नीतीश सरकार में ऑपरेशन लोटस की अटकलें तेज, विधायकों के खरीदने की तैयारी
दोस्तों बिहार में एनडीए के मिले प्रचंड बहुमत ने पूरे देश को चौंकाया है क्योंकि जिस तरह से बीजेपी का स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत रहा है, ये कहीं न कहीं सवाल खड़ा करता दिखा लेकिन एनडीए को मिले इस प्रंचड बहुमत के बाद भी बीजेपी और जदयू में सीएम पद से लेकर कैबिनेट के मंत्रियों के विभाग तक पर रार छिड़ गई ।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, एनडीए की नई सरकार में गृह मंत्रालया छिनने के बाद नीतीश कुमार न सिर्फ एक्शन में आ चुके हैं बल्कि स्पीकर की लड़ाई अब सीधे दिल्ली तक पहुंच गई है। क्योंकि जिस तरह से नीतीश के तेवर बदले हैं तो ऐसे में एक ओर जहां सम्राट चौधरी को भागकर अमित शाह से सलाह लेनी पड़ी है,
तो वहीं दूसरी ओर ऑपरेशन लोटस का खेल शुरु हो चुका है। कल तक जो नेता जी ऑपरेशन लोटस और अपने विधायकों को तोड़ने का दावा कर रहे थे अचानक उनको रातों रात पार्टी से विदा होना पड़ा है ऐसे में दिल्ली से पटना तक न सिर्फ हड़कंप मच गया है और बिहार की सियासत एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है। ऑपरेशन लोटस का खुलासा करने वाले किस नेता को अचानक पार्टी से निकाल दिया गया है और क्यों सम्राट चौधरी को स्पीकर में बढ़ती खींचतान के बाद अचानक दिल्ली जाना पड़ा है, ये सबकुछ हम आपको आगे अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे।
दोस्तों बिहार में एनडीए के मिले प्रचंड बहुमत ने पूरे देश को चौंकाया है क्योंकि जिस तरह से बीजेपी का स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत रहा है, ये कहीं न कहीं सवाल खड़ा करता दिखा लेकिन एनडीए को मिले इस प्रंचड बहुमत के बाद भी बीजेपी और जदयू में सीएम पद से लेकर कैबिनेट के मंत्रियों के विभाग तक पर रार छिड़ गई । नीतीश कुमार को पीएम साहब और अमितशाह ने जैसे तैसे कर सीएम की कुर्सी तो दे दी लेकिन नीतीश कुमार की ताकत को गृहमंत्रालया छीनकर आधा कर दिया गया ।
आपको बता दें जब शपथ हुई तो नीतीश कुमार के साथ सबकुछ ऑल इज वेल लगने वाला खेल अचानक मंत्रियों के विभागों की लिस्ट आते ही पलट गया क्योंकि बीजेपी अब नीतीश कुमार की जगह अपने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को सुशासन बाबू के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरु कर चुकी है। बिहार में बुलडोजर एक्शन शुरु हो चुका है। मफियाओं की लिस्ट तैयार है। कोर्ट में अर्जी देकर बड़ी कार्यवाही होने जा रही है। चर्चा है कि बिहार में बुलडोजर मॉडल और यूपी का इनकांउटर वाला खेल शुरु हो सकता है और इसके लिए बाकायदा प्लान बनाया जा रहा है लेकिन अंदरखाने की खबर है कि इनमें से बहुत से मसले ऐसे हैं जिसमें बीजेपी और जदयू में मतभेद हैं क्योंकि जदयू बिना मतलब बुलडोजर एक्शन के खिलाफ है।
नीतीश कुमार और उनकी लॉबी चाहती है कि जो सच में बुलडोजर एक्शन के लायक हो, उस पर कार्रवाई हो लेकिन बुलडोजर को जज न बनाया जाए। इसी तरह से अपराधियों को लेकर भी जदयू और बीजेपी में मतभेद हेै। जदयू का कहना है कि जो देश के नियम कानून हैं उसके जरिए ही मफियाओं पर शिकंजा कसा जाए। ऐसे में दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि जब सम्राट चौधरी ने इस पूरे मामले की फाइल को फिलहाल नीतीश कुंमार ने रोक लिया है, जिसके चलते अचानक सम्राट चौधरी को भागते हुए दिल्ली अमितशाह के पास पहुंचना पड़ा हैं। खबर देखिए…
आपको बता दें कि कल अचानक बिना किसी तय प्रोग्राम के सम्राट चौधरी दिल्ली पहुंच गए और वहां गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात करीब 30 मिनट तक बंद कमरे में चली। बैठक में बिहार की कानून-व्यवस्था, विकास और सुरक्षा रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा होने की जानकारी सामने आई है।
इस मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। सम्राट चौधरी बिहार के गृह विभाग की कमान संभाल रहे हैं, ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी खास बैठक को बेहद रणनीतिक और अहम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सम्राट चौधरी को केंद्र की ओर से कुछ विशेष निर्देश और नई जिम्मेदारियां दी गई होंगी, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि बुलडोजर एक्शन से लेकर अपराधियों पर लगाम लगने वाली सारी बातों पर चर्चा हुई है लेकिन जिस तरह से नीतीश सरकार बीच में खड़ी है और स्पीकर की तकरार बढ़ी है, इसको लेकर जल्द ही चर्चा करने का आश्वासन सम्राट चौधरी को मिल गया है।
आपको बता दें कि एक तरह जहां गृह विभाग की फाइलों में पेंच फंसा हआ है तो वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार नौकरी के लिए हर विभाग से रिक्त पदों की सूची मांग चुके हैं। साथ ही आज 10 लाख महिलाओं के खाते में 10..-10 हजार रुपए भी भेजे गए हैं लेकिन सारी कवायदों के बीच स्पीकर पद को लेकर वर्चस्व की जंग तेज होती दिख रही है। आपको बता दें कि कल बीएसपी के एक नेता ने दावा किया था कि उनके एक विधायक को तोड़ने की कोशिश सत्ता पक्ष कर रहा है और ये दावा सीधे तौर पर नीतीश की पार्टी की तरफ एक इशारा करके किया गया था। क्योंकि पिछली बार भी बीएसपी के एक विधायक जमा खान जीते थे और बाद में नीतीश कुमार ने उनको अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।
ऐसे में जब इस बार भी पार्टी के एक विधायक सुधीर यादव सिर्फ 30 वोटों से जीतकर आए हैं तो फिर से अनिल कुमार ने दावा किया था कि उनके विधायक को लगातार फोन किया जा रहा है, सत्ता पक्ष तोड़ने का प्रयास कर रहा है, और ये सारी बात और दावे कल रात खूब चर्चा में भी थे लेकिन शाम को अचानक अनिल कुमार को बीएसपी पार्टी से निकालने की खबरें आई हैं। आपको बता दें कि कल जब बीएसपी की मीटिंग हुई थी तो आकाश आनंद भी उस बैठक में शामिल हुए थे, और अनिल कुमार ने उनके सामने सारे दावे किए थे लेकिन रात में अचानक क्या हुआ कि अनिल कुमार को निकाल दिया।
खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि अनिल कुमार यानि बसपा बिहार प्रदेश प्रभारी ने पार्टी छोड़ दी है। हालांकि बताया जा रहा है कि उनके बयान के बाद पार्टी ने उनको हटाने का मन बना लिया था क्योंकि बीएसपी के मन में शायद कहीं न कहीं चल रहा है कि वो भी बिहार में एनडीए का हिस्सा बन जाते और ऐसे में सत्ता पक्ष यानि कि एनडीए के खिलाफ बयान देने से यह सबकुछ हुआ है। लेकिन पूरे मामले में जो एक बात साफ है वो यह है कि बीएसपी हो या फिर एआईएमआईएम दोनों कहीं न कहीं ये चाहती है कि वो एनडीए में शामिल हो जाएंग और शायद यही बात नीतीश कुमार के मन में भी चल रही है क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए के अंदर अपनी मजबूत बैकिंग चाहते है।
पहले से जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशावाह उनके साथ माने जाते हैं और अगर इसके बाद नीतीश कुमार नौ से दस विधायकों को जदयू के समर्थन मंे जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं तो उनका दावा न सिर्फ स्पीकर पर मजूबत हो जाएगा बल्कि वो सीधे हर बिल और कैबिनेट के हर बड़े फैसले में दखल दे सकते हैं। हालांकि ये जरुर है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में भयंकर सिर फुटव्वल शुरु हो चुकी हैं। चार विधायकों के होने बाद भी बिना विधायक बने बेटे को मंत्री पद की शपथ दिला दी गई है। इसको लेकर पार्टी के एक दो नहीं बल्कि 7 नेताओं ने सामूहिक इस्तीफा दिया है और इसमें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर बैठे लोग भी शामिल हैं।
ऐसे में कहीं न कहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी मंे बड़ी टूट के आसार दिख रहे हैं बल्कि जिन चार विधायकों को मंत्री नहीं बनाया गया है वो भी अगर बगावती हुए तो भयंकर रार मच सकती है। हालांकि इस सबके बीच भी नीतीश कुमार हर हाल में स्पीकर का पद चाहते हैं और इसके लिए न सिर्फ वो बीजेपी पर प्रेशर बना रहे हैं बल्कि एनडीए और अपनी पार्टी में विधायकों की संख्या को बढ़ाने के लिए जी तोड़ कोशिश में लगे हैं। आगे क्या होगा, ये दो दिसंबर को फाइनल होगा, क्योकि दो दिसंबर को स्पीकर का चुनाव होना है, अगर इसमें कुछ बहुत बड़ा न हो जाए तो कोई बहुत चौंका देने वाली बात नहीं होगी।
पूरे मामले पर आपका क्या मानना है कि कि क्या सरकार बनते ही नीतीश कुमार और बीजेपी एक दूसरे के सामने आ गए हैं। क्या नीतीश कुमार अपना स्पीकर बनाने के लिए बीजेपी को अल्टीमेटम दे चुके हैं। क्या स्पीकर के चुनाव में कोई बड़ा खेल हो सकता है। आप अपनी राय हमें कमंेट के रुप में साझा कर सकते हैं।



