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी कर रही है?…क्या निशांत कुमार को एक सॉफ्ट लॉन्च दिया जा रहा है?…
क्योंकि, राजीव रंजन ने ये भी कहा कि करोड़ों लोग चाहते हैं कि निशांत सक्रिय राजनीति में आएं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी ये मांग उठाई है…ये बयान बताता है कि JDU के भीतर भी इस मुद्दे पर मंथन चल रहा है…लेकिन उन्होंने ये भी साफ किया कि आखिरी फैसला निशांत कुमार को ही लेना है….ये लाइन JDU की उस रणनीति की ओर इशारा करती है…जिसमें पार्टी दबाव नहीं, बल्कि स्वाभाविक स्वीकार्यता का नैरेटिव बनाना चाहती है…….
वहीं दूसरी ओर, आरजेडी ने इस पूरे मुद्दे को बीजेपी से जोड़कर और भी राजनीतिक रंग दे दिया है…आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का आरोप है कि जेडीयू में मौजूद बीजेपी माइंडसेट के लोग नहीं चाहते कि निशांत कुनार राजनीति में आएं…आरजेडी का दावा है कि बीजेपी पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की पिछलग्गू रही है…लेकिन अब वो निशांत कुमार के साथ वही भूमिका नहीं निभाना चाहती……जोकि सीधे तौर पर एनडीए के अंदर चल रही खींचतान की ओर इशारा करता है…….अब यहां सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी को वाकई निशांत कुमार से राजनीतिक खतरा नजर आ रहा है?….
या फिर ये सिर्फ आरजेडी का बनाया हुआ राजनीतिक नैरेटिव है?……तो दोस्तों, अगर बिहार की राजनीति को देखें…..तो सुशासन, सामाजिक संतुलन और गैर-वंशवादी राजनीति…इन तीन चीजों के साथ ही सीएम नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत उनकी छवि रही है……निशांत कुमार का राजनीति में आना इस छवि को बदल सकता है…यही वजह है कि निशांत कुमार को लेकर फैसला इतना आसान नहीं है…जेडीयू को ये भी देखना होगा कि कहीं वंशवाद का आरोप उसकी साख को नुकसान न पहुंचा दे…
हालांकि, बदलते दौर में वंशवाद का मुद्दा उतना धारदार नहीं रह गया है….लगभग हर बड़ी पार्टी में किसी न किसी रूप में परिवारवाद मौजूद है…ऐसे में जेडीयू भी इस बहस से बच निकलने की रणनीति बना सकती है…निशांत कुमार की सबसे बड़ी ताकत ये है कि अब तक वो किसी विवाद में नहीं रहे हैं….वो साफ-सुथरी छवि के साथ राजनीति में उतर सकते हैं…जो JDU के लिए संजीवनी साबित हो सकती है…….
वहीं खरमास के बाद का समय इसलिए अहम माना जा रहा है…क्योंकि बिहार की राजनीति में परंपरागत रूप से इस अवधि के बाद बड़े फैसले लिए जाते हैं…कई सियासी गतिविधियां इसी समय तेज होती हैं…अगर निशांत कुमार इस दौरान मैदान में उतरते हैं…तो ये सिर्फ जेडीयू के लिए नहीं…बल्कि पूरे बिहार की राजनीति के लिए बड़ा मोड़ होगा…इससे सत्ता और विपक्ष…दोनों के समीकरण बदल सकते हैं…
फिलहाल, स्थिति यही है कि RJD दावा कर रही है…JDU संकेत दे रही है और BJP चुप्पी साधे हुए है…तो वहीं निशांत कुमार खुद भी इस पूरे मामले पर खामोश हैं…ये खामोशी ही इस कहानी को और भी ज्यादा रोचक बना देती है…और सवाल भी खड़े कर देती है कि क्या ये रणनीतिक चुप्पी है या फिर सच में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है…जोकि आने वाले दिनों में साफ होगा……………..
कुल मिलाकर, सवाल अब सिर्फ ये नहीं है कि निशांत कुमार राजनीति में आएंगे या नहीं….बल्कि सवाल ये भी है कि अगर आएंगे तो किस भूमिका में और किस टाइमिंग के साथ…खरमास के बाद बिहार की राजनीति में क्या नया अध्याय शुरू होगा…..या ये चर्चा भी पिछली चर्चाओं की तरह हवा में ही रह जाएगी…इसका जवाब जल्द ही मिलने वाला है…लेकिन इतना तो तय है कि निशांत कुमार का नाम अब बिहार की राजनीति से अलग करके नहीं देखा जा सकता….



