योगी के रात्रिभोज में पहुंचे शिवपाल व ओपी राजभर, टेंशन में सपा

  • राजभर और शिवपाल खिला सकते हैं नया गुल

लखनऊ। राष्टï्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर कल रात आयोजित भोज में समाजवादी कुनबा बिखर गया। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा सपा विधायक शिवपाल यादव और गठबंधन के सहयोगी सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भोज में शामिल होकर भविष्य में गठबंधन की नई राजनीति के संकेत दे दिए। इस बात से सपा में टेंशन बढ़ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में अपने सरकारी आवास पर भोज रखा था। इसमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, अपना दल के आशीष पटेल, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मौजूदगी पहले से अपेक्षित थी। मगर, शिवपाल यादव, ओमप्रकाश राजभर और बसपा के उमाशंकर सिंह ने भोज में पहुंचकर सभी को चौंका दिया। दरअसल राष्टï्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थ में हुई सपा की बैठक में शिवपाल व राजभर को नहीं बुलाया गया था। बीते कुछ दिनों से राजभर की बयानबाजी से अखिलेश नाराज थे। उन्हें न बुलाकर सपा ने गठबंधन तोड़ने के संकेत दे दिए थे। इस बीच भाजपा ने भी शिवपाल व राजभर से संपर्क शुरू कर दिया था।

राजभर के तेवर सुबह ही दिख गए थे जब उन्होंने कहा कि अखिलेश पहले अपने चाचा का वोट यशवंत सिन्हा को दिलाकर दिखाएं। अखिलेश को केवल मुस्लिम व यादव ही दिखते हैं। इस बयान से ही संकेत मिल गया था कि सपा व सुभासपा साथ नहीं चलेंगे। सीएम योगी ने 18 जुलाई को होने वाले राष्टï्रपति चुनाव में विपक्ष की गोलबंदी में बड़ी सेंध लगाने में सफलता हासिल की है। उनके प्रयास से दलीय सीमाएं टूट गईं और विपक्षी खेमे के दो बड़े दल भी मुर्मू के समर्थन में आ गए। राष्टï्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी दलों की फूट का असर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी दिखने के आसार हैं। सुभासपा अध्यक्ष राजभर और प्रसपा नेता शिवपाल नया गुल खिला सकते हैं।

सपा विधायक हसन को नहीं मिली राहत, रहना होगा जेल में

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धमकी देने, उकसाने और विश्वासघात के मामले में कैराना के सपा विधायक नाहिद हसन को राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने विधायक की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जमानत मिलने पर वह मुकदमे से जुड़े तथ्यों, रिकॉर्डों और गवाहों को धमका सकता है। इस वजह से उसकी जमानत अर्जी स्वीकार किए जाने के योग्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति समिति गोपाल ने नाहिद हसन की याचिका की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। मामले में सपा विधायक और सह अभियुक्त नवाब के खिलाफ शाहजहां ने 26 सितंबर 2019 को कैराना थाने पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि नवाब ने उसकी बोलेरो संविदा के आधार पर ली थी। उसने जब महीने में तय की गई राशि का भुगतान नहीं किया तो पूछने पर उसने पूरी रकम एकसाथ देने की बात कह कर वापस कर दिया। बाद में वह डेढ़ लाख रुपये दे रहा था, जिसे लेने से उसने इनकार कर दिया। पता चला कि उसकी बोलेरो गाड़ी सपा विधायक के यहां है। वह देखने गई तो विधायक ने उसे फोन पर मारने की धमकी दी और वापस चले जाने को कहा। इसके बाद उसके पति को दिल का दौरा भी पड़ गया। वह भर्ती हो गया। उसने बाद में प्राथमिकी दर्ज कराई। याची ने शिकायतकर्ता के पति को फोन पर धमकी दी। इसकी ऑडियो रिकॉडिंग है। पक्षकारों को सुनने के बाद कोर्ट ने याची की जमानत अर्जी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

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