यूपी कांग्रेस के कर्मचारियों के लिए लागू होगी स्टॉफ नियमावली

  • जबरन रिटायर कर्मचारियों के मामले में आठ सदस्यीय समिति गठित

लखनऊ। उप्र कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) कार्यालय के कर्मचारियों को जबरन रिटायर किए जाने के मामले में धरना-प्रदर्शन के बाद पार्टी ने तय किया है कि यहां के कर्मचारियों के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की स्टाफ नियमावली 25 जून तक अनिवार्य रूप से लागू की जाएगी। जब तक नियमावली लागू नहीं कराई जाती है, तब तक किसी भी कर्मचारी पर आरोप लगाकर उसके खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की जाएगी, न ही उसे सेवामुक्त/निलंबित किया जाएगा। कर्मचारियों को जबरन रिटायर किए जाने के मामले में बुधवार को हुए विरोध के बाद गुरुवार को यूपीसीसी के प्रभारी-प्रशासन कार्यालय में बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश अजमानी ने की। कमेटी की बैठक में कर्मचारियों के हित में स्टाफ नियमावली लागू करने का निर्णय हुआ। वहीं जबरन रिटायर किए गए पांच कर्मचारियों के मामले में आठ सदस्यीय समिति गठित की गई है। इसमें चार सदस्य यूपीसीसी के पदाधिकारी और चार स्थायी कर्मचारी शामिल किए गए हैं। समिति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष बंसल से बात करके सेवामुक्त किए गए कर्मचारियों को बताएगी कि किस तारीख को यूपीसीसी में स्टाफ नियमावली लागू होगी, जिसके अनुसार उन्हें भुगतान किया जाएगा।

कर्मचारियों ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कर्मचारियों ने कहा था कि अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों के रूप में उन्होंने जीवन के 25 से 35 वर्ष पार्टी की सेवा में लगाए। सेवा के अंतिम वर्षों में पार्टी की ओर से किया गया यह कृत्य कांग्रेस को शोभा नहीं देता। विधान सभा चुनाव में पार्टी ने अरबों रुपये फूंक दिए। पार्टी से लाखों रुपये लेकर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने क्या अपनी भूमिका निभाई? इन प्रत्याशियों की गलती की सजा लाचार कर्मचारियों को क्यों दी जा रही है? उन्होंने यह भी सवाल किया था कि 10 से 15 हजार रुपए वेतन पाने वाले कर्मचारियों को हटाया जा रहा है लेकिन इनसे कई गुना अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों की विभिन्न स्तरों पर नियुक्ति कर उनकी सेवाएं ली जा रही हैं। कर्मचारियों ने कांग्रेस अध्यक्ष से मांग की थी कि उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की नियमावली के अनुसार सेवामुक्ति का भुगतान किया जाए।

दिलाई प्रियंका के नारे की याद
सोनिया को लिखे पत्र में कर्मचारियों ने यह भी कहा था कि कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा सरकारी कर्मचारियों की छंटनी को लेकर सरकार पर हमलावर रहती हैं तो फिर पार्टी के अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को लेकर इतनी असंवेदनशीलता क्यों? प्रियंका के लड़की हूं लड़ सकती हूं नारे की यह कहते हुए याद दिलाई कि जिन पांच कर्मचारियों को रिटायर किया गया है, उनमें तीन लाचार महिलाएं शामिल हैं।

दानिश अंसारी के नाम न घर न जमीन, बाकी सभी विधान परिषद चुनाव के भाजपा प्रत्याशी करोड़पति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन कराने वाले योगी सरकार के सातों मंत्रियों में दानिश आजाद अंसारी ही मात्र ऐसे हैं, जिनके नाम पर न मकान है और न ही जमीन। कुल चल संपत्ति भी महज 15,95,925 रुपये हैं, जबकि बाकी सारे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी करोड़पति हैं। मुकदमों की बात करें तो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व दयाशंकर मिश्र दयालु पर सात-सात मुकदमे दर्ज हैं और नरेंद्र कश्यप को सत्र न्यायालय से आत्महत्या के लिए कुप्रेरित करने के मामले में सजा भी सुनाई जा चुकी है। वहीं शिक्षा में सबसे आगे सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर हैं। वह आईआइटी बीएचयू से एमटेक हैं, जबकि भूपेंद्र सिंह चौधरी मात्र बीए प्रथम वर्ष तक पढ़े हैं। विधान परिषद चुनाव में प्रत्याशियों के शपथ पत्र के अनुसार संपत्ति के मामले में इन सात मंत्रियों में सबसे आगे आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु हैं। नामांकन में दिए गए शपथ पत्र के अनुसार, वाराणसी निवासी मिश्र और उनकी पत्नी सुकन्या मिश्रा के पास कुल 9,96,38,428 रुपये की चल-अचल संपत्ति है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमएससी की शिक्षा प्राप्त की है और उनके विरुद्ध सात मुकदमे दर्ज हैं। दूसरे स्थान पर सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर हैं। शाहजहांपुर निवासी राठौर पेट्रोल पंप स्वामी हैं। उनके और पत्नी प्रिया सिंह के नाम पर कुल 9,49,49,178 रुपये की चल-अचल संपत्ति है।

करोड़पतियों की सूची में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप भी हैं। पत्नी देविंद्री कश्यप सहित उनके पास कुल 6,78,26,896 रुपये की चल-अचल संपत्ति है। एलएलबी की शिक्षा प्राप्त नरेंद्र कश्यप गंभीर आपराधिक मुकदमे में भी घिरे हैं। जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा उन्हें आत्महत्या के लिए कुप्रेरित करने के मामले में सजा सुनाई जा चुकी है। गाजियाबाद निवासी कश्यप ने सजा के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की है, जहां मामला लंबित है और सजा स्थगित कर दी गई है। मुरादाबाद निवासी पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी राजनीति के क्षेत्र में हैं, जबकि उनकी पत्नी निशा राहल डेयरी संचालिका हैं। बीए प्रथम वर्ष उत्तीर्ण भूपेंद्र और उनकी पत्नी के पास कुल चल-अचल संपत्ति 5,36,74,482 रुपये की है। विधान परिषद चुनाव के निर्वाचन अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए शपथ पत्र में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं भेजा गया। चल संपत्ति के मामले में वह कई मंत्रियों से पीछे हैं। हाथ में नकदी मात्र सवा लाख की है, जबकि पत्नी राजकुमारी देवी सहित कुल चल संपत्ति 2,37,65,189.41 रुपये की है। उनके खिलाफ सात मुकदमे दर्ज हैं। वहीं, औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सिंह सैनी मेरठ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए हैं। सहारनपुर निवासी जसवंत और उनकी पत्नी मीनाक्षी के पास 62,59,597 रुपये की संपत्ति है।

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