सऊदी अरब: अर्थव्यवस्था, रक्षा और धार्मिक ताकत में मजबूती
सउदी अरब तेजी से दुनिया के प्रमुख मुस्लिम देशों में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। अर्थव्यवस्था,रक्षा और धार्मिक क्षेत्र में लगातार प्रगति इसे प्रभावशाली बना रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सउदी अरब तेजी से दुनिया के प्रमुख मुस्लिम देशों में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। अर्थव्यवस्था,रक्षा और धार्मिक क्षेत्र में लगातार प्रगति इसे प्रभावशाली बना रही है। रक्षा समझौते और आधुनिक सैन्य शक्ति देश को क्षेत्रीय ताकत बनाने में सहायक हो रहे हैं, जबकि हज और उमराह से बढ़ता राजस्व इसकी वैश्विक साख को और मजबूत कर रहा है।
सऊदी अरब देखते ही देखते दुनिया में सबसे बड़ा मुस्लिम देश बनता जा रहा है. World Population Review के मुताबिक, दुनिया में लगभग 50 मुस्लिम देश हैं. लेकिन, इन सभी को पीछे छोड़ते हुए सऊदी अर्थव्यवस्था से लेकर सुरक्षा तक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अमेरिका की यात्रा के लिए रवाना हुए हैं. तीन दिन की औपचारिक यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ सऊदी अहम रक्षा, निवेश और तकनीक को लेकर डील कर सकता है, जिससे उसकी ताकत और भी बढ़ने की उम्मीद है.
जहां ईरान परमाणु ताकत बनने के ख्वाब देखता रह गया. वहीं, सऊदी ने अब पाकिस्तान से समझौता करने के बाद परमाणु गारंटी भी हासिल कर ली है. जनसंख्या के हिसाब से देखें तो सऊदी अरब सबसे बड़ा मुस्लिम जनसंख्या वाला देश नहीं है. सऊदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है. लेकिन, कई फैक्टर्स ऐसे हैं जिन पर काम करने के बाद अब सऊदी ने अपनी साख को कई क्षेत्रों में मजबूत कर लिया है.
मजबूत अर्थव्यवस्था
सऊदी अरब की जीडीपी (GDP) देखते ही देखते बढ़ती जा रही है. तेल बहुल देश न सिर्फ तेल बल्कि टूरिज्म से लेकर और भी क्षेत्रों में अपनी ग्रोथ बढ़ाने के लिए मेहनत में जुटा है. विजन 2030 के तहत सऊदी टूरिज्म पर भी मेहनत कर रहा है. साल 2025 में सऊदी की जीडीपी $1.27 ट्रिलियन रही. तुर्की की $1.4 ट्रिलियन है. ईरान की $436.91 बिलियन, वहीं, पाकिस्तान की जीडीपी $373.07 बिलियन है.
कैसे बढ़ी GDP?
सऊदी अरब की GDP बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें तेल, आर्थिक सुधार और विविधीकरण नीतियां शामिल हैं. तेल उत्पादन और निर्यात में बढ़ोतरी- सऊदी अरब दुनिया का बड़ा तेल उत्पादक और निर्यातक देश है. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी सीधे GDP को बढ़ाती है. वैश्विक मांग बढ़ने पर तेल आय बढ़ती है, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आती है.Vision 2030 योजना- सऊदी सरकार ने आर्थिक विविधीकरण के लिए Vision 2030 लॉन्च किया. इस योजना के तहत पर्यटन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मनोरंजन और तकनीक जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ा. विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों और कंपनियों को प्रोत्साहन दिया गया.
इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण- मेट्रो, एयरपोर्ट, बंदरगाह और बड़े शहरों के निर्माण में निवेश. विशेष परियोजनाएं जैसे NEOM स्मार्ट सिटी, Red Sea पर्यटन परियोजना GDP को बढ़ा रही हैं. अंतरराष्ट्रीय निवेश और व्यापार- अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे देशों के साथ बड़े व्यापार और निवेश समझौते. आर्थिक सुधारों और उदारीकरण के कारण विदेशी पूंजी आई.
धार्मिक मूल्य
सऊदी अरब धार्मिक रूप से भी अहम रोल रखता है. देश में हर साल लाखों की तादाद में लोग हज और उमराह अदा करने के लिए पहुंचते हैं. पूरी दुनिया के मुसलमान एक बार तीर्थयात्रा करने के लिए सऊदी जाने की ख्वाहिश रखते हैं.
सरकार के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि साल 2025 में हज के लिए सऊदी अरब में 15 लाख से ज्यादा विदेशी तीर्थयात्री पहुंचे. alarabiya के मुताबिक, सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्री तौफीक अल-राबिया ने सोमवार को कहा कि 2024 में 18.5 मिलियन (1 करोड़ 85 लाख से अधिक) तीर्थयात्रियों ने हज और उमराह किया.
दुनिया भर के लोग जब हज और उमराह अदा करने सऊदी आते हैं तो इससे सऊदी को खासा फायदा होता है. statista की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, हज और उमराह से हर साल लगभग 12 अरब डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट होता है. इसी के साथ तीर्थयात्रा से हो रहे फायदे के चलते सऊदी विजन 2030 योजना के तहत हज और उमराह दोनों के लिए धार्मिक पर्यटकों की संख्या को बढ़ाकर 2030 तक 3 करोड़ (30 मिलियन) तक पहुंचाना चाहता है.
रक्षा क्षेत्र में मजबूती
सऊदी अरब का डिफेंस क्षेत्र भी पहले के मुकाबले अब मजबूत हो गया है. ट्रंप ने सऊदी को F-35 जेट देने पर मंजूरी दे दी है. डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि हम सऊदी को F-35 बेचेंगे. साथ ही पाकिस्तान के साथ हाल ही में हुए रक्षा समझौते के बाद सऊदी अब न्यूक्लियर गारंटी में भी आ गया है. इसके साथ ही सऊदी अपनी सेना को भी मजबूत कर रहा है. सऊदी अरब दुनिया की 145 सैन्य ताकतों की सूची में 24वें स्थान पर है.
सऊदी अरब के पास 2.57 लाख एक्टिव सैनिक हैं. इसके अलावा 1.5 लाख पैरामिलिट्री जवान भी हैं. सऊदी की सबसे बड़ी ताकत उसकी एयरफोर्स है. रॉयल सऊदी एयर फोर्स (RSAF) के पास हजार से ज्यादा विमान हैं. इनमें अमेरिका से लिए गए F-15E स्ट्राइक ईगल, ब्रिटेन के टॉरनेडो IDS और यूरोप के यूरोफाइटर टाइफून सबसे अहम हैं. फाइटर जेट्स के अलावा सऊदी के पास 185 से ज्यादा हेलिकॉप्टर हैं. सऊदी की थल सेना के पास 22,860 से ज्यादा हथियार हैं. नौसेना के पास 62 युद्धपोत मौजूद हैं. सेना पर कितना किया खर्च? 2024 में सऊदी का सैन्य खर्च 75.8 बिलियन डॉलर रहा, जो वैश्विक रक्षा खर्च का 3.1 प्रतिशत है.
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले 5 देश:
अमेरिका 997 बिलियन डॉलर
चीन 314 बिलियन डॉलर
रूस 149 बिलियन डॉलर (38% की भारी वृद्धि)
जर्मनी 88.5 बिलियन डॉलर
भारत 86.1 बिलियन डॉलर
ये पांच देश मिलकर दुनिया के कुल सैन्य खर्च का 60% करते हैं. मिडिल ईस्ट क्षेत्र का सैन्य बजट 2024 में 243
बिलियन डॉलर रहा, जो 2023 से 15% ज्यादा है. सऊदी अरब ने 80.3 बिलियन डॉलर खर्च किए — यह मिडिल ईस्ट में सबसे ज्यादा है और दुनिया में 7वें स्थान पर आता है.



