शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने लगाया आरोप

- बिहार चुनाव के दौरान तहव्वुर को फांसी पर लटका देगी मोदी सरकार!
- 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता तक पहुंचा भारत
- फांसी पर लटक कर बीजेपी के लिए स्टार प्रचारक का काम करेगा राणा!
- बिहार चुनाव में तहव्वुर का इस्तेमाल करेगी बीजेपी
- पाकिस्तानी जेल में बंद कुलभूषण जाधव को भारत वापस लाने की मांग उठी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। 26/11 हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत पहुंच चुका है। उसे तिहाड़ जेल में किसी गुप्त ठिकाने पर रखा गया है। अमेरिका से भारत पहुंचे तहव्वुर पर पटियाला कोर्ट में देर रात तक चली बहस में जज चन्द्रजीत सिंह ने उसे 18 दिन की एनआईए कस्टडी में भेजा दिया है। एनआईए की पूछताछ सें सबंधित एक डायरी बनेगी जो सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश कि जाएगी। तहव्वुर के भारत पहुंचते ही एक और कहानी तैयार हो रही है और वह है राजनीतिक गुणा-भाग की स्क्रिप्ट वाली कहानी। विपक्ष ने सरकार पर तहव्वुर को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है। शिवसेना यूबीटी खुलकर इस मुद्दे पर सामने आई है और फायर ब्रांड नेता संजय राउत ने कहा है कि तहव्वुर को फांसी पर लटकाकर सरकार इसका फायदा बिहार चुनाव में उठाना चाहती है। संजय राउत ने तहव्वुर को बीजेपी का स्टार प्रचारक बताया है। वहीं बीजेपी ने इस मुद्दे पर किसी भी राजनीतक दल को राजनीति नहीं करने की चेतावनी दी है।
इंतजार क्यों, तुरंत हो फांसी : राउत
शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने 26/11 अटैक के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि सरकार राणा को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान फांसी पर लटका देगी। संजय राउत ने कहा कि राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए लेकिन सरकार उसे बिहार चुनाव के दौरान फांसी पर लटकाएगी। उन्होंने कहा कि राणा को भारत लाने के लिए 16 साल लंबी लड़ाई चली और यह कांग्रेस के शासन के दौरान शुरू हुई। इसलिए राणा को वापस लाने का श्रेय किसी को नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राणा भारत प्रत्यर्पित होने वाला पहला आरोपी नहीं है। अतीत में 1993 के सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अबू सलेम को भी भारत प्रत्यर्पित किया गया था। राउत ने कहा कि तहव्वुर का इस्तेमाल बीजेपी अपने स्टार प्रचारक के तौर पर कर रही है।
यह प्रत्यर्पण कोई प्रचार की जीत नहीं : चिदंबरम
अपने बयान में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि तथ्यों को स्पष्ट रूप से जान लीजिए। मोदी सरकार ने इस प्रक्रिया की न तो शुरुआत की, न ही कोई नई सफलता हासिल की। वह केवल उस संस्थागत ढांचे का लाभ उठा रही है, जिसे यूपीए सरकार ने वर्षों की मेहनत, समझदारी और राजनयिक दूरदर्शिता से खड़ा किया था। यह प्रत्यर्पण कोई प्रचार की जीत नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि जब भारतीय राज्य ईमानदारी, गंभीरता और अंतरराष्टï्रीय सहयोग के साथ काम करता है, तब वह दुनिया के सबसे जटिल अपराधियों को भी कानून के कठघरे में खड़ा कर सकता है।
प्रत्यर्पण: संयोग या प्रयोग
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण ऐसे समय पर हुआ है जब बिहार में चुनावों की सरगर्मी अपने चरम पर है। बीजेपी हर मोर्चे पर विपक्ष को घेरने की कोशिश कर रही है। बीजेपी बिहार की जनता के बीच राष्ट्रवाद की भावना को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है। यह मुद्दा चुनावी रणनीति में एक मास्टरस्ट्रोक बन सकता है। एक ऐसा कदम जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को केंद्र में लाए बल्कि विपक्ष को भी चुप कर दे। राजनीति में समय का बड़ा महत्व होता है। जब जनता महंगाई, बेरोजगारी, एमएसपी, और भ्रष्टाचार जैसे सवाल पूछ रही हो तब किसी राष्ट्र विरोधी के विरुद्ध फांसी जैसी कार्यवाही एक प्रभावशाली मोड़ ला सकती है।
हल्के में न लें राउत का बयान
संजय राउत के बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता। महाराष्ट्र और बिहार दोनों में राष्ट्रवाद एक संवेदनशील मुद्दा है। राउत का दावा बीजेपी उसे फांसी पर लटका देगी एक प्रतीकात्मक चेतावनी प्रातीत होती है कि इस मुद्दे को बीजेपी चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी।
बालाकोट स्ट्राइक से बन गया था समा
बिहार में जातीय समीकरणों के बीच अगर कोई एक भावना वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है तो वह है राष्ट्रवाद और यह बीजेपी को यह अच्छी तरह पता है। 2019 के चुनाव में बालाकोट स्ट्राइक ने बीजेपी को बड़ी बढ़त दिलाई थी। अब 2025 में तहव्वुर राणा का कार्ड वही प्रभाव दोहराने की कोशिश करेगा। बीजेपी का यह दांव विपक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है । विपक्ष अगर इसका विरोध करता हैं तो उस पर राष्टï्रविरोधी होने का आरोप लगेगा। अगर विपक्ष चुप रहता है तो बीजेपी को खुला मैदान मिल जाएगा।
मोदी ने कर दिखाया
भाजपा विधायक राम कदम ने तहव्वुर राणा को भारत लाने का श्रेय मोदी सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस तो तहव्वुर राणा को भारत वापस नहीं ला पाई लेकिन इस काम को पीएम मोदी ने कर दिखाया है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या यह विषय आरोप-प्रत्यारोप का हो सकता है। क्या इस पर राजनीति करनी चाहिए? कांग्रेस और अन्य दल अभी भी आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। विपक्ष को उनके बारे में सोचना चाहिए जिनके परिवार के सदस्यों ने मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी जान गंवाई। मोदी सरकार ने उन परिवारों को न्याय देने का काम किया है।