गुजरात लॉबी का बुरा दौर शुरू! SIR की होगी CBI जांच?

बिहार वोटर लिस्ट घोटाले से लेकर SIR विवाद तक अब राजनीति में मचा जबरदस्त हंगामा... विपक्ष ने CBI जांच की मांग तेज कर दी है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत की राजनीति इन दिनों एक बड़े भूचाल की आहट महसूस कर रही है.. बिहार से शुरू हुआ SIR का मुद्दा अब दिल्ली की सत्ता के गलियारों में गूंज रहा है.. विपक्ष लगातार हमलावर है.. और अब मांग उठ रही है कि इस मामले की जांच CBI को सौंपी जाए.. सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. और चुनाव आयोग के प्रमुख ज्ञानेश कुमार इस पूरे मामले में फंस सकते हैं.. यह सिर्फ वोटर घोटाले की कहानी नहीं है.. बल्कि यह गुजरात लॉबी के उस तंत्र को उजागर करता है.. जिसने वर्षों से सत्ता और पूंजी के गठजोड़ पर अपनी पकड़ बनाई.. लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं.. 

आपको बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वोटर लिस्ट की SIR प्रक्रिया ने राजनीतिक हलचल मचा दी है.. कांग्रेस पार्टी ने केंद्र में सत्ता बदलने पर इस प्रक्रिया की सीबीआई जांच कराने का ऐलान किया है.. राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा है कि यह वोट चोरी की साजिश है.. जिसमें चुनाव आयोग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार फंस सकते हैं.. विपक्ष का आरोप है कि गुजरात लॉबी यानी भाजपा के प्रभाव से EC पर दबाव डाला जा रहा है.. जिससे अल्पसंख्यक और गरीब वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं.. लेकिन EC का कहना है कि SIR एक सामान्य प्रक्रिया है.. जो वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने के लिए की गई..

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) मतदाता सूची की गहन समीक्षा है.. जो चुनाव आयोग द्वारा प्रतिनिधित्व ऑफ द पीपल एक्ट 1950 की धारा 21 के तहत की जाती है.. इसका मकसद है कि सूची में मृत लोगों, ट्रांसफर हुए वोटरों.. नकली या अयोग्य नामों को हटाना.. साथ ही, नए योग्य वोटरों को जोड़ना है.. बिहार में आखिरी SIR 2003 में हुई थी.. यानी 22 साल बाद दोबारा.. जून 2025 में EC ने इसे शुरू किया.. क्योंकि बिहार की वोटर लिस्ट में पिछले 20 सालों में बड़े बदलाव आए हैं.. शहरीकरण, प्रवास और जनसंख्या बढ़ोतरी से सूची में गड़बड़ी हो गई थी..

वहीं यह कार्यवाही 25 जून 2025 से शुरू हुई.. बूथ लेवल ऑफिसर्स ने घर-घर जाकर 8 करोड़ वोटरों से फॉर्म भरवाए.. 2003 से पहले रजिस्टर्ड वोटरों को सिर्फ पुरानी लिस्ट का एक्सट्रैक्ट देना था.. लेकिन उसके बाद के वोटरों को जन्म तिथि, स्थान और माता-पिता की जानकारी के दस्तावेज देने पड़े.. ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त 2025 को जारी हुई.. जिसमें 7.24 करोड़ वोटर थे.. दावा-आपत्ति का समय 1 सितंबर तक था.. अंतिम लिस्ट 30 सितंबर को आई.. जिसमें कुल 7.42 करोड़ वोटर हैं.. शुरू में 7.89 करोड़ थे.. लेकिन 65 लाख नाम कटे.. दावा-आपत्ति में 21.53 लाख जोड़े गए.. लेकिन दस्तावेज न देने पर 3.66 लाख फिर कट गए..

EC का दावा है कि कोई योग्य वोटर बाहर नहीं होगा.. वोटर voters.eci.gov.in पर चेक कर सकते हैं.. नाम जोड़ने के लिए नामांकन की आखिरी तारीख से 10 दिन पहले तक आवेदन कर सकते हैं.. अपील डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के पास की जा सकती है.. लेकिन विपक्ष का कहना है कि दस्तावेज जुटाना ग्रामीण इलाकों में गरीबों के लिए मुश्किल है..

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर अभय दुबे ने SIR को “वोट चोरी की साजिश” बताया.. और उन्होंने कहा कि जब केंद्र में सरकार बदलेगी.. तो CBI इसकी जांच करेगी.. दुबे ने EC और PM मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.. उन्होंने पूछा कि घुसपैठिए का नाम एक भी क्यों नहीं कटा.. क्या EC और PM देश को गुमराह कर रहे थे.. दुबे ने महिलाओं के वोटरों की संख्या.. 22 लाख कटे नामों के लिए मौत के प्रमाणपत्र चेक करने का आधार.. और जोड़े गए 21.53 लाख नामों का ब्रेकअप मांगा.. और उन्होंने कहा कि EC को बिहार के लिए स्पष्ट डिटेल्स देनी चाहिए..

दुबे ने CEC ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी निशाना साधा.. उन्होंने कहा कि EC BJP का मुखपत्र बन गया है.. वीडियो और सोशल मीडिया पर दुबे के बयान वायरल हैं.. जहां वे SC के फैसलों और वोट मैनिपुलेशन पर चर्चा करते हैं.. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पटना में वोटर अधिकार यात्राका समर्थन किया.. विपक्ष का कहना है कि SIR से मुस्लिम, दलित और गरीब वोटर प्रभावित हो रहे हैं..

आपको बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने SIR को संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुरूप बताया.. उन्होंने कहा कि यह डायनामिक लिस्ट है.. जो बदलती रहती है.. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया.. लेकिन विपक्ष ने इसे BJP प्रवक्ता जैसा बताया.. EC ने कहा कि कोई गैर-भारतीय वोट नहीं देगा.. लेकिन नागरिकता जांच उनका काम नहीं.. सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्य किया.. लेकिन नागरिकता के लिए नहीं.. कोर्ट ने EC पर भरोसा जताया.. लेकिन अवैधता मिलने पर हस्तक्षेप की बात कही.. अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को है..

ज्ञानेश कुमार 2025 में CEC बने.. वे केरल कैडर के रिटायर्ड IAS हैं.. हार्वर्ड से जुड़े हुए है.. सुप्रीम कोर्ट ने SIR को हरी झंडी दी.. लेकिन 14 अगस्त को EC को 65 लाख कटे नामों के कारण बताने का आदेश दिया.. कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया समयबद्ध हो.. विपक्ष ने कोर्ट में चुनौती दी कि SIR नागरिकता जांच बन गई है.. जो होम मिनिस्ट्री का काम है.. असम NRC की तरह बिहार में भी वोटर बहिष्कार का डर है.. प्रवासी मजदूर प्रभावित हो रहे.. क्योंकि आम निवासी की सख्त व्याख्या से नाम कट सकते हैं.. EC को दूरदराज वोटिंग के लिए कानून बदलने की जरूरत है..

बिहार चुनाव नवंबर 2025 में हैं.. SIR से BJP-नीतीश गठबंधन को फायदा का आरोप है.. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने विरोध किया.. कांग्रेस का CBI वादा विपक्ष को एकजुट कर सकता है.. मोदी पर वोट चोरी का ठप्पा लग सकता है.. गुजरात लॉबी का जिक्र BJP के केंद्रीय प्रभाव को इंगित करता है.. लेकिन EC स्वतंत्र है.. EC 4- 5 अक्टूबर को बिहार जाएगी.. चुनाव तारीखें घोषित होंगी..

 

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