तो भाजपा के हित मे लगायी गयी रैलियों पर रोक!

बड़ा सवाल, क्या कोरोना की आड़ में चुनाव आयोग सत्ता पक्ष का दे रहा साथ

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्धों ने किया मंथन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। चुनाव आयोग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए बड़ी रैलियों पर रोक लगा दी है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब दूसरी लहर में देश में हाहाकार मचा था तक बंगाल और पंचायत चुनाव हुए थे और उस समय चुनाव आयोग को रैलियों पर रोक लगाने की याद क्यों नहीं आयी? क्या रैलियों पर रोक लगाने के पीछे भाजपा को फायदा पहुंचाना है? ऐसे कई सवाल उठे वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, श्रवण गर्ग, अजय शुक्ला, प्रोफेसर लक्ष्मण यादव, चिंतक रविकांत और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के बीच चली लंबी परिचर्चा में।
रविकांत ने कहा, चुनाव आयोग का यह फैसला कोरोना संक्रमण को देखते हुए लिया गया। हालांकि चुनाव का जो पैटर्न है उससे भाजपा को प्रचार में मदद मिलेगी लेकिन यह चुनाव जनता बनाम सरकार का हो गया है। लिहाजा भाजपा को कोई फायदा नहीं होने वाला है। अजय शुक्ला ने कहा, जहां जो दल विनिंग पोजिशन में दिख रहा वहां भाजपा के नेता जा रहे हैं। चुनाव आयोग भाजपा का सहयोगी संगठन बन चुका है। वह संघ व भाजपा के लिए काम कर रहा है। इसके जरिए जो दल जमीन से जुड़े हैं उनको काटने की कोशिश की जा रही है।
लक्ष्मण यादव ने कहा, सत्ता में बैठे लोगों को जब यह समझ में आने लगा कि कुर्सी दोबारा मिलना मुश्किल होती जा रही है तो उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। जो पर्दे के पीछे किया जाता था वह अब खुलेआम किया जा रहा है। संविधान अब केवल किताबें बनकर रह गयी है। अशोक वानखेड़े ने कहा, चुनाव आयोग सत्ता के सामने मुजरा कर रहा है। प्रदेश की जनता उत्पीडऩ को भूली नहीं है। श्रवण गर्ग ने कहा, दुनिया के तमाम मुल्कों में दो पार्टियों का सिस्टम है। डिजिटल का प्रयोग यदि स्थायी कर दिया जाए तो इससे छोटी पार्टियां चुनाव रेस से बाहर हो जाएंगी। चुनावी खर्च में कमी आएगी। भाजपा के पास पैसा है और वह इसका फायदा लेगी। लोग रैलियों से मन नहीं बनाते हैं। प्रदेश में सरकार के खिलाफ आक्रोश है।

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