डिजिटल अपराध का साइलेंट नेटवर्क ध्वस्त, एसटीएफ ने सरगना समेत 6 को दबोचा

उत्तर प्रदेश एसटीएफ को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से सिम कार्ड एक्टिवेट कर साइबर अपराधियों को बेचने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। गिरोह के सरगना सहित 6 लोगों को चित्रकूट जनपद के राजापुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह डिजिटल अरेस्ट, स्टॉक मार्केट फ्रॉड, पार्सल स्कैम जैसे साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले गैंग्स को फर्जी सिम कार्ड मुहैया कराता था।
दिनांक 15 मई 2025 को रात 11:15 बजे एसटीएफ द्वारा चित्रकूट के बरगदी पुरवा, थाना राजापुर से छापेमारी कर 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान निम्नलिखित सामग्री बरामद की गई:

मोबाइल फोन: 31
फर्जी आधार कार्ड: 87
प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड (VI): 514
ब्लैंक सिम कार्ड (VI): 505
ब्लैंक सिम कार्ड (Jio): 30
ब्लैंक सिम कार्ड (Airtel): 26
बायोमैट्रिक स्कैनर: 3
सीपीयू: 1
नकद राशि: ₹7250
गिरफ्तार अभियुक्तों की जानकारी
ओमप्रकाश अग्रहरि उर्फ टीटू

शिवदयाल निषाद

राहुल पाण्डेय

जितेन्द्र कुमार

शिवबाबू

सुरेन्द्र सिंह

कैसे करते थे फर्जीवाड़ा?
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि गैंग का सरगना ओमप्रकाश अग्रहरि, वोडाफोन आइडिया के पूर्व डिस्ट्रीब्यूटर और कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी पीओएस एजेंट बनाता था। इन पीओएस की आईडी और मोबाइल नंबर से आने वाले ओटीपी को एक्सेस कर फर्जी डिजिटल केवाईसी के माध्यम से दो सिम कार्ड एक्टिवेट करता था। एक सिम ग्राहक को दिया जाता, जबकि दूसरा सिम अपने पास रखकर साइबर अपराधियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता।
फर्जी आधार कार्ड बनाने का काम आरोपी सुरेन्द्र सिंह करता था, जो रवि स्टूडियो का मालिक है। इन लोगों ने ‘राजू मोबाइल’, ‘अशोक किराना’, ‘दिनेश मोबाइल’ जैसे नामों से फर्जी पीओएस बनवाकर अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 के बीच हजारों सिम कार्ड जारी किए।
पूर्व में रही भूमिका
ओमप्रकाश अग्रहरि ने 2006 में ‘अग्रहरि कम्युनिकेशन’ की स्थापना की और हच, फिर वोडाफोन की डिस्ट्रीब्यूटरशिप ली।
शिवदयाल निषाद ने विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों में पीएसआर और जेपीएम जैसे पदों पर काम किया।
राहुल पाण्डेय ने अग्रहरि कम्युनिकेशन में 2017 से 2023 तक DSE के तौर पर कार्य किया और फिर अपनी फर्म नित्या इंटरप्राइजेज खोली।
शिवबाबू अग्रहरि कम्युनिकेशन में प्रमोटर और पीओएस एजेंट था।
गिरोह द्वारा 2-3 वर्षों में 10,000 से अधिक सिम कार्ड फर्जी तरीके से एक्टिवेट कर साइबर अपराधियों को बेचे जाने की बात सामने आई है। इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट, फर्जी स्टॉक टिप्स, पार्सल स्कैम जैसे अपराधों में किया गया। अभियुक्तों के विरुद्ध थाना राजापुर, चित्रकूट में मुकदमा संख्या 115/2025 दर्ज किया गया है। गिरफ्तार अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जाएगा। गैंग के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

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