शाह की धमकी और योगी के बयान ने महाराष्ट्र चुनाव पलट दिया!
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है... योगी और मोदी के नारे की पूरे महाराष्ट्र में जमकर फजीहत हो रही है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है… योगी और मोदी के नारे की पूरे महाराष्ट्र में जमकर फजीहत हो रही है… जनता ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है… और बटेंगे तो कटेंगे नारे को लेकर आम जनता ने मोदी को घेरना शुरू कर दिया है…. बता दें कि सरकार आम जनता के मुद्दे को छोड़कर नफरती बातों को जनता के बीच में परोस रही है… सरकार को जनता के बीच में अपनी योजनाओं और जो अपनी सरकार के दौरान जनता के लिए किया का खाका तैयार कर आप जनता को बताना चाहिए था…. लेकिन सरकार ने सत्ता के मद में आकर अपने कार्यकाल के दौरान जनता के लिए कोई भी काम नहीं किया… जिसके चलते उनके पास जनता के बीच जाने के लिए कोई असल मुद्दा बचा ही नहीं है… जिसके चलते बीजेपी नफरती भाषणों का सहारा लेना पड़ रहा है… हाल ही में हुए हरियाणा चुनाव में भी बीजेपी ने कुछ ऐसा ही नैरेटिव सेट किया था जिसके चलते उसको जीत मिली…. उसी फार्मूले पर चलती हुई बीजेपी ने महाराष्ट्र में भी यही पैंतरा आजमाया था… लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी की इस बार कोई भी हथकंडा काम नहीं आ रहा है… जिसको देखते हुए मोदी और शाह की रातों की नींद उड़ गई है… और विपक्ष के सवालों का जवाब मोदी और शाह के पास नहीं है….
बता दें कि विपक्ष तो बटेंगे तो कटेंगे का विरोध कर ही रहा है… लेकिन मोदी और योगी के नारों का अब बीजेपी नेता ने ही खुलकर विरोध किया है… बता दें कि मोदी की नफरती राजनीति का अब पार्टी के लोग ही समर्थन नहीं कर रहें है… और खुलकर सामने आ रहें हैं…. और मोदी योदी के बयान का खुलकर विरोध किया है… बता दें कि महाराष्रट्र की बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने बटेंगे तो कटेंगे नारे को लेकर अपनी सरकार और पार्टी को घेरा है… जिससे बीजेपी की परेशानी और भी बढ़ती जा रही है…. जिसको देखते हुए बीजेपी आलाकमान में आपसी कलह जारी है…. अपनी बयानों में मुखर रहने वाली पंकजास मुंडे ने एक बार फिर सरकार की परेशानी को बढ़ा दी है… आपको बता दें कि महाराष्ट्र के नेताओं को पता है कि इन बयानों और नारों का जनता के ऊपर किस तरह का असर पड़ रहा है…. और जनता ने बीजेपी की नफरती राजनीति से दूरी बना ली है… और महाराष्ट्र में इस बार बीजेपी का बुरा हाल होने वाला है… जिससे वहां के लोकल नेताओं का भी वर्चस्व खत्म होता दिखाई दे रहा है…. जिसके चलते बीजेपी नेता और लोकल नेता अपना वर्चस्व बचाने के लिए मोदी और योदी के बयान का समर्थन नहीं कर रहें है… पार्टी आज है कल नहीं रहेगी लेकिन उन सभी नेताओं को महाराष्ट्र में हमेशा राजनीति करनी है…. जिसको देखते हुए सभी लोकल नेताओं ने मोदी योगी के नारों का विरोध करना शुरू कर दिया है….
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की एमएलसी पंकजा मुंडे ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाराष्ट्र में इस्तेमाल किए गए नारे बटेंगे तो कटेंगे के खिलाफ बयान देकर एक बार फिर पार्टी से पंगा ले लिया है….. इसके पहले महायुति गठबंधन के हिस्सा एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने भी बंटेंगे तो कटेंगे भाषण से अपना इत्तिफाक नहीं जताया था…. न्यूज पेपर में दिए गए साक्षात्कार में पंकजा ने कहा कि सच कहूं तो मेरी राजनीति अलग है…. मैं इसे सिर्फ इसलिए समर्थन नहीं दूंगी कि मैं उसी पार्टी की हूं…. मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास पर काम करना चाहिए…. एक नेता का काम है कि वह इस भूमि पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना बनाए…. इसलिए हमें महाराष्ट्र में ऐसे किसी मुद्दे को नहीं लाना चाहिए…. अपने बयानों के चलते पंकजा को बहुत दिनों तक राजनीतिक वनवास में रहना पड़ा है…. महाराष्ट्र के दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की दोनों बेटियों पंकजा… और प्रीतम के साथ सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है…. हालांकि पिछड़ी जातियों विशेषकर वंजारा समुदाय में मुंडे परिवार की पैठ को देखते हुए पंकजा को बीजेपी ने एमएलसी जरूर बनाया हुआ है….
पंकजा मुंडे अपनी बात को माइल्ड करने के लिए कहती हैं कि योगी आदित्यनाथ ने इसे एक अलग संदर्भ में और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में कहा था…. इसका वही मतलब नहीं है जिसे हम महाराष्ट्र में इस्तेमाल कर रहे हैं…. साथ ही पीएम मोदी की तारीफ भी करती हैं…. मुंडे कहती हैं कि मोदीजी ने सभी के साथ न्याय किया है….. और उन्होंने राशन, आवास या सिलेंडर देने में जाति या धर्म को नहीं देखा है….. हालांकि वो भूल जाती हैं कि खुद पीएम मोदी ने भी ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ का नारा दिया है…. जाहिर तौर पर यह बटेंगे तो कटेंगे का ही एक रूप है…. विपक्ष भी यही कह रहा है…. मुंडे की बात पर पार्टी में बवाल इस लिए भी मचा हुआ है…. क्योंकि एनसीपी नेता अजित पवार ने भी अभी हाल ही में कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारों की राजनीति महाराष्ट्र में काम नहीं करेगी…. वो कहते हैं कि, मैंने कई बार कहा है कि यह महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा…. यह यूपी, झारखंड या अन्य जगहों पर हो सकता है…. सवाल यह है कि जब सहयोगी दल और पार्टी के लोग ही किसी खास नारे का विरोध करने लगे तो मतलब या तो पार्टी में सर्व सहमति से काम नहीं हो रहा है… और गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है…. बीजेपी से जैसी अनुशासित पार्टी के लिए वाकई यह शर्मनाक है….
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की नेता पंकजा मुंडे ने लोकसभा चुनावों में हार मिलने के कुछ दिनों बाद ही पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि जीत जाति तो उन्हें हीरो माना जाता….. लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आता…. महाराष्ट्र के लातूर जिले में पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि उनके समर्थक उनके अनिश्चित भविष्य को लेकर चिंतित हैं….. दरअसल पंकजा मुंडे लोकसभा चुनाव में बीड सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बजरंग सोनवणे से छह हजार पांच सौ तिरपन मतों के मामूली अंतर से हार गईं…. बीजेपी नेता को छह लाख सत्तर हजार लाख वोट मिले थे…. मुंडे ने कहा कि दो हजार उन्नीस का चुनाव हारने के बाद उन्हें पांच साल के वनवास का सामना करना पड़ा…. और हालिया हार के बाद उनके समर्थक समझ नहीं पा रहे हैं कि उनका भविष्य क्या है…. और उन्होंने कहा कि मैंने अपने लिए चुनाव नहीं लड़ा…. क्योंकि जब तक पार्टी ने मेरी उम्मीदवारी घोषित नहीं की मुझे नहीं पता था कि मैं चुनाव लड़ूंगी…. दरअसल पंकजा मुंडे को पार्टी ने बीड से टिकट दिया था…. जहां से उनकी बहन प्रीतम लगातार दो बार से चुनाव जीत रही थीं…. अचानक बहन का टिकट काटकर उस पर खुद चुनाव लड़ना वास्तव में पंकजा के लिए मुश्किल था…. पर पंकजा के पास और कोई रास्ता नहीं था….
बता दें कि महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने एक बार कहा था कि वह भाजपा की हैं…. लेकिन भाजपा उनकी पार्टी नहीं है…. दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे दो हजार उन्नीस के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से सुर्खियों से दूर हो गईं थीं…. और वह दो हजार चौदह से दो हजार उन्नीस के बीच देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री थीं…. इसके बाद ही उनके सितारे गर्दिश में हैं…. और उन्होंने यहां तक कह दिया कि भाजपा बड़ी पार्टी है…. लेकिन वह उनकी नहीं है…. उन्होंने महादेव जानकर नीत राष्ट्रीय समाज पक्ष का संदर्भ देते हुए कहा कि मैं भाजपा की हूं…. अगर मुझे मेरे पिता से कोई समस्या है तो मैं अपने भाई के घर जाऊंगी…. ‘यह एक तरह से उनकी ओर से दी गई धमकी ही थी…. फिर उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर…. और ट्वीटर से अपने प्रोफाइल से बीजेपी को गायब कर अपना रोष प्रकट किया था…. उस समय तक ये मान लिया गया था अब पंकजा मुंडे शायद पार्टी छोड़ दें…. इस तरह कई साल तक कयास लगाए जाते रहे कि प्रदेश भाजपा में मुंडे को किनारे कर दिया गया है… अगस्त दो हजार बाइस में एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुंडे ने कहा था कि वह संभवत…. ‘इतनी योग्य नहीं हैं कि मंत्री पद मिल सके….
वहीं बीजेपी में पिछले दस सालों का इतिहास बताता है कि दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा के साथ बहुत अन्याय हुआ है…. उनके समर्थकों का मानना है कि मोदी-अमित शाह युग के उदय के बाद से उन्हें पार्टी में नजरअंदाज किया गया है…. हालांकि, मुंडे की विरासत के कारण वह पार्टी की एक महत्वपूर्ण ओबीसी चेहरा हैं….. जिसे भाजपा नजरअंदाज नहीं कर सकती…. पंकजा ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भाग लिया था….. जिसे उन्होंने अनिच्छा से लड़ा था…. क्योंकि वह राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ नहीं खोना चाहती थीं…. महाराष्ट्र में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी को ऐसा लगा कि अगर मराठावाड में बीजेपी की स्थिति सुधारनी है…. तो पंकजा को आगे लाना होगा….. इस क्रम में पार्टी ने उन्हें एमएलसी बना दिया…. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में गठबंधन के चलते उनके परिवार की सीट परली एनसीपी को मिल गई…. एनसीपी ने पंकजा के चचेरे भाई धनंजय मुंडे को उम्मीदवार बनाया है…. ये वही धनंजय हैं जिन्होंने दो हजार उन्नीस के विधानसभा चुनाव में पंकजा को हराया था….. जाहिर है जब आज पंकजा उनके लिए वोट मांगती होंगी तो उन्हें कैसा लगता होगा…. एक खबर के अनुसार उन्होंने कि उन्हें दुख है कि भाजपा परली की दौड़ में नहीं है…. लेकिन मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं से ‘घड़ी’ (एनसीपी का चुनाव चिह्न) के लिए प्रचार करने की अपील की है….. इसे ‘कमल’ के समान मानते हुए….
बता दें कि इस बार लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में बीजेपी की जमीन खिसकने पर पार्टी को एक बार फिर से मुंडे परिवार की याद आई…. दरअसल भाजपा इस बार मराठावाड़ की आठ लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत सकी…. मराठावाड़ में कुल छियालीस विधानसभा क्षेत्रों पर पार्टी की नजर है…. और तभी संभव था जब पंकजा को कोई महत्वपूर्ण रोल दिया जाए.मराठा आरक्षण विरोध…. और ओबीसी लामबंदी के कारण बीजेपी को जमीन खिसकने का एहसास होने के पहले ऐसी चर्चा थी कि… उन्हें राज्यसभा में भेजकर नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है…. फिर बाद में यह भी चर्चा हुई कि उन्हें एमएलसी बनाकर महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा… दरअसल इस इलाके में वंजारा जाति निर्णायक पोजिशन में हैं…. इसके बावजूद मुंडा एमएलसी तो बन गईं पर उनके मंत्री बनने पर ग्रहण लग गया…. पंकजा ने देवेंद्र फडणवीस के उदय के बाद से राज्य इकाई में खुद को दरकिनार किए जाने का दुख कभी नहीं छिपाया…. वो दर्द अब भी रह रह कर उभर जाता है….