वोटर लिस्ट पर सपा रखेगी नजर: अखिलेश

  • लोकसभा चुनाव की तैयारियों में तेजी से जुटी समाजवादी पार्टी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। समाजवादी पार्टी का कहना है कि प्रशिक्षण शिविर पर विराम लगा कर पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियां में तेजी से जुटी है। सपा के राष्ट्रीयय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना है कि कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर व यात्राओं के आगे के कार्यक्र्रम भी जल्द ही तय होंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष नियमित तौर पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। अलग-अलग कार्यक्रम भी चल रहे हैं। पार्टी कार्यालय पर सपा मुखिया आए दिन अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर उनकी अपेक्षाएं समझने में जुटे हैं। जमीनी हकीकत की सही तस्वीर मिले इसलिए केवल चुनिंदा पदाधिकारियों को बुलाने के बजाय प्रमुख कार्यकर्ता भी इन बैठकों का हिस्सा बनाए जा रहे हैं।
अब तक एक दर्जन से अधिक लोकसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक हो चुकी हैं। इस क्रम को सभी कार्यकर्ताओं संग संवाद तक जारी रखा जाएगा। बैठक का मुख्य फोकस जनता के बीच निरंतर उपस्थिति बनाए रखने और आपसी समन्वय को बढ़ाने के संदेश पर है। बैठक में शामिल रहे एक जिलाध्यक्ष का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सबसे अधिक जोर वोटर लिस्ट को लेकर सतर्कता पर है। हमारे कोर वोटरों के नाम न कटने पाए, इसके लिए लगातार सक्रिय रहना है। हम लोग पोलिंग बूथ के गठन और वोटर लिस्ट की प्रक्रिया पर नजर भी गड़ाए हैं। बूथों के गठन के साथ ही जातीय जनगणना के मुद्दे को नीचे ले जाने के लिए भी जनसंपर्क करने को कहा गया है।

जमीनी समीकरण जानने की कवायद

समाजवादी पार्टी का हर जिले में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के अभियान पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। खीरी और सीतापुर के बाद अब तक किसी और जिले का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है।
हालांकि, इस बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभावार रणनीति के लिए फीडबैक पर काम तेज किया है। अलग-अलग लोकसभा के कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यालय पर बुलाकर वहीं के जमीनी समीकरण जानने की कवायद हो रही है। मार्च में हुई सपा की राष्टï्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने कुछ संगठनात्मक कार्यक्रम तय किए थे। इसमें 15 जून तक बूथ स्तर तक संगठन का गठन, हर जिले में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर के आयोजन जैसे अभियान शामिल थे। हालांकि, अभी कई जिलों में संगठन के गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। पिछले महीने से जिलों में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शुरू हुआ था।
5 और 6 जून खीरी और 9-10 जून को सीतापुर में पार्टी के दो दिवसीय कार्यक्रमों में अखिलेश यादव भी मौजूद रहे। इसके अलावा अखिलेश ने इन जिलों में लोक जागरण यात्रा की भी शुरुआत की। जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर जमीन तैयार करने के लिए इन यात्राओं का रूट इस तरह से तय किया गया था कि जिले के अधिकतर लोकसभा क्षेत्र कवर हो जाएं। उस समय अखिलेश ने हर जिले में इस यात्रा को जारी करने की बात कही थी। हालांकि, सीतापुर के बाद गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाई है।

अल्पसंख्यक सभा के अध्यक्ष तय

सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश अध्यक्ष शकील नदवी ने कुछ जिलों और महानगरों के अध्यक्ष तय किए हैं। हाजी नूर हसन चौधरी को गाजियाबाद, शम्स आलम को गोरखपुर, अकबर खान को नोएडा, नियाज अहमद को उन्नाव, दिलशाद सिद्दीकी को बनारस व मोहम्मद अफजाल को लखीमपुर का जिलाध्यक्ष बनाया गया है।

सपा के साथ हमारा साथ मजबूत : रालोद

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजनीतिक दलों को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं इस समय चरम पर हैं। सबसे ज्यादा चर्चा में इस समय राष्टï्रीय लोकदल है। इसके लेकर तमाम अफवाहें, अंदेशे चल रहे हैं। चर्चा है कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी लोकसभा चुनाव में भाजपा के पाले में खड़े हो सकते हैं। हालांकि जयंत कई बार यह कह चुके हैं कि उनका सपा के साथ गठबंधन है और पूरी तरह से मजबूत है। यहां तक कि उनकी पत्नी चारु ने भी यह कहा कि वह चवन्नी नहीं है जो पलट जाएं। जयंत ने एक के बाद एक दो ट्वीट करके फिर एक नई बहस छेड़ दी। उनके ‘खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी या खीर को लोग अपने-अपने ढंग से परिभाषित कर रहे हैं। खीर को लोग सत्ता से जोड़ रहे हैं तो बिरयानी, खिचड़ी को विपक्ष से। सवाल फिर उठा कि क्या वह भाजपा के साथ जा रहे हैं या अपने गठबंधन को मजबूत करने का इशारा कर रहे हैं। कहीं वह भी तो खीर खाने के लिए लालायित होने का इशारा तो नहीं कर रहे हैं। हालांकि इस बारे में रालोद प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा कहते हैं कि यह कोरी अफवाह है। विपरीत परिस्थितियों में भी 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 एवं 2022 का विधानसभा चुनाव में समान विचारधाराओं के मानने वाले दलों के साथ मिलकर ही रालोद ने गठबंधन में चुनाव लड़ा। 17 जुलाई को बंगलुरू में होने जा रही विपक्ष की बैठक में भी जयंत शामिल होंगे। पिछली बैठक में वह देश के बाहर होने के कारण नहीं जा
पाए थे।

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