स्वास्थ्य के बाद अब पशुपालन विभाग में तबादलों में खेल

  • गुपचुप तरीके से बड़े पैमाने पर तबादले, छिड़ी रार
  • समूह क और ख में आ रही धांधली की शिकायतें
  • निदेशक डॉ. इन्द्रमणि चौधरी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

चेतन गुप्ता, लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में तबादलों को लेकर मची हाय-तौबा अभी शांत भी नहीं हुई कि पशुपालन विभाग में मनमाने तबादलों को लेकर एक बार फिर शासन में बैठे आला अफसर व विभागीय अधिकारी सवालों के घेरे में आ गए है। डॉ. इन्द्रमणि निदेशक पशुपालन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। यही नहीं, पशुपालन विभाग में समूह क और ख के स्थानांतरण में स्थानांतरण नीति का पालन नहीं किया गया। ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन प्रक्रिया से स्थानान्तरण किए गए, जिसमें पशु चिकित्सा अधिकारियों को आवेदन करने का तक का अवसर नहीं मिला। निदेशक पशुपालन डॉक्टर इंद्रमणि पर आरोप है कि चेहरा देखकर व्यक्तिगत रूचि के अनुसार स्थानांतरण किए गए हैं। उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ला ने निदेशक पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले की शिकायत विभागीय मंत्री व शासन स्तर पर करने की बात कही है। शासन की तबादला नीति के अनुरूप 30 जून तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। अचानक 29 जून को ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को निरस्त करते हुए ऑफलाइन तरीके से तबादलों पर प्रक्रिया शुरू कर दी गई और कहा गया कि विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ऐसा किया गया है। ना तो पशु चिकित्सा अधिकारियों से प्रत्यावेदन मांगे गए और ना ही उन तक इसकी सूचना पहुंची। पारदर्शी व्यवस्था अपनाए बिना मनमाने ढंग से सैकड़ों की संख्या में पशु चिकित्सा अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया गया।

निदेशक पर आरोप है कि उन्होंने 2 और 3 जुलाई को चोरी-छिपे बिना हस्ताक्षर वाली पहली सूची जारी की, उसमें से तमाम पशुचिकित्साधिकारियों से लाखों रुपए की रकम वसूल कर स्थानांतरण के आदेश को रद्द कर दिया गया। मामले में पहले तो मनमाने ढंग से पशु चिकित्सा अधिकारियों के एक जगह से दूसरी जगह पर फेंक दिया गया और जब उन्हें असुविधा हुई तो निदेशालय के चक्कर लगाने का सिलसिला शुरू हुआ। आपसी लेनदेन के बाद ऐसे कई आदेश निरस्त किए गए। सवाल उठने पर तर्क दिया गया कि जिन लोगों को ट्रांसफर से दिक्कत हुई थी उनमें से पात्र लोगों का ही ट्रांसफर निरस्त किया गया।

ट्रांसफर में धांधली की बात करें तो महज 4 सालों से रायबरेली में तैनात पशुचिकित्साधिकारी डॉक्टर राजनारायण को वहां से हटाकर अमेठी भेज दिया गया जबकि उन्होंने स्थानान्तरण के लिए आवेदन ही नहीं किया। उनकी पत्नी प्रेमलता लखनऊ में पीजीआई में तैनात है। इसी जगह उसी जिले में डॉ पंकज हैं जो खीरो पशु चिकित्सा केंद्र में पिछले 11 सालों से तैनात है, उनको छुआ तक नहीं गया। डॉक्टर श्रद्धा सचान है जो लखनऊ में ही निदेशालय कैंपस स्थित जैविक औषधि संस्थान में करीब 15 सालों से ज्यादा समय से तैनात हैं, इनका स्थानान्तरण लखनऊ में ही रहमानखेड़ा में कृत्रिम गर्भाधान फार्म में कर दिया गया। तीसरा केस मेरठ के डॉक्टर राजवीर सिंह का है जो संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात है उनके रिटायरमेंट के तीन महीने महज बचे हैं, उनको मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी के तौर पर रामपुर भेज दिया गया। लखनऊ में ही निदेशालय में बायोलॉजिकल प्रोडक्ट सेक्शन है जहां बड़ी संख्या में डॉक्टरों समेत अन्य स्टॉफ की तैनाती है जबकि वहां पिछले 3 सालों से ताला बंद है और लाखों रुपए हर माह वेतन उठाया जा रहा है, उनका कहीं भी समयोजन नहीं किया गया। ये किस्से महज बानगी भर है, हकीकत में बड़ी संख्या में पशु चिकित्सा अधिकारी अपने तबादलों को लेकर हैरान और परेशान हैं। आरोपों को बल देने के लिए बतौर साक्ष्य 30 जून को ही जारी कार्यालय निदेशक, प्रशासन एवं विकास, पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश-लखनऊ के कार्यालय आदेश संख्या-3827 हाथ लगा, जिसमें डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह जो कि पशु चिकित्सा अधिकारी त्रिवेदीगंज बाराबंकी में तैनात थे। उनको 30 जून 2022 को अरसहनी अमेठी स्थानांतरित किया गया था लेकिन उसी तारीख में निदेशक डॉक्टर इंद्रमणि चौधरी, प्रशासन एवं विकास द्वारा निरस्त कर दिया गया।

आपको बता दें कि समूह ’क’ के स्थानांतरण शासन स्तर पर और समूह ’ख’ के निदेशालय स्तर पर होने थें। समूह ’ख’ के करीब ढाई सौ स्थानान्तरण होने थे। करीब 42 डॉक्टरों की पोस्ट कैंसिल हो गई थी इसलिए ऐसे में उनका भी समायोजन करना था। ऐसे में करीब 300 स्थानान्तरण करने थे। शासन की मंशा के अनुरूप 9 साल से ऊपर समय बिता चुके पशु चिकित्साधिकारियों को स्थानान्तरित किया जाना था। 8 जिलों में करीब 100 ब्लॉकों में पद खाली थे, उनको भरा जाना था। करीब 26 सौ पशु चिकित्सा अधिकारियों के पद है। इसमें 1984 ही पद भरे हैं और 1725 डॉक्टर ही कार्यरत है। समूह ’क’ के करीब 300 पद है, उनका स्थानान्तरण शासन स्तर पर होना था। गौरतलब है कि आधी-अधूरी स्थानान्तरण सूची, ऊपर से उसका सार्वजनिक न किया जाना और न ही मीडिया के संज्ञान में लाना, अपने आप में कई सवालिया निशान खड़े करता है।

तबादलों पर गरमाईं राजनीति
तबादलों को लेकर राजनीति भी गर्माने लगी है। एक ओर विपक्षी पार्टियों ने जहां भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है वहीं सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं ने भी अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक कुमार श्रीवास्तव ने तबादलों को लेकर जमकर भड़ास निकाली। दो टूक कहा कि योगी सरकार की मंशा पर अफसर पानी फेरने का काम कर रहे है। स्थानांतरण नीति का दुरुपयोग हुआ है जिसकी शिकायत विभागीय मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर की है। इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाया जाएगा।

विभाग की गोपनीयता भंग ना हो इसलिए अस्पतालों को ट्रांसफर संबंधी सूचना भेज दी गई। हालांकि पॉलिटिकल एप्रोच के चलते तमाम लोगों के ट्रांसफर किए गए और निरस्त भी किए गए। सात साल से नीचे वाले वहीं पदस्थ हैं, उन्हें नहीं छेड़ा गया।
डॉ. इंद्रमणि चौधरी, निदेशक पशु पालन विभाग

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