कर्नाटक से सत्ता परिवर्तन की आहट!

  • सियासी दम बिरयानी की खुशबू बस बिखरने ही वाली है
  • राहुल गांधी ने पालिटिक्ल हाइड्रोजन बम यहीं से किया था लांच
  • बीजेपी के लिए कर्नाटक सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि राहुल गांधी की सियासी लैब को ध्वस्त करने का मिशन
  • महाराष्ट्र बिहार की तर्ज पर हो सकता है खेल
  • सीएम सिद्धरमैया की पहले चिट्ठी, फिर पीएम से मुलाकात
  • मंत्रीमंडल विस्तार पर उप-मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच रार
  • बर्खास्त मंत्री के.एन. राजन्ना की सीएम से मुलाकात, राहुल गांधी पर दिये गये बयान के चलते किये गये थे बर्खास्त

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कर्नाटक की राजनीति इन दिनों उस दम बिरयानी की देगची की तरह सुलग रही है जिसमें मसाले भी रहस्यमयी हैं आंच भी अनजानी और रसोइये भी बदलते चेहरे वाले। बस ढक्कन उठने की देर है और पूरा देश यह देखेगा कि इस देगची में कांग्रेस की सरकार या फिर बीजेपी का अगला ऑपरेशन लोटस पक रहा था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कर्नाटक महाराष्ट्र बनने वाला है वह बिहार बन सकता है या फिर एक नया राजनीतिक माडल पेश कर सकता है जिसका नाम होगा बेंगलुरु ब्लू प्रिंट। क्योंकि कर्नाटक में पिछले कुछ दिनो से जिस प्रकार की राजनीतिक घटनाएं सामने आ रही है वह किसी साधारण राजनीतिक मौसम का हिस्सा नहीं है। यह तूफान से पहले की वह खामोशी है जिसके बाद अक्सर सरकारें गिरती हैं गठबंधन टूटते हैं और नेता अचानक आधी रात को दिल्ली शिफ्ट हो जाते हैं।

24 नवम्बर सीएम सिद्धरमैया और पीएम की मुलाकात

दरअस्ल पिछले कई दिनों से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अलग-अलग समस्याओं की चि_ी लिखनी शुरू की है। राजनीति में इसे एक गंभीर संकेत माना जाता है। क्योंकि जब राज्य का मुख्यमंत्री केंद्र को चि_ी लिखता है तो वह विकास कार्यों की मांग कम और अपनी राजनीतिक बेचैनी ज्यादा व्यक्त करता है। इसके बाद उनका अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री से प्रस्तावित मुलाकात दिल्ली की ठंड में राजनीतिक तापमान को और बढ़ा देने वाली है। सूत्र कहते हैं कि सिद्धारमैया पहले प्रधानमंत्री से मिलेंगे फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से। यानी बात सिर्फ विकास की नहीं है बल्कि कुर्सी की कसावट की भी है। दिल्ली में यह सवाल खुलेआम पूछा जा रहा है कि क्या सरकार के भीतर सब ठीक नहीं चल रहा? क्या कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार भीतर से खोखली हो रही है?

कर्नाटक कांग्रेस का प्रचार-शिविर बन चुका है

बीजेपी के लिए कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन इसलिए जरूरी कि कर्नाटक सिर्फ एक राज्य नहीं है रह गया यह राहुल गांधी बनाम मोदी की असली युद्धभूमि बन चुका है। राहुल गांधी ने कर्नाटक सरकार को ढाल बनाकर जिस वोट चोरी आंदोलन को खड़ा किया वह बीजेपी के लिए महज एक चुनावी मुद्दा नहीं था। यह वह नैरेटिव का हाइड्रोजन बम था जिसने सीधे मोदी ब्रांड की विश्वसनीयता पर चोट की। राहुल ने जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी के फ्री और फेयर चुनाव वाले नैरेटिव को ललकारा और कर्नाटक सरकार के संसाधनों का इस्तेमाल किया उससे बीजेपी का थिंक टैंक बौखला गया। बीजेपी मानती है कि कर्नाटक से ही वोट चोरी आंदोलन को आक्सीजन मिली यहीं से राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर चुनावी धांधली का सबसे बड़ा नैरेटिव खड़ा किया और इसी राज्य ने 2024-25 की राजनीति में विपक्ष को नई ऊर्जा दी इसलिए बीजेपी के लिए कर्नाटक सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि राहुल गांधी की सियासी लैब को ध्वस्त करने का मिशन भी है। पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह की रणनीति सीधी है वह चाहते हैं कि कर्नाटक का किला तोड़ो और राहुल गांधी के नैरेटिव को दम तोडऩे पर मजबूर कर दो। जिससे ब्रांड मोदी पर लगी वोट चोरी की धूल साफ हो जाए और और इसी बदले की आग ने आपरेशन लोटस 2.0 की रूपरेखा गुपचुप तरीके से तैयार कर दी है।

उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और सीएम सिद्धरमैया

कर्नाटक में सरकार बनने से पहले मौजूदा उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पर राजनीतिक प्रताडऩा की फेहरिस्त लंबी है। वह जेल गये, ईडी के तमाम छापों का सामना किया लेकिन झुके नहीं। अंदर ही अंदर संगठन के लिए काम करते रहे। कर्नाटक में कांग्रेस का सूरज उदय हुआ और उन्होंने सीएम बनने की लालसा आलाकमान के सामने प्रकट कि। कांग्रेस ने सिद्धरमैया के अनुभव और लीडरशिप को डीके शिवकुमार के उपर रखा और उन्हें समझा कर डिप्टी सीएम बना दिया गया। बस यही से शुरू हुआ पॉवर गेम जो यहां तक पहुंच रहा है। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का यह बयान उन लोगों की समझ में आ गया होगा जिन्हें कर्नाटक की राजनीतिक की जरा सी भी समझ हैं। डीके शिवकुमार ने कहा है कि नेता तभी टिकेंगे जब पार्टी बचेगी।

मोदी के सामने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रखी कर्नाटक की अहम मांगें

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपकर केंद्र से सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बाढ़ मुआवज़ा, गन्ना मूल्य निर्धारण और रायचूर में एम्स की स्थापना के लंबे समय से लंबित अनुरोध से जुड़े लंबित मुद्दों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया। मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से जल-संबंधी कई परियोजनाओं को मंज़ूरी देने में मदद करने का अनुरोध किया। उन्होंने समाथोलाना बैराज परियोजना के लिए मंज़ूरी मांगी और अनुरोध किया कि केंद्रीय जल आयोग को इस परियोजना की प्रगति के लिए आवश्यक निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण के दूसरे फैसले की राजपत्र अधिसूचना जारी करने की भी मांग की, जिस पर उन्होंने कहा कि एक दशक से कार्रवाई का इंतज़ार है। सिद्धारमैया ने केंद्र से भद्रा ऊपरी नहर परियोजना के लिए 5,300 करोड़ जारी करने का भी अनुरोध किया, जिसकी घोषणा पहले केंद्रीय बजट में की जा चुकी थी। गन्ना मूल्य पर सिद्धरमैया की मांग उत्तर कर्नाटक में गन्ना खरीद मूल्य में वृद्धि की मांग को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच आई है। मुख्यमंत्री ने मोदी को दिए ज्ञापन में बाढ़ राहत के लिए 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी करने तथा महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने समेत राज्य की कई पुरानी मांगों को उठाया। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ”केंद्रीय वित्तीय हस्तांतरण और आपदा निधि को लेकर राज्य की मौजूदा चिंताओं के बीच हुई इस मुलाकात में प्रधानमंत्री को सौंपे गए दस्तावेज में उल्लिखित पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में, सिद्धरमैया ने गन्ना मूल्य निर्धारण संकट के लिए एक स्थायी समाधान की मांग की।

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